नौ दिन से मैक्रों के एक फैसले से आखिर क्यों जल रहा फ्रांस?

 
france protest

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने हाल ही में देश में रिटायरमेंट की उम्र 62 साल से बढ़ाकर 64 कर दी थी। इसके लिए फ्रांस की संसद में वोटिंग होनी थी लेकिन बताया जा रहा है कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने एक संवैधानिक प्रावधान के जरिए संसद में बिना वोटिंग के ही इस कानून को लागू कर दिया।

 

नई दिल्ली। फ्रांस सरकार के एक फैसले के विरोध में बीते नौ दिनों से लोग सड़कों पर हैं। लोगों में नए पेंशन सुधार कानून को लेकर गुस्सा है। मैक्रों सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोग अब उग्र हो गए हैं। इस बीच गुरुवार को हजारों प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की और जमकर उत्पात मचाया। पुलिस ने भी उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। 

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मध्य पेरिस में जहां आमतौर पर प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से होते हैं। वहां प्रदर्शनकारियों को उग्र होते देखा गया। यहां कई दुकानों की खिड़कियां तोड़ दी गईं, स्ट्रीट फर्नीचर नष्ट कर दिया गयाऔर रेस्तरां में तोड़फोड़ की गई। प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार भी की गई। पुलिस ने अब तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया है। 


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क्यों हो रहा है विरोध? 
मैक्रों सरकार ने हाल ही में एकतरफा ढंग से देश में रिटायरमेंट की उम्र 62 साल से बढ़ाकर 64 कर दी थी। मैक्रों सरकार ने ये फैसला बिना मतदान के किया था। 

सरकार का तर्क है कि फ्रांस के पेंशन सिस्टम को कंगाल होने से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके लिए फ्रांस की संसद में वोटिंग होनी थी लेकिन बताया जा रहा है कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने एक संवैधानिक प्रावधान के जरिए संसद में बिना वोटिंग के ही इस कानून को लागू कर दिया।

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लेबर यूनियन्स को डर है कि अगर सरकार ने पेंशन सुधारों को लेकर जनता के बढ़ रहे गुस्से को शांत नहीं किया तो प्रदर्शन भविष्य में और भी हिंसक हो सकते हैं।

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