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March 10, 2025 9:52 pm

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गर्भवती महिलाओं के लिए कोकून हॉस्पिटल, जयपुर में बेबी शॉवर कार्यक्रम का आयोजन किया गया

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जयपुर, 23 फरवरी, 2025 – गर्भवती महिलाओं में बाल पालन पोषण हेतु संपूर्ण जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से कोकून हॉस्पिटल, जयपुर ने एक विशेष बेबी शॉवर कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में गर्भवती महिलाओं को सीखने, समझने और हर कंफ्यूजन को लेकर उसका उत्तर देने के लिए डॉक्टर्स उपस्थित रहे। इस दौरान कोकून हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. हिमानी शर्मा ने महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पोषण, सामान्य समस्याएं, सुरक्षित व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।

डॉ. हिमानी शर्मा ने कहा कि, “गर्भ में पल रहा बच्चा बाहरी उत्तेजनाओं का जवाब देता है। मधुर संगीत, जोर से पढ़ना और तनाव-मुक्त वातावरण भ्रूण के विकास पर शांत प्रभाव डाल सकता है। ध्यान और माइंडफुलनेस भी मां की भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जिससे तनाव हार्मोन को कम किया जा सकता है जो अन्यथा भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। ये सरल लेकिन प्रभावी अभ्यास जन्म से पहले भी बच्चे के लिए एक न्यूट्रिशन स्थान बना सकती हैं।”

 

साथ ही उन्होंने बताया कि “गर्भावस्था के दौरान छोटे-छोटे दैनिक आदतें बड़ा अंतर ला सकती हैं। आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड से भरपूर संतुलित आहार गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। नियमित हल्के व्यायाम जैसे कि चलना और प्रीनेटल योग रक्त संचार में सुधार करते हैं और जटिलताओं के जोखिम को कम करते हैं। हाइड्रेशन भी महत्वपूर्ण है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन कम से कम 10-12 गिलास पानी पीना चाहिए ताकि निर्जलीकरण और सूजन से बचा जा सके।

 

इस कार्यक्रम में गर्भसंस्कार वर्कशॉप भी शामिल थी, जिसमें गर्भवती महिलाओं को भ्रूण के विकास को बढ़ावा देने वाली पारंपरिक नियमों के बारे में बताया गया। इस सत्र में यह बताया गया कि सकारात्मक सोच, ध्यान, संगीत और जीवनशैली के विकल्प भ्रूण के विकास को कैसे प्रभावित कर सकते हैं और जन्म से पहले मां और बच्चे के बीच एक मजबूत बंधन बना सकते हैं।

 

कोकून हॉस्पिटल, जयपुर के यूनिट हेड डॉ. दिलशाद खान ने कहा कि, “गर्भवती महिलाओं को अपने शरीर के संकेतों का ध्यान रखना चाहिए। किसी भी असामान्य सूजन, अचानक वजन बढ़ने या लगातार सिरदर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये प्री-एक्लेमप्सिया जैसी स्थितियों के संकेत हो सकते हैं। ऐसे में उन्हें समय रहते डॉक्टर से परामर्श करना बहुत जरूरी है। नियमित जाँच से माँ और बच्चे दोनों की सेहत सुनिश्चित होती है। इस कार्यक्रम के जरिए हमारा लक्ष्य सिर्फ जश्न मनाना ही नहीं था, बल्कि सार्थक, व्यावहारिक मार्गदर्शन भी देना था, जिसे गर्भवती महिलाएं हर दिन लागू कर सकती हैं।

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

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