यूक्रेन की नजर अमेरिका की ATACMS हाई-टेक मिसाइल पर, टैंक के बाद जेलेंस्की ने की ये डिमांड

पश्चिमी देशों से टैंक हासिल करने के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका से नई डिमांड शुरू कर दी है। जेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल चाहिए। इसलिए अमेरिका को अपनी ATACMS मिसाइल यूक्रेन को देना चाहिए। इसकी रेंज 297 किलोमीटर है।
नई दिल्ली। अमेरिका, जर्मनी और कनाडा से टैंक हासिल करने के बाद अब यूक्रेन की नजर US की हाई-टेक ATACMS मिसाइल पर है। यू्क्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने इस मिसाइल को हासिल करने की इच्छा जाहिर की है। जेलेंस्की ने कहा, 'रूस से लगातार हो रहे हमलों को यूक्रेन रोकना चाहता है। इसके लिए हमें अमेरिका की ATACMS मिसाइल की जरूरत है। लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली इस मिसाइल की रेंज 185 मील (297 किमी) है।'
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अमेरिका की ATACMS मिसाइल से यूक्रेन के ऑपरेशनल कमांडर्स को भीषण युद्ध में बढ़त मिल सकती है। इसे US की लॉकहीड मार्टिन कॉर्पोरेशन (Lockheed Martin) ने तैयार किया है। यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है। इससे पहले जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से भारी तादाद में टैंक देने की मांग की थी, जिसके बाद अमेरिका ने 31 एम1 अबराम युद्धक टैंक देने का फैसला किया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसकी घोषणा की थी। इसके अलावा जर्मनी ने भी 14 ‘लेपर्ड 2 ए 6’ टैंक भेजने का वादा किया है। इसके अलावा कनाडा भी यूक्रेन को 4 लेपर्ड-2 टैंक भेजने जा रहा है। टैंक की डिमांड पूरी होने के बाद अब जेलेंस्की ने अमेरिकी मिसाइल की मांग करनी शुरू कर दी है।
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क्यों पड़ी टैंक की जरूरत?
रूस शुरू से ही यूक्रेन पर आक्रामक तरीके से हमला कर रहा है। इसका एहसास रूस कई बार करा चुका है। रूसी हमलों से जबरदस्त नुकसान के बाद ही यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से टैंक की मांग शुरू की थी। यूक्रेन एक तरफ अपनी बची हुई जमीन रूस के हाथ जाने नहीं देना चाहता तो वहीं पहले कब्जाई जा चुकी जमीन को फिर हासिल करने के लिए भी उसे भारी तादाद में गोला-बारूद की जरूरत है। मेड इन जर्मनी लेपर्ड-2 टैंक के साथ ही अमेरिका का अबराम एम-1 टैंक बेहद अत्याधुनिक टैंक माना जाता है।
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लेपर्ड-2 टैंक इतना खास क्यों?
लेपर्ड-2 टैंक को जर्मनी की क्रौस-मफेई वेगमैन ने बनाया है। कंपनी का दावा है कि ये दुनिया के सबसे खतरनाक बैटल टैंक में से एक है। दावा ये भी है कि इस टैंक की क्षमता लगभग पचास सालों तक बरकरार रहती है।
इस टैंक का वजन 55 टन है। इसमें चार जवान बैठ सकते हैं। इस टैंक की रेंज लगभग 450 किलोमीटर तक है। ये टैंक 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है।
इसके अब तक चार वैरिएंट्स आ चुके हैं। इसका सबसे पहला वैरिएंट 1979 में सर्विस में आया था। 120 मिमी स्मूथ बोर गन लगी होती है। इसमें डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम दिया गया है।
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ये टैंक 11 मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा है। इस टैंक की खास बात ये है कि अगर दुश्मन की ओर से रिटर्न फायर किया जाता है, तब भी इसके अंदर बैठे सैनिक सुरक्षित रहते हैं।
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