पानी की बोतलों में होते हैं टॉयलेट सीट के मुकाबले 40,000 गुणा ज़्यादा बैक्टीरिया: अध्ययन

 
water bottal

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने समझाया है कि ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की वजह से ऐसे इन्फेक्शन पैदा हो सकते हैं, जो एन्टी-बायोटिक दवाओं के भी प्रतिरोधी होते हैं, कुछ प्रकार के बैसिलस की वजह से गैस्ट्रो-इन्टेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं।

 

नई दिल्ली। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि दोबारा इस्तेमाल की जा सकने वाली बोतलों में एक औसत टॉयलेट सीट की तुलना में 40,000 गुणा ज़्यादा जीवाणु (बैक्टीरिया) मौजूद हो सकते हैं।

विज्ञापन: "जयपुर में निवेश का अच्छा मौका" JDA अप्रूव्ड प्लॉट्स, मात्र 4 लाख में वाटिका, टोंक रोड, कॉल 8279269659

हफपोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका स्थित वॉटरफिल्टरगुरु.कॉम के शोधकर्ताओं की एक टीम ने टोंटी-नुमा ढक्कन, स्क्रू-नुमा ढक्कन, अलग होने वाले ढक्कन और दबाकर बंद होने वाले ढक्कन वाली बोतलों के अलग-अलग हिस्सों से तीन-तीन बार स्वैब उठाए, और उन पर दो तरह के बैक्टीरिया मौजूद पाए - ग्राम-नेगेटिव रॉड्स और बैसिलस।

ऑस्ट्रेलियाई कैथोलिक यूनिवर्सिटी में मनोवैज्ञानिक और होर्डिंग डिसऑर्डर विशेषज्ञ एसोसिएट प्रोफेसर केओंग याप ने इस खोज की तुलना बच्चों द्वारा तनाव को खत्म करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली वस्तुओं (स्टफ्ड टॉय आदि) से करते हुए कहा, "ये वे वस्तुएं हैं, जो हमें धोखा नहीं दे सकतीं... वे भरोसेमंद हैं, और उन लोगों की तरह नहीं हैं, जो हमें चोट पहुंचा सकते हैं..."

यह खबर भी पढ़ें: 'दादी के गर्भ से जन्मी पोती' अपने ही बेटे के बच्चे की मां बनी 56 साल की महिला, जानें क्या पूरा मामला

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने समझाया है कि ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की वजह से ऐसे इन्फेक्शन पैदा हो सकते हैं, जो एन्टी-बायोटिक दवाओं के भी प्रतिरोधी होते हैं, कुछ प्रकार के बैसिलस की वजह से गैस्ट्रो-इन्टेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने बोतलों की सफाई की तुलना रोज़मर्रा की घरेलू वस्तुओं से की और बताया कि एक बोतल में रसोई के सिंक की तुलना में दोगुने कीटाणु होते हैं, कम्प्यूटर माउस की तुलना में चार गुणा अधिक और पालतू पशु के भोजन के बर्तन की तुलना में 14 गुणा अधिक बैक्टीरिया हो सकते हैं।

न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, इम्पीरियल कॉलेज लंदन में मॉलिक्यूलर माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ एंड्रयू एडवर्ड्स ने कहा, "मानव का मुंह बड़ी तादाद में जीवाणुओं की विभिन्न श्रेणियों का घर है... इसलिए कतई हैरानी की बात नहीं कि पीने के बर्तन माइक्रोब्स से ढके रहते हैं..."

यह खबर भी पढ़ें: महिला टीचर को छात्रा से हुआ प्यार, जेंडर चेंज करवाकर रचाई शादी

भले ही पानी की बोतलें बड़ी तादाद में बैक्टीरिया पैदा कर सकती हैं, यूनिवर्सिटी ऑफ़ रीडिंग के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ साइमन क्लार्क के मुताबिक, यह ज़रूरी नहीं है कि बोतलें खतरनाक साबित हों। उन्होंने कहा, "मैंने कभी किसी शख्स के पानी की बोतल से बीमार होने के बारे में नहीं सुना... इसी तरह, नल भी साफतौर पर कोई समस्या नहीं हैं... आपने आखिरी बार किसी नल से एक गिलास पानी लेने से किसी के बीमार होने के बारे में कब सुना था...? पानी की बोतलें उस बैक्टीरिया से दूषित हो सकती हैं, जो पहले से लोगों के मुंह में मौजूद हैं..." 

यह खबर भी पढ़ें: 'मेरे बॉयफ्रेंड ने बच्चे को जन्म दिया, उसे नहीं पता था वह प्रेग्नेंट है'

इसके अलावा, अध्ययन से यह भी पता चला है कि जिन तरह की बोतलों का परीक्षण किया गया, उनमें दबाकर बंद होने वाले ढक्कन वाली बोतलें सबसे साफ होती हैं, और उनमें स्क्रू-नुमा ढक्कन या स्ट्रॉ-फिटेड ढक्कन वाली बोतलों की तुलना में सिर्फ 10वां हिस्सा बैक्टीरिया होते हैं। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाली बोतलों को हर रोज़ कम से कम एक बार गर्म पानी और साबुन से धोया जाना चाहिए, और हर हफ्ते कम से कम एक बा उसे सैनिटाइज़ किया जाना चाहिए।

Download app : अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप

From around the web