आर्थिक संकट में फंसा पाकिस्तान अब बड़ा झटका देने जा रहा दोस्त चीन को 

 
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पाकिस्तान ने कहा है कि वो मेगा रेलवे प्रोजेक्ट में लगने वाले पैसे को चुका नहीं पाएगा। पाकिस्तान इस संबंध में चीन से बात करने वाला है कि प्रोजेक्ट की लागत को कम कर दिया जाए। पाकिस्तान पहले ही चीनी कर्ज के बोझ तले दबा है और इस प्रोजेक्ट के बाद उस पर चीन का और अधिक लोन बढ़ जाएगा।

नई दिल्ली। आर्थिक बदहाली से जूझते पाकिस्तान को चीन की बड़ी परियोजनाएं अब भारी पड़ रही है। पाकिस्तान में चीन की कई बड़ी परियोजनाएं अटकती नजर आ रही हैं। अब पाकिस्तान के एक मंत्री ने कहा है कि उनका देश अपनी मेगा रेलवे प्रोजेक्ट की लागत को 40% तक कम करने के लिए चीन के साथ बात करने की योजना बना रहा है। उनका कहना है कि पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट में लगने वाले इतने अधिक चीनी लोन को नहीं चुका पाएगा इसलिए प्रोजेक्ट की लागत को कम करने के लिए चीन से बातचीत की जाएगी।

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पाकिस्तान के रेल मंत्री ख्वाजा साद रफीक ने सोमवार को लाहौर में कहा कि मंत्रालय इस संबंध में पाकिस्तान के कैबिनेट की मंजूरी लेगा और फिर चीन से बात करेगा।

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नवंबर 2022 में चीन और पाकिस्तान कराची से पेशावर तक 1,163 मील के रेलवे ट्रैक को अपग्रेड करने पर सहमत हुए थे। लेकिन इसकी लागत देखकर पाकिस्तान के पसीने छूट गए हैं। पहले से ही चीनी कर्ज तले दबा पाकिस्तान अब और अधिक चीनी कर्ज का भार सहन करने में सक्षम नहीं है। पाकिस्तानी रेल मंत्री रफीक ने कहा, 'हम इतना बड़ा कर्ज कैसे चुकाएंगे।'

पाकिस्तान में यह प्रोजेक्ट चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा है। पाकिस्तान चीन की इस पहल में शामिल होने वाला एक प्रमुख देश रहा है। BRI के तहत चीन पाकिस्तान में 29 अरब डॉलर से अधिक की परियोजनाओं पर काम कर रहा है। 

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बिजली की कमी से जूझते पाकिस्तान में चीन ने कई पावर प्लांट लगाए हैं। इन प्रोजेक्ट्स से पाकिस्तान को फायदा तो हुआ है लेकिन उस पर चीनी कर्ज का बोझ बहुत अधिक बढ़ गया है। 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि पाकिस्तान के कुल विदेशी कर्ज का 30% हिस्सा चीन का है। चीन ने पाकिस्तान को 30 अरब डॉलर का कर्ज दिया है। यह पैसा पाकिस्तान के IMF से लिए गए लोन का तिगुना है।

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IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने हाल ही में कहा है कि चीन को अपने कर्ज देने की नीति में बदलाव करने की जरूरत है क्योंकि कम आय वाले देश उससे कर्ज तो ले लेते हैं लेकिन चुका नहीं पाते।

चीन अफ्रीका, एशिया के कम विकसित देशों को इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ी करने और विकास के नाम पर भारी कर्ज देता है। बदले में वह उनके संसाधनों का दोहन करता है। चीन पर गरीब देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसाने के आरोप लगते रहते हैं। 

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