Bihar Chunav: एक-एक सीट पर होगी कांटे की टक्कर, जानें NDA और महागठबंधन की मौजूदा ताकत, समझें बिहार विधानसभा का पूरा गणित
Bihar chunav dates: चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही बिहार की सियासत एक बार फिर गरमाने वाली है. हर पार्टी अपने पुराने गढ़ बचाने और नए वोटरों को लुभाने की तैयारी में जुट गई है. अब देखना यह है कि 2025 का रण किसके पक्ष में जाता है. एनडीए अपनी पकड़ बरकरार रखेगा या महागठबंधन वापसी करेगा.
पटना: बिहार में चुनावी माहौल एक बार फिर गर्माने वाला है. आज शाम चार बजे चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि मतदान दो चरणों में होगा. साथ ही छठ पूजा के बाद चुनावी रण का आगाज होगा. साल 2020 में राज्य में तीन चरणों में मतदान हुआ था, लेकिन इस बार सभी दल दो फेज में चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं.
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं. मौजूदा वक्त में सत्ता पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) काबिज है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) मुख्य सहयोगी हैं. दूसरी ओर, विपक्ष की कमान महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) के हाथ में है, जिसमें राजद (RJD), कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं.
किसके पास कितनी सीटें
वर्तमान में बीजेपी के पास सबसे ज्यादा 78 विधायक हैं. वहीं आरजेडी के पास 77 सीटें हैं, जो विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है. जेडीयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19 और वामदलों के पास कुल 16 सीटें हैं. इसके अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के पास चार-चार सीटें हैं. जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पास दो सीटें हैं. कुछ निर्दलीय और छोटे दलों के पास कुल मिलाकर पांच सीटें हैं. अगर गठबंधन के हिसाब से देखें, तो एनडीए के पास 133 सीटें हैं, जबकि महागठबंधन के पास 112 सीटें हैं. यानि सत्ता पर अभी भी एनडीए की पकड़ मजबूत है.
वर्तमान में बीजेपी के पास सबसे ज्यादा 78 विधायक हैं. वहीं आरजेडी के पास 77 सीटें हैं, जो विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है. जेडीयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19 और वामदलों के पास कुल 16 सीटें हैं. इसके अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के पास चार-चार सीटें हैं. जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पास दो सीटें हैं. कुछ निर्दलीय और छोटे दलों के पास कुल मिलाकर पांच सीटें हैं. अगर गठबंधन के हिसाब से देखें, तो एनडीए के पास 133 सीटें हैं, जबकि महागठबंधन के पास 112 सीटें हैं. यानि सत्ता पर अभी भी एनडीए की पकड़ मजबूत है.
बिहार में एनडीए और महागठबंधन के अपने-अपने मजबूत गढ़ हैं, जो चुनावी नतीजों को काफी हद तक तय करते हैं. आइए जानते हैं कौन-सा इलाका किसके प्रभाव में है…
एनडीए के मजबूत इलाके
उत्तर बिहार- मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा और मधुबनी जैसे जिलों में एनडीए, खासकर जेडीयू और बीजेपी, का अच्छा प्रभाव है. यहां की सामाजिक बनावट ऊपरी जातियों और गैर-यादव पिछड़ों के पक्ष में रहती है, जो एनडीए को बढ़त देती है. नीतीश कुमार के शासन, विकास कार्यों और सड़कों-बिजली जैसे प्रोजेक्ट्स का असर अब भी इन इलाकों में दिखता है.
शाहाबाद और मगध इलाका: 2025 के चुनाव में बीजेपी भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतास, गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और अरवल पर खास फोकस कर रही है. अमित शाह ने खुद कहा है कि पार्टी का लक्ष्य इन जगहों पर 80% सीटें जीतने का है. हालांकि 2020 में इन इलाकों में एनडीए का प्रदर्शन कमजोर रहा था.
शहरी क्षेत्र: पटना जैसे शहरी इलाकों में एनडीए को मिडिल क्लास और व्यापारी वर्ग के वोट से फायदा मिलता है.
महागठबंधन के मजबूत इलाके
सीमांचल: किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जैसे जिलों में महागठबंधन की पकड़ मजबूत है.
यहां मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या अधिक है, जिससे आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को बढ़त मिलती है.
एनडीए को इस क्षेत्र में एआईएमआईएम और इंडिया गठबंधन की चुनौती झेलनी पड़ती है.
यहां मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या अधिक है, जिससे आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को बढ़त मिलती है.
एनडीए को इस क्षेत्र में एआईएमआईएम और इंडिया गठबंधन की चुनौती झेलनी पड़ती है.
मध्य बिहार: सारण, छपरा, वैशाली, हाजीपुर, गोपालगंज और सीवान जैसे जिलों में आरजेडी का परंपरागत दबदबा है. यहां यादव-मुस्लिम समीकरण महागठबंधन के लिए जीत की कुंजी साबित होता है.
कोसी, मिथिलांचल और पूर्वी बिहार: सुपौल, मधेपुरा और सहरसा के कोसी बेल्ट के अलावा मिथिलांचल के कुछ जिलों में भी आरजेडी और उसके साथी दलों की स्थिति मजबूत रहती है. यहां जातीय एकजुटता और स्थानीय नेताओं का प्रभाव महागठबंधन को फायदा पहुंचाता है.
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