आज से करीब 79 साल पहले भारत देश ने वो मंजर देखा जिसके जख्म आज भी हर साल हरे हो जाते हैं। लाखों की मौत और न जाने कितने बेघर…. जी हां! हम बात कर रहे हैं विभाजन की, वो घाव जिसके जहन में आते ही दुख,आंसुओं और अफसोस के बादल मंडराने लगते हैं।
एक देश के दो टुकड़े हो गए, एक बना भारत तो दूसरा पाकिस्तान। 14 अगस्त ही वो तारीख थी जब दो देशों के बीच एक लकीर खींच दी गई। एक शख्स की जिद ने देश के दो टुकड़े कर दिए। नाम था मोहम्मद अली जिन्ना। पड़ोसी मुल्क का वो माईं-बाप या कहें सब कुछ है। लोग वहां उसे कायद-ए-आजम कहते हैं। टूटकर बना पाकिस्तान 14 अगस्त को ही अपनी आजादी की सालगिरह मनाता है,लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे ही टुकड़े कर बना देश हमसे पहले अपनी स्वतंत्रता का जश्न क्यों मनाता है? आज इसके पीछे की कहानी हम आपको बताएंगे।
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थोड़ा फ्लैशबैक में लिए चलते हैं
स्वतंत्रता दिवस के उत्सव की तारीख हमेशा तय नहीं थी। 1947 की शुरुआत में ब्रिटेन की लेबर सरकार ने लॉर्ड लुई माउंटबेटन को भारत का अंतिम वायसराय नियुक्त किया। उन्हें ब्रिटिश नियंत्रण से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सत्ता का हस्तांतरण शुरू में जून 1948 से पहले करने का निर्णय लिया गया था।
इसका मतलब अगर ऐसा होता तो भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस की तारीखें कुछ और होतीं, लेकिन, बढ़ते सांप्रदायिक दंगों और बिगड़ती कानून व्यवस्था ने माउंटबेटन को ब्रिटिश वापसी में तेजी लाने के लिए तारीख को अगस्त 1947 तक बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया। ब्रिटिश संसद ने 4 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, और इसमें आदेश दिया गया कि ब्रिटिश शासन 15 अगस्त, 1947 को समाप्त हो जाएगा। इसी दिन भारत और पाकिस्तान नामक दो नए राष्ट्रों का जन्म हुआ। हालांकि, इन दोनों देशों के बीच की सटीक सीमाएं 17 अगस्त तक सामने नहीं की गईं ताकि अशांति से बचा जा सके।
माउंटबेटन ने बाद में खुलासा किया कि उन्होंने 15 अगस्त को इसलिए चुना क्योंकि यह द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान के सरेंडर की दूसरी वर्षगांठ थी। यह तारीख शाही संघर्ष की समाप्ति का प्रतिनिधित्व करती थी, न कि राष्ट्रवादी खुशी का।
पाकिस्तान 14 अगस्त को क्यों मनाता है अपना स्वतंत्रता दिवस?
फिर पाकिस्तान 14 अगस्त को अपना जश्न क्यों मनाता है? पाकिस्तान के आधिकारिक दस्तावेज और उसके संस्थापक, मुहम्मद अली जिन्ना ने मूल रूप से स्वतंत्रता दिवस को मनाने के लिए 15 अगस्त वाली तारीख चाहते थे, लेकिन 1948 तक पाकिस्तान ने व्यावहारिक और प्रतीकात्मक कारणों से अपना जश्न 14 अगस्त को कर दिया था। इसका मुख्य कारण सत्ता हस्तांतरण समारोह के समय पर आधारित था। कराची में यह हस्तांतरण 14 अगस्त, 1947 को दिन में हुआ था। माउंटबेटन ने वहां समारोह की अध्यक्षता की और फिर 15 अगस्त को भारत की स्वतंत्रता का जश्न मनाने वाले आधी रात के समारोह की अध्यक्षता करने के लिए नई दिल्ली चले गए।
एक और कारण यह है कि 14 अगस्त 1947, इस्लामी कैलेंडर में एक पवित्र समय रमजान के 27वें दिन भी था और इस तरह पाकिस्तान के इस चयन को धार्मिक महत्व मिला। तब से पाकिस्तान 14 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता रहा है, हालांकि भारत पहले से ही 15 अगस्त को स्वतंत्रता की तारीख के रूप में बरकरार रखता आया।
एक वजह ये भी
जब 1947 का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित हुआ, तो इसने बंगाल और पंजाब के विभाजन से भारत और पाकिस्तान नामक दो स्वतंत्र राष्ट्रों का निर्माण किया। पाकिस्तान के संस्थापक, मुहम्मद अली जिन्ना ने अपने प्रसिद्ध रेडियो संबोधन में घोषणा की कि 15 अगस्त को स्वतंत्र और संप्रभु राज्य पाकिस्तान का जन्मदिन है। प्रारंभ में, दोनों देशों ने एक ही स्वतंत्रता तिथि साझा की। एक अन्य रिपोर्ट में एक राजनीतिक निर्णय का सुझाव दिया गया है। जून 1948 में, प्रधान मंत्री लियाकत अली खान के नेतृत्व में पाकिस्तान के मंत्रिमंडल ने भारत से एक दिन पहले स्वतंत्रता का जश्न मनाने का प्रस्ताव रखा। जिन्ना ने इसे मंजूरी दे दी, जिससे 14 अगस्त को आधिकारिक तारीख के रूप में स्थापित कर दिया गया।
