Explore

Search

March 15, 2025 1:11 am

Bihar Special Status: जदयू ने रखा था सवाल……’लोकसभा में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे पर मिला सीधा जवाब….

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में शामिल जनता दल यूनाईटेड ने सीधे-सीधे लोकसभा में अपनी ही सरकार से पूछ दिया कि क्या वह बिहार और शेष ऐसे राज्यों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा देना चाहती है? अगर सरकार ऐसा विचार रखती है तो बताए और नहीं रखती है तो इसका कारण स्पष्ट करे। जदयू के रामप्रीत मंडल के इस सीधे सवाल का सीधा जवाब भी बजट सत्र के पहले दिन आ गया। मंडल ने वित्त मंत्री के लिए यह सवाल रखा था। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने इसपर प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए नकारात्मक और सीधा जवाब दिया। मतलब, अब जैसा जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने सर्वदलीय बैठक में अपनी बात रखी थी कि अगर विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे सकते हैं तो विशेष पैकेज दें। अब संभवत: एनडीए सरकार के अहम किरदार जदयू की बात रखने के लिए केंद्र सरकार इस राह का विकल्प देखे।

Business Idea: रोजाना होगी बंपर कमाई…..’इस मानसून मात्र पांच हजार रूपए में शुरू करें ये बिजनेस……’

बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है

वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने रामप्रीत मंडल के सवाल के जवाब में बताया- “राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने पहले कुछ राज्यों को योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान किया था। उन राज्यों में कुछ विशेष परिस्थितियां थीं, जिनके आधार पर यह किया गया था। यह निर्णय उन सभी कारकों और राज्य की विशिष्ट स्थिति के एकीकृत विचार के आधार पर लिया गया था। विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने पहले भी विचार किया था, जिसने 30 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। आईएमजी ने निष्कर्ष निकाला था कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।” 2012 में देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। उस समय भी यही रिपोर्ट आई थी, केंद्र की मौजूदा सरकार ने उसी का हवाला दिया है।

विशेष दर्जा का प्रावधान कब आया, कब खत्म हुआ

देश के किसी क्षेत्र को विशेष श्रेणी का दर्जा देने की बात पहली बार 1969 में राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक में आई थी। इस बैठक में डीआर गाडगिल समिति ने भारत में राज्य योजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता आवंटित करने का एक फॉर्मूला पेश किया। इससे पहले राज्यों को इस तरह से आगे बढ़ाने के लिए धन वितरण का कोई विशेष फॉर्मूला नहीं था। एनडीसी ने अनुमोदित गाडगिल फॉर्मूला ने असम, जम्मू-कश्मीर और नगालैंड जैसे विशेष श्रेणी के राज्यों को प्राथमिकता दी गई। 5वें वित्त आयोग ने 1969 में स्पष्ट किया कि विशेष श्रेणी की अवधारणा क्या रहेगी? एनडीसी ने इस स्थिति के आधार पर इन राज्यों को केंद्रीय योजना से सहायता आवंटित की थी। वित्तीय वर्ष 2014-2015 तक विशेष श्रेणी स्थिति वाले 11 राज्यों को इसका लाभ मिला। 2014 में जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार बनी तो योजना आयोग का विघटन कर नीति आयोग का गठन किया गया। इसके प्रभाव से गाडगिल फॉर्मूला-आधारित अनुदान बंद हो गया और राज्यों को अलग-अलग श्रेणी में बांटने का प्रावधान भी खत्म हो गया। अब किसी भी नए राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि भारत का संविधान इस तरह के वर्गीकरण का प्रावधान नहीं करता है।

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर