आरएसएस ने जातीय जनगणना और महिला सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर महत्वपूर्ण बयान दिया है. संगठन ने समाज की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए जातीय जनगणना को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं, जबकि महिला सुरक्षा के लिए नए कदम उठाने की बात कही है. इन विषयों पर आरएसएस की हालिया बैठक में गहन चर्चा की गई, जिसमें समाज के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ और भविष्य के लिए कई अहम निर्णय लिए गए.
RSS ने क्या कहा?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है. आरएसएस ने इसे एक संवेदनशील मुद्दा बताया है. संघ ने कहा, पंच परिवर्तन के तहत इस पर चर्चा की गई है, और संगठन ने निर्णय लिया है कि मास लेवल पर समरसता को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जाएगा.
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आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने कहा कि हमारे समाज में जातिगत प्रतिक्रियाएं एक संवेदनशील मुद्दा हैं और यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जातीय जनगणना का इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
कोलकाता कांड पर भी की गई चर्चा
बैठक में पश्चिम बंगाल की हालिया दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर भी विस्तार से चर्चा की गई. आरएसएस ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला कानूनों में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया और इसे एक चिंताजनक मुद्दा बताया. महिला सुरक्षा को लेकर पांच मोर्चों पर चर्चा की गई जिसमें कानूनी, जागरूकता, संस्कार, शिक्षा और आत्मरक्षा शामिल हैं. इन मोर्चों पर महिला सुरक्षा अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है.
संगठन के 100 साल पूरे होने पर कार्यक्रम की बनाई योजना
इसके अलावा, आरएसएस ने बताया कि पिछले साल उन्होंने हर राज्य और जिले में 472 महिला सम्मेलन आयोजित किए, जिसमें महिलाओं के मुद्दों, पश्चिमी फेमिनिज्म और भारतीय चिंतन पर चर्चा की गई. आरएसएस की बैठक में बंगाल, वायनाड और तमिलनाडु में हुई घटनाओं पर भी गंभीर चर्चा की गई. बांग्लादेश में हिंदू और अल्पसंख्यकों के मुद्दे को लेकर भी चिंता जताई गई और सरकार से इस पर कदम उठाने का आग्रह किया गया.
अंत में, आरएसएस ने अहिल्याबाई की 300वीं जयंती मनाने का निर्णय लिया और संगठन के 100 वर्षों के पूरे होने के अवसर पर पंच परिवर्तन के तहत सामाजिक परिवर्तन के लिए काम करने की योजना बनाई.
सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस समन्वय बैठक में कृषि पर चर्चा के दौरान जब किसान आंदोलन का विषय आया तो भारतीय किसान संघ को कहा गया है कि हम उन किसान संगठनों के बीच भी समन्वय बनाए जो संगठन आंदोलन चला रहे हैं, चाहे वो सिख किसान संगठन ही क्यों न हो.