जब पूर्व पाक PM नवाज शरीफ को तुर्की में कबाब खाने से रोक दिया गया! हुई फजीहत

नवाज शरीफ 1999 में तुर्की में आए भूकंप के दौरान मना करने के बावजूद जबरदस्ती तुर्की चले गए थे। वहां भूकंप प्रभावितों से मिलने के बाद वो राजधानी अंकारा के प्रसिद्ध कबाब खाने की जिद कर बैठे थे। वो चाहते थे कि दुकान में जाकर कबाब का आनंद ले लेकिन उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया।
नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ गुरुवार को भूकंप प्रभावित तुर्की दौरे पर गए जिसे लेकर पाकिस्तान के कई राजनयिकों ने उनकी आलोचना की है। ऐसे वक्त में जब तुर्की के प्रधानमंत्री सहित सभी नेता और अधिकारी अपने लोगों को राहत पहुंचाने में लगे हैं, शहबाज शरीफ का दौरा उनके लिए परेशानी बढ़ाने वाला है। इसी तरह का कदम शहबाज शरीफ के बड़े भाई नवाज शरीफ ने उठाया था जिसे लेकर उनकी फजीहत आज तक की जाती है। वह आपदा के वक्त तुर्की की आनाकानी के बावजूद वहां चले गए थे और हद तो तब हो गई जब उन्होंने परेशान मुल्क में जाकर कबाब की मांग कर दी।
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ये वाकया साल 1999 का है जब तुर्की में 7।6 तीव्रता के भूकंप ने 17,000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी। उस दौरान नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे। इस किस्से का जिक्र तुर्की में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत ने एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री सरताज अजीज ने उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन किया। उन्होंने कहा कि भूकंप प्रभावितों के प्रति संवेदना जताने के लिए नवाज शरीफ तुर्की जाना चाहते हैं।
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राजदूत ने सरताज अजीज से कहा कि फिलहाल तुर्की एक बड़ी आपदा से जूझ रहा है। यहां के पीएम और सभी नेता बहुत व्यस्त हैं। और अगर किसी देश का पीएम ऐसे मौके पर उठकर चला आता है तो हर किसी को उसकी मेजबानी में लगना पड़ेगा। तुर्की के पीएम को प्रोटोकॉल के तहत अपने मित्र देश के पीएम का स्वागत करना पड़ेगा, उनके साथ रहना पड़ेगा। राजदूत ने विदेश मंत्री को समझाया कि बेहतर है पीएम शरीफ अभी तुर्की न आएं।
नवाज शरीफ को जब यह पता लगा कि उन्हें तुर्की जाने से रोका जा रहा है तो वह बेहद नाराज हुए और उन्होंने अपने विदेश मंत्री से कहा कि वो खुद राजदूत से बात करना चाहते हैं। राजदूत ने नवाज शरीफ को बहुत समझाया कि वो तुर्की न आएं लेकिन जब वो नहीं माने तो राजदूत ने कहा कि वह एक हफ्ते बाद तुर्की आ जाएं।
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पूरी टीम लेकर तुर्की पहुंचे थे नवाज
नवाज शरीफ राजदूत की बात मानकर एक हफ्ते बाद तुर्की जाने के लिए राजी हो गए। एक हफ्ते बाद वो अपनी एक बड़ी टीम जिसमें फौज के बहुत से लोग शामिल थे, के साथ तुर्की पहुंचे। वहां पहुंचकर नवाज शरीफ ने तुर्की के तत्कालीन प्रधानमंत्री से मुलाकात की और फिर हेलिकॉप्टर में उनके साथ बैठकर भूकंप प्रभावित इलाकों का जायजा लिया।
इसके बाद नवाज शरीफ अंकारा स्थित अपने होटल में आ गए। शरीफ जिस होटल में रुके थे, उसी गली में बेहद ही मशहूर कबाब की एक दुकान थी। राजदूत ने बताया था कि नवाज शरीफ भूकंप में मरे हुए लोगों और प्रभावितों के आंसू देखकर आए थे और फिर भी होटल में आकर वो कहने लगे कि उसी दुकान में कबाब खाने चला जाए।
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'हमारे दुख में शरीक होने आया है या कबाब खाने'
राजदूत ने नवाज शरीफ को समझाया कि ये गली और कबाब की दुकान तुर्की में बेहद मशहूर हैं इसलिए आप वहां न जाएं, कबाब यहीं मंगा लिया जाएगा। अगर आप वहां चलकर जाते हैं तो आपके साथ आपकी सिक्योरिटी जाएगी, आपकी पूरी टीम जाएगी और लोगों को पता चल जाएगा कि पाकिस्तान के पीएम कबाब खाने जा रहा है। लोग कहेंगे कि पाकिस्तान का पीएम हमारे दुख में शरीक होने के लिए तुर्की आया और आते ही उसे कबाबों की पड़ी है।
पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत ने बताया था कि नवाज शरीफ को वो कबाब इतने पसंद थे कि वो अमेरिका से लंदन जाते समय भी तुर्की में रुकते थे और वो कबाब खाते थे। बताया जाता है कि एक बार उस कबाब बनाने वाले को नवाज शरीफ ने पाकिस्तान में बतौर अतिथि बुलाया था और उसके बने कबाब खाए थे।
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शहबाज शरीफ ने भी भाई की तरह की तुर्की जाने की जिद
पाकिस्तान के पत्रकार सैयद अली हैदर ने इस किस्से का जिक्र करते हुए कहा कि नवाज शरीफ को भी राजनयिकों ने यही बात समझाई होगी कि वो तुर्की न जाएं। उन्होंने कहा कि शहबाज शरीफ अपने देश के लोगों को परेशान हाल में छोड़ तुर्की जा रहे हैं।
शहबाज शरीफ तुर्की में भूकंप के ठीक दो दिन बाद 8 फरवरी को वहां जाने वाले थे लेकिन उसी दिन उनका दौरा खराब मौसम और तुर्की में चल रहे राहत कार्य का हवाला देते हुए रद्द कर दिया गया। लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि खुद तुर्की ने शहबाज शरीफ को अपने देश आने से मना कर दिया है ताकि राहत कार्य में किसी तरह की बाधा न आए।
पत्रकार अली हैदर ने कहा कि शहबाज शरीफ ने तुर्की जाने के लिए ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस को रद्द कर दिया जो पाकिस्तान की मुश्किलों पर बात करने के लिए बुलाई गई थी। इस कॉन्फ्रेंस में शहबाज शरीफ सभी पार्टी के नेताओं से पाकिस्तान के हालिया आतंकी हमलों से निपटने के लिए बात करने वाले थे लेकिन उन्होंने यह कॉन्फ्रेंस तुर्की जाने के लिए रद्द कर दी। उन्हें तुर्की का दौरा भी रद्द करना पड़ा क्योंकि वहां के पीएम अपने लोगों की देखरेख में व्यस्त थे।
In a meeting with my brother H.E. President @RTErdogan, I expressed profound condolences to him on behalf of people & govt of 🇵🇰. I assured him of our steadfast support to 🇹🇷. I am confident that under President's leadership, Türkiye will emerge from this catastrophe stronger.
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) February 16, 2023
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'तुर्की को पाकिस्तान के मदद की जरूरत नहीं'
पाकिस्तानी पत्रकार ने कहा, 'हमारे पीएम यह भूल गए हैं कि अभी भी हमारे यहां बाढ़ के बाद बहुत से लोगों को मदद नहीं पहुंची है। अभी भी पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित बहुत से लोग खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं। आतंकवाद अपना सिर उठा चुका है। इसकी उनको कोई परवाह नहीं है। आप वहां जाने के बजाए मदद पहुंचाए। पाकिस्तान मदद पहुंचा भी रहा है हालांकि, तुर्की को हमारी मदद की जरूरत है भी नहीं। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार भी बस तीन अरब डॉलर के करीब रह गया है और तुर्की का केवल निर्यात ढाई सौ अरब डॉलर का है। उनको तो हमारी मदद की भी जरूरत नहीं।'
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बहरहाल, शहबाज शरीफ ने तुर्की के प्रधानमंत्री रेचेप तैय्यप एर्दोगन से अपनी मुलाकात को लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें वो लिखते हैं, 'मेरे भाई एर्दोगन के साथ एक बैठक में मैंने पाकिस्तान की सरकार और लोगों की ओर से उनके प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। मैंने तुर्की को हमारे दृढ़ समर्थन का आश्वासन दिया। मुझे विश्वास है कि राष्ट्रपति के नेतृत्व में तुर्की इस आपदा से और मजबूती से उभरेगा।'
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