चीनी मुद्रा युवान का रुतबा बढ़ाने के लिए रूस ने अपनी मुद्रा रुबल की चढ़ाई बलि?

 
xi ping and putin

Xi Jinping Russia Visit: जानकारों के मुताबिक इसका दूरगामी असर हो सकता है। पुतिन के इस एलान को विश्व कारोबार में अमेरिकी मुद्रा डॉलर का वर्चस्व तोड़ने की जारी कोशिश की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है...

नई दिल्ली। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत के बाद साझा प्रेस कांफ्रेंस में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन कारोबार में चीन की मुद्रा युवान के इस्तेमाल को लेकर एक बड़ी घोषणा की। जानकारों के मुताबिक इसका दूरगामी असर हो सकता है। पुतिन के इस एलान को विश्व कारोबार में अमेरिकी मुद्रा डॉलर का वर्चस्व तोड़ने की जारी कोशिश की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है।

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पुतिन ने कहा- ‘हम इस पक्ष में हैं कि रूस एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका आदि देशों के साथ अपने भुगतान का सेटलमेंट चीनी मुद्रा युवान के जरिए करे। मुझे पूरा भरोसा है कि रूस और उसके व्यापार भागीदारों के बीच युवान में सेटलमेंट का तरीका विकसित हो जाएगा।’ विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि यूक्रेन युद्ध के सिलसिले में पश्चिमी देशों का प्रतिबंध लगने के बाद से रूस आपसी कारोबार में सारा भुगतान रूसी मुद्रा रुबल में करने पर जोर डाल रहा था। लेकिन अब उसने इसके लिए चीनी मुद्रा को अपनाने का एलान किया है। इससे दुनिया में युवान का रुतबा बढ़ेगा।

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पुतिन ने यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए चीन की शांति योजना को भी अपना समर्थन दिया है। उनके इस बयान को भी अहम माना जा रहा है। चीन ने पिछले महीने यूक्रेन युद्ध रुकवाने के लिए अपनी 12 सूत्रीय शांति योजना पेश की थी। पुतिन ने कहा कि यह योजना यूक्रेन मसले के शांतिपूर्ण समाधान का आधार बन सकती है। इसी प्रेस कांफ्रेंस में शी जिनपिंग ने कहा कि चीन ‘शांति और वार्ता’ को आगे बढ़ाने के लिए जोर डालता रहेगा। उन्होंने रूस और यूक्रेन से अपील की कि वे आपस में बातचीत शुरू करें।

मास्को में दो दिन तक चली बातचीत के बाद पुतिन और शी ने दो दस्तावेजों पर दस्तखत किए। इनमें एक में आपसी संबंधों को गहराई देने का संकल्प जताया गया है। जबकि दूसरे दस्तावेज में साल 2030 तक द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने की योजना पेश की गई है। इसके तहत दोनों देशों ने व्यापार से लेकर लॉजिस्टिक्स (संभार-तंत्र) तक में सहयोग बढ़ाने का इरादा जताया है।

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पश्चिमी मीडिया में पुतिन-शी शिखर वार्ता को अमेरिकी नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था को चुनौती देने की रूस और चीन की कोशिश के अगले कदम के रूप में देखा गया है। ब्रिटिश अखबार द फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी एक टिप्पणी में कहा है कि इस मकसद से रूस चीन का जूनियर पार्टनर बनने को तैयार हो गया है। लेकिन दोनों राष्ट्रपतियों की बातचीत के बाद जारी साझा बयान में सफाई दी गई कि रूस और चीन का संबंध किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है।

साझा बयान में कहा गया है- ‘चीन और रूस के संबंध शीत युद्ध कालीन सैनिक गठबंधन जैसे नहीं हैं। ये संबंध सरकारी स्तर पर बनने वाले संबंधों से आगे चले गए हैं। इनका स्वरूप गठजोड़ जैसा नहीं है। यह टकराव के लिए नहीं है और इसके निशाने पर कोई तीसरा देश नहीं है।’   

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लेकिन दोनों देशों ने बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था बनाने का संकल्प जताया है। साथ ही उन्होंने ऑकुस (ऑस्ट्रेलिया- यूनाइटेड किंगडम- यूनाइटेड स्टेट्स) सुरक्षा संधि को लेकर चिंता जताई है। विश्लेषकों के मुताबिक यह सीधे तौर पर अमेरिका विरोधी बयान है।

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