सऊदी अरब झटके पर झटका क्यों दे रहा पाकिस्तान जैसे देशों को?

 
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सऊदी अरब अपने विदेशी कर्ज की नीति को कड़ा करने जा रहा है। पाकिस्तान और मिस्र जैसे देश जो बहुत हद तक सऊदी अरब की मदद पर निर्भर हैं, उन्हें इससे काफी नुकसान होने वाला है। सऊदी अरब अब विदेशों को कर्ज देने के बजाए अपने घरेलू विकास परियोजनाओं पर खर्च बढ़ा रहा है।

नई दिल्ली। सऊदी अरब आए दिन ऐसी घोषणाएं कर रहा है जिससे उसकी मदद पर निर्भर पाकिस्तान जैसे देशों की हालत और पतली होने वाली है। सऊदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जादान ने कहा है कि उनका देश विदेशी सहायता देने के अपने दृष्टिकोण को बदलेगा। उन्होंने कहा है कि सऊदी अरब में अंतरराष्ट्रीय निवेश को मजबूत करने के लिए वो भविष्य में दी जाने वाली विदेशी मदद की प्रक्रिया और शर्तों को कठिन बनाएगा। सऊदी की तरफ से यह घोषणा ऐसे वक्त में की गई है जब पाकिस्तान और मिस्र जैसे देश उसकी मदद पर निर्भर है और हाल ही में इन देशों को सऊदी ने मदद की घोषणा की है।

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सऊदी के वित्त मंत्री ने इस बारे में पहली बार 18 जनवरी को स्विट्जरलैंड के दावोस में वार्षिक विश्व आर्थिक मंच पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब बिना शर्त किसी देश को लोन नहीं देगा और न ही उन देशों के बैंकों में अपने पैसे बिना शर्त जमा करेगा।

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सऊदी अरब का कहना है कि वह अपने लोगों पर कर लगा रहा है इसलिए बाकी देशों को भी चाहिए कि वो अपने आर्थिक विकास के लिए रास्ते निकालें। 

वित्त मंत्री ने दावोस में कहा था, 'हम बिना किसी शर्त के सीधे कर्ज और जमा राशि देते थे लेकिन अब हम इसे बदल रहे हैं। हम बहुपक्षीय संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि हम यह कह सकें कि हम अपने आर्थिक मदद देने के तरीकों में बदलाव करने की जरूरत है। हम अपने लोगों पर कर लगा रहे हैं और हम दूसरों से भी ऐसा करने की अपेक्षा करते हैं।'

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विजन 2030 से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर बढ़ा सऊदी अरब का खर्च

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'विजन 2030' से जुड़ी परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए अपनी तेल आधारित अर्थव्यवस्था में बदलाव की कोशिश कर रहे हैं। माना जा रहा है कि विजन 2030 से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर खर्च करने के लिए सऊदी अरब विदेशी कर्ज नीति को सख्त बना रहा है। वो अब विदेशों की मदद करने से ज्यादा नियोम जैसे घरेलू मेगा प्रोजेक्ट्स पर जोर दे रहा है।

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कुछ अर्थशास्त्रियों ने इस वर्ष खाड़ी के अरब देशों के लिए धीमी आर्थिक वृद्धि की भविष्यवाणी की है। सऊदी अरब ने नई महत्वाकांक्षी विकास प्रोजेक्ट्स की रूपरेखा तैयार की है और ऐसे में धीमी आर्थिक वृद्धि की खबरों ने उसकी चिंताओं को बढ़ा दिया है। इसलिए वो विदेशी कर्ज की नीति को सख्त कर रहा है। 

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