देशभर में लगातार डिजिटल अरेस्ट अपराध के मामले बढ़ रहे हैं। इसे लेकर इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (Indian Cyber Crime Coordination Centre -I4C) ने लोगों को सतर्क रखने के लिए एक एडवाइजरी जारी कर दी है। ICCCC ने इस एडवाइजरी में कहा है कि CBI, पुलिस, सीमा शुल्क विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ED) या फिर न्यायाधीश वीडियो कॉल के जरिए लोगों को गिरफ्तार नहीं करते हैं। डिजिटल अरेस्ट एक साइबर क्राइम है। लोगों को इन साजिशों का शिकार होने से सावधान किया गया है। इस एडवायजरी में WhatsApp और स्काइप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लोगो को शामिल किया गया था।
बता दें कि इन दिनों साइबर अपराधी लोगों से पैसों की ठगी करने के लिए डिजिटल अरेस्ट का नया तरीका अपना रहे हैं। इसके जरिए वे लोगों को झांसे में लेकर इतना डरा देते हैं कि मजबूर होकर पीड़ित साइबर अपराधियों के बताए बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। अपराधी इतनी पुख्ता प्लानिंग करके ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं कि शिकार को जरा भी शक नहीं होता।
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जानिए क्या होता है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया तरीका है। इसमें धोखेबाज ऑडियो या वीडियो कॉल करते हैं। खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी या अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी के अधिकारी के तौर पर पेश करते हैं। उन्हें केस से छुटकारा दिलाने के नाम पर वसूली करते हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि ‘घबराएं नहीं, सतर्क रहें. सीबीआई/पुलिस/सीमा शुल्क/ईडी/जज आपको वीडियो कॉल पर गिरफ्तार नहीं करते हैं। व्हाट्सएप और स्काइप ने पहले कहा था कि वे यूजर्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सरकारी साइबर सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहे हैं। इस एडवाइजरी में लोगों से ऐसे अपराधों की रिपोर्ट हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करने या साइबर अपराध की वेबसाइट पर जाने की भी अपील की गई है।
कई लोग फ्रॉड के शिकार
ताजा मामले में गिरोह के एक ठग ने 1 सितंबर को आरआरसीएटी में वैज्ञानिक को फोन किया और ट्राई का अधिकारी बनकर लाखों का चूना लगा दिया था। केंद्र सरकार ने कहा कि ऐसे घोटालों को अक्सर इन प्लेटफॉर्म के जरिए अंजाम दिया जाता है। साइबर सिक्योरिटी एजेंसी ने लोगों को इंटरनेट के जरिए किए जाने वाले अपराधों का शिकार न बनने की चेतावनी दी है।