जाल 2% इंट्रेस्ट लोन का, कहीं बांग्लादेश भी चीन के चक्कर में पड़कर न बन जाए श्रीलंका

 
china and bangladesh

Bangladesh China: साल 2016 में शी जिनपिंग के बांग्लादेश का दौरे के बाद दोनों देशों के बीच 27 अलग अलग समझौते हुए थे। चीन की तरफ से बेल्ट रोड इनिशियेटिव (बीआरआई) के तहत तकरीबन 38 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। कर्ज का आलम ये है कि चीन ने बांग्लादेश में कर्णफुली नदी के नीचे से बनने वाले बंगबधु टनल और पद्म ब्रिज रेल लिंक जैसी परियोजनाओं को फाइनेंस किया।

 

नई दिल्ली। 1971 में अस्तित्व में आए बांग्लादेश चीनी कर्ज में फंसता जा रहा है। बांग्लादेश के भारत के साथ रिश्ते अच्छे रहे हैं। बांग्लादेश की आज़ादी के 50 साल पूरे होने पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश का दौरा किया। चीन भी अपने को दुनिया की एक बड़ी ताकत बनाने के लिए BRI प्रोजेक्ट को भी तेजी से आगे बढ़ाने लगा और बांग्लादेश को भी अपने कर्ज के जाल में फंसाने लगा। चीन ने उसे 2 प्रतिशत पर लोन दिया है, जिससे उबरना बांग्लादेश के लिए आसान नहीं लगता।

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शनिवार को ढाका में बांग्लादेश और चीन के फ़ॉरन ऑफिस कंसलटेंशन की 12वीं बैठक में निवेश को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक में बांग्लादेश के विदेश सचिव मौसुद बिन मोमेन और वाइस मिनिस्ट्री फ़ॉरन अफ़ेयर्स सुन विडॉंग मौजूद थे। इस बैठक में परियोजनाओं पर चर्चा के साथ चीन की तरफ़ से दी जारी व्यापार छूट पर बात हुई। बैठक में जो बात हुई उससे साफ है कि चीन किसी भी तरह से बांग्लादेश पर अपना वर्चस्व नहीं छोड़ना चाहता।

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जिनपिंग के 2 प्रतिशत कर्ज के जाल में फंसा बांग्लादेश
साल 2016 में शी जिनपिंग के बांग्लादेश का दौरे के बाद दोनों देशों के बीच 27 अलग अलग समझौते हुए थे। चीन की तरफ से बेल्ट रोड इनिशियेटिव (बीआरआई) के तहत तकरीबन 38 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। कर्ज का आलम ये है कि चीन ने बांग्लादेश में कर्णफुली नदी के नीचे से बनने वाले बंगबधु टनल और पद्म ब्रिज रेल लिंक जैसी परियोजनाओं को फ़ाइनेंस किया। बंगबधु टनल प्रोजेक्ट की कुल लागत 1.1 बिलियन डॉलर थी, जिसके आधी लागत को 20 साल के लिए 2 पर्सेंट इंट्रस्ट पर चीनी बैंक EXIM ने लोन दिया।

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पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश को सबसे अधिक चीनी कर्ज
इसी के साथ 169 किलोमीटर पद्म ब्रिज रेल लिंक जो कि ढाका को जोशेर को जोड़ेगा उसकी पूरी लागत का 85 फीसदी फ़ाइनेंस इसी बैंक ने किया है। फ़िलहाल तो लोन 2 प्रतिशत ब्याज पर दिया है, लेकिन इसका 20 परसेंट इंट्रस्ट होने में समय नहीं लगेगा। इसके अलवा पिछले साल ही चीन ने बांग्लादेश के कई उतपादों पर 98 फ़ीसदी ड्यूटी फ्री कोटा करार के तहत बांग्लादेश को आर्थिक तौर पर अपने काबू में करने का काम कर लिया। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो दक्षिण एशिया में बांग्लादेश, चीनी निवेश पाने वाला पाकिस्तान के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। चीन अपनी कर्ज नीति के तहत ज्यादातर छोटे या ज़रूरतमंद देश को मदद के बहाने अपने कब्जे में कर लेना चाहता है।

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भारत को चौतरफा घेरने की चीनी चाल
चीन भारत को चारों तरफ से घेरने की योजना पर काम कर रहा है। एक तरफ से म्यामार से जुड़ा बांग्लादेश चीन के लिए भारत के खिलाफ एक महत्त्वपूर्ण देश के तौर पर गिना जाता है जैसे पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका को अपने प्रभाव में ले आया है उसी तरह से बांग्लादेश को भी अपने साथ मिलाने की फिराक में लगा हुआ है।

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बांग्लादेश की सैन्य ताकत को दिया चीनी शेप
बांग्लादेश ने अपनी नौसेना का 3 डाइमेश्नल नेवी यानी कि नौसेना के जंगी जहाज़ों, नेवल एवियेशन और सबमरीन के लिहाज से नई शक्ल देनी शुरू कर दी है। इसकी डेडलाइन 2030 की रखी गई है। इसमें सबसे बड़ी मदद कर रहा है चीन। पहले चीन अपनी नौसेना से रिटायर हो चुके जंगी जहाजों और पंडुबियों को बांग्लादेश को देकर उसकी सबसे बड़े सहयोगी के तौर पर उभर रहा है। अब तो चीन की तरफ से बनाए गए कॉक्स बाज़ार स्थित शेख़ हसीना सबमरीन बेस का काम पूरा होकर बांग्लादेश नौसेना को सौंप दिया। इस सबमरीन बेस पर एक साथ 6 सबमरीन और 8 जंगी जहाज एक साथ पार्क किया जा सकेगा।

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बांग्लादेश नजरअंदाज कर रहा है चीनी साजिश
चीन अपनी कर्ज नीति के तहत हर छोटे या ज़रूरतमंद देश को मदद के बहाने अपने कब्जे में कर लेना चाहता है। अब सवाल ये है कि जिस चीन ने 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी का विरोध किया। 1972 में UNSC के स्थायी सदस्य होने के नाते चीन ने खुद बांग्लादेश के यूएन में सदस्यता पर वीटो लगाया। यही नहीं 1975 में बांग्लादेश के साथ द्वपक्षीय रिश्ते स्थापित करने से पहले चीन ने अपने ऑल वेदर फ्रेंड पाकिस्तान को आश्वस्त किया था, लेकिन इसके बाद भी बांग्लादेश चीन के झांसे में फंसता जा रहा है।

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