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September 8, 2024 5:27 am

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बजट 2024: कहा- किसान कल्याण के लिए तीन महत्वपूर्ण घोषणाओं की आवश्यकता……’कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा…..

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आज से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है। संसद में कल मंगलवार को बजट पेश किया जायेगा। इससे पहले आज 22 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी। यह लगभग तय है कि विपक्ष नीट पेपर लीक, रेलवे सुरक्षा, कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार के फैसले सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार को घेरेगा। इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि बजट में किसान कल्याण के लिए तीन महत्वपूर्ण घोषणाओं की आवश्यकता है।

आज का सुविचार: जंगली जानवरों की तरह व्यवहार करना…

1. MSP को क़ानूनी दर्जा

2. ⁠स्वामीनाथन फार्मूला के आधार पर MSP तय

3. ⁠किसानों के लिए क़र्ज़ माफ़ी

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तमाम विफलताओं में से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की क्षमताहीनता और दुर्भावना से भरा व्यवहार सबसे अधिक हानिकारक है। आगामी बजट में कृषि कल्याण के लिए केंद्र सरकार की तरफ़ से तीन मुख्य घोषणा किए जाने की आवश्यकता है।

1. स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुरूप C2+50% के फॉर्मूले के अनुरूप, एमएसपी के अंतर्गत आने वाली 22 फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाएं।

2. सरकार की अपनी मान्यता कि एमएसपी को कानूनी दर्ज़ा देकर लागू करने के लिए सभी कृषि उत्पादों की ख़रीद की आवश्यकता नहीं है – के विपरीत एमएसपी को कानूनी दर्जा दें और इसे मजबूती से लागू करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करें, जिसमें रणनीतिक ख़रीद, बेहतर विनियमन और मूल्य अंतर मुआवजा शामिल है। इसके लिए बस नियत और साहस की आवश्यकता है।

3. किसान क़र्ज़ माफी की आवश्यकता का आकलन करने, परिमाण का आकलन करने, और कृषि ऋण माफ़ी के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक स्थायी आयोग की स्थापना । इस अत्यंत आवश्यक कदम से क़र्ज़ में डूबे किसानों को राहत मिलेगी।

याद रखें कि केंद्र सरकार के पास इन तीनों क़दमों को उठाने के लिए पूरी शक्ति है। सिर्फ़ इस बात का इंतज़ार है कि स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री थोड़ी हिम्मत दिखाएं और अपनी ज़िद को छोड़कर किसानों के हित में फैसला लें।

जयराम रमेश ने यह भी कहा कि किसान कर्ज माफी की आवश्यकता का आकलन करने, परिमाण का आकलन करने और कृषि ऋण माफी के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक स्थायी आयोग की स्थापना की जानी चहिए।

जयराम रमेश के मुताबिक, 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए ने 72,000 करोड़ रुपये का कृषि ऋण माफ किया था, जिससे बड़ी संख्या में किसानों को लाभ हुआ था।

उन्होंने दावा किया, “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की सरकार ने पूंजीपतियों के 16 लाख करोड़ रुपये के बैंक ऋण माफ किए हैं। लेकिन दूसरी तरफ इस साल आरबीआई से रिकॉर्ड 2.11 लाख करोड़ का लाभांश मिलने के बावजूद उसने किसानों का एक रुपये का भी कृषि ऋण माफ नहीं किया।”

कांग्रेस नेता ने सवाल किया, “चार जून को मिली व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार के घावों से अभी भी उबर रहे स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री क्या कृषि कल्याण के लिए ये महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे?”

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