हाल ही में चीन के कुनमिंग में एक त्रिपक्षीय बैठक हुई। इसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान और चीन शामिल थे। माना जा रहा है कि इसी बैठक में यह फैसला लिया गया। बताया जा रहा है कि कुनमिंग बैठक में यह तय हुआ कि दक्षिण एशिया के मौजूदा SAARC देशों को भी इस नए समूह में आमंत्रित किया जाएगा। हालांकि, बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने ऐसी किसी भी बैठक से इनकार किया है।
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उन्होंने यह भी कहा कि बीजिंग में कोई त्रिपक्षीय बैठक नहीं हुई। बीजिंग और इस्लामाबाद के बीच नए गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं हुई। इस बारे में बांग्लादेश की वर्तमान अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा, ”हम कोई गठबंधन नहीं बना रहे हैं।” हाल ही में चीन के कुनमिंग में हुई एक त्रिपक्षीय बैठक में क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। खबर है कि इसमें चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने हिस्सा लिया। यह बैठक मई में हुई चीन-पाकिस्तान-अफगानिस्तान त्रिपक्षीय बैठक का ही अगला चरण थी। इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का विस्तार और तालिबान शासित इस्लामिक अमीरात के साथ क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना था।
दूसरी ओर, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के संदर्भ में अफगानिस्तान का जुड़ना एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। 8 दिसंबर 1985 को बांग्लादेश के ढाका में SAARC चार्टर को अपनाने के साथ ही इस संगठन का गठन हुआ था। इसके शुरुआती सदस्यों की संख्या सात थी। बाद में, 2007 में अफगानिस्तान इस समूह में शामिल हुआ, जिससे SAARC का भौगोलिक और राजनीतिक दायरा और बढ़ गया।
2014 में काठमांडू में हुए सम्मेलन के बाद से SAARC देशों के राष्ट्राध्यक्षों की कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है। हालांकि, 2020 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अनोखी पहल की। उन्होंने कोविड-19 आपातकालीन कोष बनाने का प्रस्ताव रखने के लिए SAARC देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ पहली वर्चुअल बैठक की। इस कोष में भारत ने अपनी ओर से 10 मिलियन डॉलर का अनुदान देने का वादा किया।
इससे पहले, नवंबर 2016 में 19वां SAARC शिखर सम्मेलन पाकिस्तान के इस्लामाबाद में होना था। लेकिन उस साल उरी में हुए आतंकी हमले में 17 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद भारत ने इस सम्मेलन का बहिष्कार करने का फैसला किया। भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का आरोप लगाया था।
भारत के नक्शेकदम पर चलते हुए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी सम्मेलन से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने आतंकवाद और क्षेत्रीय मामलों में दखलअंदाजी पर अपनी चिंता जताई। इसके चलते, इस्लामाबाद सम्मेलन रद्द हो गया और उसके बाद से कोई नई तारीख तय नहीं की गई। इस घटना ने SAARC की कार्यक्षमता और भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नतीजतन, SAARC अभी तक निष्क्रिय ही बना हुआ है।
