US चीन को बड़ा झटका देने की तैयारी में, रूसी एयरस्पेस से आने वाली फ्लाइट्स पर लगा सकता है बैन

मालूम हो कि ऐसे देशों की एयरलाइन्स जिनका रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से कुछ खास लेना-देना नहीं है, उनकी कमाई में इजाफा हुआ है। इनमें चाइना ईस्टर्न, अमीरात और एयर इंडिया शामिल हैं।
वाशिंगटन। चीन को अमेरिका बड़ा झटका देने की तैयारी में है। अमेरिकी परिवहन विभाग उन चीनी एयरलाइनों पर प्रतिबंध लगा सकता है जो रूसी एयरस्पेस का इस्तेमाल कर रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के तीन अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि इन फ्लाइट्स का इस्तेमाल यात्रियों के यूएस पहुंचाने में होता है। इसे लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा दल और अन्य को पिछले सोमवार को आदेश दिया गया था जिसमें इस तरह का ऐक्शन लेने की बात कही गई थी।
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US एयरलाइन की लॉबिंग के चलते इस तरह की बात सामने आई है। इंडस्ट्री ट्रेड ग्रुप फॉर अमेरिका के अनुसार, उन विदेशी प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में अमेरिकी एयरलाइन को सलाना तौर पर मार्केट शेयर में 2 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है, जिन पर रूसी सीमा के ऊपर से उड़ान भरने पर रोक नहीं लगी है। ग्रुप ने बाइडेन प्रशासन से गुजारिश की है कि रूस के एयरस्पेस से होकर आने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के खिलाफ ऐक्शन लिया जाए। इस तरह की फ्लाइट्स को यूएस एयरपोर्ट पर लैंड, डिपार्ट या ट्रांसिट होने की इजाजत न दी जाए।
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किन एयरलाइन्स को हुआ फायदा
ऐसे देशों की एयरलाइन्स जिनका यूक्रेन विवाद से कुछ खास लेना-देना नहीं है, उनकी कमाई में इजाफा हुआ है। इनमें चाइना ईस्टर्न, अमीरात और एयर इंडिया शामिल हैं। इसकी वजह ये है कि वे रूस के विस्तृत क्षेत्र में चक्कर लगाए बिना सबसे छोटे मार्ग से उड़ान भर सकती हैं। दूसरी ओर, अमेरिकी कैरियर्स को नो-गो जोन को दरकिनार करने के लिए अधिक सर्किट वाले मार्गों पर ईंधन भरने से बचना होता है। इसके लिए जेट को हल्का बनाने के मकसद से दर्जनों खाली सीटों के साथ लंबी दूरी की उड़ानें ऑपरेट करनी पड़ती हैं।
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US एयरलाइन को बदलनी पड़ी नीति
एशिया के सबसे सीधे मार्गों तक पहुंच से वंचित होने पर अमेरिका को अपनी नीति बदलनी पड़ी। US कैरियर्स को टोक्यो, सियोल और मुंबई जैसे एक दर्जन से अधिक हॉटस्पॉटों को सीधी सर्विस मुहैया कराने की योजना को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी एयरलाइंस की ओर से उन यात्रियों को मनाने का प्रयास जारी है जो उसके लिए अधिक धन और समय खर्च करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसे लेकर यूएस की ओर से बताया जाता है कि रूस के ऊपर उड़ान भरना वास्तव में जोखिम भरा है। लॉबिंग ग्रपु 2014 में यूक्रेन में MH17 के पतन और पिछले साल मास्को हवाई अड्डे पर ब्रिटनी ग्राइनर की गिरफ्तारी का उदाहरण देता है।
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