भगवान भास्कर की आराधना का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शनिवार को नहाय-खाय से शुरू हुआ। रविवार को खरना पूजन के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। सोमवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य और मंगलवार को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के साथ सुकर्मा योग में अस्ताचलगामी सूर्य को एवं मंगलवार को त्रिपुष्कर एवं रवियोग का मंगलकारी संयोग में व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चार दिवसीय महापर्व का समापन पारण के साथ करेंगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है।
टाइम एंड डेट वेबसाइट के अनुसार पटना में 26 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 5 बजकर 13 मिनट पर होगा। कहीं कहीं इस समय में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। सूर्यास्त के बाद ही खरना प्रसाद खाया जाता है। इसके बाद 27 अक्टूबर को संध्याकालीन सूर्य को अर्घ्य देना है। 27 अक्टूबर को पटना में सूर्यास्त शाम को 5 बजकर 11 मिवट तक होगा। कई जगह इसमें मिनटों का अंतर हो सकता है। सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के साथ सुकर्मा योग में अस्ताचलगामी सूर्य को एवं मंगलवार को त्रिपुष्कर एवं रवियोग का मंगलकारी संयोग में व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चार दिवसीय महापर्व का समापन पारण के साथ करेंगी। यहां देखें बिहार में अर्घ्य टाइमिंग
सूर्यास्त (27 अक्टूबर) सूर्योदय (28 अक्टूबर)
पटना 5:11 PM 5:55 AM
गया 5:11 PM 5:55 AM
भागलपुर 5:04 PM 5:47 AM
पूर्णिया 5:02 PM 5:46 AM
पश्चिम चंपारण 5:12 PM 5:59 AM
मुजफ्फरपुर 5:10 PM 5:54 AM
सारण 5:08 PM 5:49 AM
दरभंगा 5 :08 PM 5:52 AM
सुपौल 5:06 PM 5:51 AM
अररिया 5:01 PM 5:46 AM
छठ पूजा में शाम और सुबह भगवान सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है: स्कंदपुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति पंचमी तिथिको एक समय भोजन कर षष्ठी को उपवास करता है तथा सप्तमी को दिन में उपवास कर विविध पदार्थो को भगवान् सूर्य के लिए अर्पण कर ब्राह्यणों को देता है तथा रात्रि में मौन होकर भोजन करता है, वह अनेक प्रकार के सुखों का भोग करता है। ऐसा व्यक्ति हर जगह विजय प्राप्त करता हैं और पृथ्वी पर पुत्र-पौत्राों से समन्वित चक्रवती राजा होता है। सूर्य देव को अर्घ्य देने का मंत्र- एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते । अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर:।।
सूर्योपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ शनिवार से नहाए खाए की विधि के साथ आरंभ हो गया। व्रतियां सुबह स्नान करने के पश्चात अपने घर में पूजन स्थल को गोबर से लीप कर सूर्यदेव का ध्यान कर माता छठी का विधिवत पूजन कर आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ का आवाहन किया। व्रतियां मिट्टी के चूल्हे बनाकर उसमें आम की लकड़ियों को प्रज्वलित कर अरवा चावल का भात एवं शुद्ध घी युक्त चना का दाल एवं लौकी की सब्जी के प्रसाद को निर्मित कर सूर्य देव एवं छठी मैया को भोग लगाकर नहाए खाए के साथ शुभारंभ किया।






