Badrinath Dham doors closed: उत्तराखंड में होने वाली चार धाम यात्रा समाप्त हो गई. गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के बाद रविवार को भगवान बदरी विशाल के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो गए. हालांकि आखिरी दिन भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचे. भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार रात 9.07 बजे बंद कर दिए गए.
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आखिरी दिन दर्शन करने पहुंचे 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु
बता दें कि इस साल 14.20 लाख भक्तों ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए. जबकि आखिरी दिन दर्शन करने के लिए 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु बद्रीनाथ पहुंचे. जहां उन्होंने भगवान बदरी विशाल से सुख एवं समृद्धि की कामना की. श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन पूरे मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया था. जब बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद किए गए तब पुजारियों ने ‘जय श्री बद्री विशाल’ का उद्घोष किया.
सोमवार को प्रस्थान करेंगी देव डोलियां
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद आज (सोमवार) को देव डोलियां योग बदरी पांडुकेश्वर और जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेंगी. बता दें कि देव डोलियों की यात्रा बद्रीनाथ धाम के शीतकालीन पूजाओं की शुरुआत का प्रतीक होती हैं. इसके बाद 19 नवंबर को योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजा की शुरुआत हो जाएगी.
पांडुकेश्वर-जोशीमठ में कर सकेंगे भगवान बद्री विशाल के दर्शन
बता दें कि हर साल सर्दी के मौसम में भारी बर्फबारी की संभावना के चलते बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. जिसे शीतकाल कहा जाता है. इसके बाद भगवान बद्री विशाल की पूजा और दर्शन पांडुकेश्वर और जोशीमठ स्थित शीतकालीन तीर्थ स्थानों पर शुरू होता है. बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चार धामों में से एक है जो भगवान विष्णु को समर्पित है. यह मंदिर चमोली जिले में स्थित है. बद्रीनाथ धाम समुद्र तल से 10,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
जोशीमठ में है मंदिर का बेस कैंप
इस मंदिर के सामने नीलकंठ चोटी है. मंदिर का बेस कैंप जोशीमठ है. जहां भगवान नृसिंग का बेहद प्रसिद्ध मंदिर स्थिर है. जोशीमठ से बद्रीनाथ मंदिर की दूरी करीब 45 किलोमीटर है. जोशीमठ से ऊपर का रास्ता बेहद दुर्गम है. जहां गाड़ी से पहुंचना बेहद मुश्किल काम है. भगवान विष्णु के इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने कराया था. यहां भगवान विष्णु के दर्शन के लिए दूरदूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.