पारसी कारोबारी जमशेदजी टाटा ने साल 1870 में टाटा ग्रुप की नींव रखी. उनकी शुरुआती कंपनियों में से एक एम्प्रेस मिल थी, जो साल 1874 में शुरू हुई. एम्प्रेस मिल का पूरा नाम वीविंग एंड मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड था और यह अपने दौर की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली कंपनी थी. जमशेदजी ने जब एम्प्रेस मिल की नींव रखी तो उनकी मंशा देश में अच्छी क्वालिटी के कपड़े तैयार करने की थी. उन्होंने अपनी फैक्ट्री के लिए दुनिया के तमाम कोने से अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई. शुरुआती दौर में वो कंपनी के कामकाज में इतना घुस गए थे कि हर फैसले खुद लिया करते थे. कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर मशीन तक, सब कुछ वही चुनते थे.
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15 लाख की पूंजी से शुरू की कंपनी
आर. गोपालकृष्णन और हरीश भट्ट लिखते हैं कि जमशेदजी ने एम्प्रेस मिल की शुरुआत 15 लाख रुपए की पूंजी से की थी, जो 150 साल पहले बहुत बड़ी रकम थी. बाद में 1886 से 1899 के बीच कैपिटल करीब दोगुना हो गया, लेकिन इस कंपनी का मुनाफा चौंकाने वाला था. साल 1913 आते-आते एम्प्रेस मिल की कुल कमाई कैपिटल के मुकाबले 30 गुना तक पहुंच गई. कंपनी के जिस शेयर की वैल्यू 500 रुपये हुआ करती थी, वो 5718 रुपए तक पहुंच गया.
7 करोड़ मुनाफा कमाकर इतिहास रच दिया
जून 1920 में एम्प्रेस मिल का टोटल प्रॉफिट 7 करोड़ रुपए पहुंच गया, जो उस जमाने में बहुत बड़ी रकम थी और मूल निवेश के मुकाबले 15 गुना ज्यादा थी. कंपनी ने जिस तरीके से मुनाफा कमाया, उसे दिल खोलकर बांटा भी. जमशेदजी टाटा ने निवेशकों के बीच मुनाफा बांटने का फैसला किया पहले पहले मन बनाया कि हर साल शेयरहोल्डर्स को 100% डिविडेंड देंगे. साल 1920 में जब कमाई का रिकॉर्ड टूट गया तो उन्होंने शेयरहोल्डर्स को 160% डिविडेंड दिया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था.
पहली कंपनी जिसमें पेंशन से लेकर PF की शुरुआत
आर. गोपालकृष्णन और हरीश भट्ट लिखते हैं कि एम्प्रेस मिल भारत की पहली कंपनी थी, जिसने अपने कर्मचारियों के लिए पेंशन फंड की शुरुआत की. साल 1887 में एम्प्रेस मिल के कर्मचारियों को पेंशन देने की शुरुआत हुई. इसके बाद 1895 में कंपनी ने दुर्घटना बीमा शुरू किया और 1901 में प्रोविडेंट फंड (PF) स्कीम लेकर आई. उस जमाने में भारत में यह सब कुछ एकदम नया था और पहली बार एम्प्रेस मिल में हो रहा था. जमशेदजी टाटा को इन योजनाओं के लिए कंपनी के मुनाफे से पैसे खर्च करने पड़े लेकिन वह पीछे नहीं हटे. जमशेदजी टाटा अक्सर कहा करते थे कि कर्मचारियों की भलाई मैनेजमेंट का जिम्मा है. उस दौर में एम्प्रेस मिल में नौकरी लोगों का सपना हुआ करता था.
पहली कंपनी जिसमें मैटरनिटी लीव की शुरुआत
एम्प्रेस मिल में काम करने वाले कर्मचारियों के बच्चों के लिए 7 नाइट स्कूल की शुरुआत हुई. जिनमें भाषा से लेकर संगीत और डांस तक सिखाया जाता था. इसके अलावा महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई जैसी चीजें भी सिखाई जाती थी. एम्प्रेस मिल भारत की पहली निजी कंपनी थी, जिसने महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव की शुरुआत की. साल 1921 में कंपनी ने अपने महिला कर्मचारियों को 2 महीने की पैड मैटरनिटी लीव देना शुरू किया. इसके अलावा मिल के कंपाउंड में दो क्रेच भी खोले गए, ताकि महिला कर्मचारियों के बच्चे वहां खेल कूद सकें और देखभाल हो पाए. साल 1921 में कंपनी के मैनेजमेंट ने नागपुर में एक गर्ल्स हाई स्कूल के लिए ग्रांट दिया, जिसका नाम टाटा गर्ल्स हाई स्कूल पड़ा.