पाकिस्तान के लिए चारों ओर से आफत, बात नहीं बन रही IMF से, UAE और सऊदी की मदद नहीं आई काम

 
Pakistan China Economy

पड़ोसी देश पाकिस्तान के लिए आईएमएफ से बात नहीं बन पा रही है। लोन इश्यू करने के मुद्दे पर 10वीं बैठक नाकाम रही है, जिसके लिए पाकिस्तान ने वित्तीय संस्थान पर राजनीति करने का आरोप लगा रहा है।

 

नई दिल्ली। गले तक कर्ज में डूबा पाकिस्तान हर रोज आईएमएफ की तरह आशा की नजरों से देख रहा है। मगर अपने नियमों को लेकर सख्त आईएमएफ लोन इश्यू करने में वक्त लगा रहा है। राहत कोष में मिलने में रही देरी से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। वहां हर रोज आम जिंदगी की माली हालत खराब हो रही है,  विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो रहा है। पाकिस्तान के लिए आईएमएफ की तरफ से आर्थिक राहत मिलने की संभावना हर बीतते दिन के साथ कम होती जा रही है। इसके बावजूद, 30 जून 2023 की निर्धारित समय सीमा से पहले लोग इश्यू करने की राह का मूल्यांकन किया जा रहा है। 6.5 अरब डॉलर के ईएफएफ के तहत ग्यारहवीं समीक्षा बुधवार को लागू होने जा रही है, जबकि नौवीं समीक्षा अभी अधूरी है। 10वीं समीक्षा भी अधर में लटकी रही जिसके लिए आईएमएफ और पाकिस्तान एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

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पाकिस्तान-आईएमएफ के बीच ठनी
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक यह मामला पिछले 80 दिनों से लंबित है। आईएमएफ का कहना है कि वह पाकिस्तान को मिलने वाली बाहरी आर्थिक सहायता का इंतजार कर रहा है। पाकिस्तान को सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से तीन अरब डॉलर के विदेशी निवेश की गारंटी दी गई थी है। हालांकि, आईएमएफ, विश्व बैंक और एआईआईबी से 2 अरब डॉलर की और आपूर्ति की पुष्टि चाहता है।

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पाकिस्तान लगा रहा है राजनीति का आरोप
इससे पहले, आईएमएफ कर्मचारी स्तर पर अपना विरोध जता चुका है। 2 से 3 बिलियन डॉलर के अतिरिक्त बाहरी वित्तपोषण के बिना आईएमएफ कर्मचारी स्तर पर सहमत होने के लिए तैयार नहीं है। दूसरी ओर, पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि आईएमएफ पाकिस्तान के साथ राजनीति कर रहा है, "कर्मचारी स्तर का समझौता बहुत पहले हो जाना चाहिए था। यह कोई राजनीतिक खेल नहीं है।"

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पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के पूर्व सलाहकार डॉ. खाकान नजीब ने कहा कि आईएमएफ की अभी नौवीं समीक्षा अधूरी है, जबकि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर केवल 4.4 अरब डॉलर रह गया है।

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