UN में रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने पर आएगा ये प्रस्ताव, भारत को लेकर ऐसी चिंता क्यों?

संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस हफ्ते यूक्रेन युद्ध को लेकर वोटिंग होने जा रही है। अभी इस पर संशय बना हुआ है कि क्या भारत इस बार वोटिंग में हिस्सा लेगा या नहीं। इस मसौदा प्रस्ताव में यूक्रेन में शांति स्थापित करने के प्रयासों पर जोर दिया जाएगा।
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पर वोटिंग होने जा रही है। इसके जरिए यूक्रेन में शांति स्थापित करने के तरीकों पर जोर दिया जाएगा।
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इस मसौदा प्रस्ताव को यूक्रेन ने तैयार किया है, जिस पर महासभा में चर्चा होगी। महासभा के विशेष आपात सत्र के अंत में इस प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। यह सत्र बुधवार दोपहर से शुरू होगा और गुरुवार तक चलेगा।
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यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र के मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले फ्रांस के राजनयिक सूत्रों ने बताया कि वे इस मामले पर भारत सरकार के संपर्क में हैं लेकिन उन्हें बहुत उम्मीद नहीं है कि भारत इस मतदान में हिस्सा लेगा।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस हफ्ते इस मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग होगी, जिसमें यूक्रेन में शांति स्थापित करने के प्रयासों पर जोर दिया जाएगा।
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यह पूछने पर कि क्या भारत यूएनजीए में रूस-यूक्रेन युद्ध पर वोटिंग से दोबारा दूरी बनाएगा? इस पर उन्होंने कहा कि भारत शायद ही किसी पक्ष का चुनाव करे लेकिन वह इस पर काम कर रहे हैं।
फ्रांस के राजनयिक सूत्र ने कहा कि यह हमेशा से संतुलन का सवाल है। हम भारत सरकार के संपर्क में हैं। इस चरण पर हमें नहीं पता कि सरकार का रुख क्या होगा। बहुत संभावना है कि वह (भारत) इससे दूरी बनाएगा लेकिन हम इस पर काम कर रहे हैं। हमारी उनसे इस पर बात हुई है। इसमें कोई सीक्रेट एजेंडा नहीं है। यह उनका फैसला है।
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बता दें कि भारत सुरक्षा परिषद, महासभा और मानवाधिकार परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े प्रस्तावों से दूरी बनाता रहा है।
भारत ने कई बार रूस और यूक्रेन से डिप्लोमेसी और बातचीत के मार्ग पर लौटने का आह्वान किया है। रूस यूक्रेन मामले में भारत की एक बड़ी भूमिका को बताते हुए उन्होंने कहा कि फ्रांस और भारत की बहुत लाभप्रद साझेदारी रही है। हालांकि, यूक्रेन मामले पर फ्रांस, ईयू और भारत का एक ही रुख नहीं है।
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सूत्र ने बताया कि आपको भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान में थोड़ा बदलाव देखने को मिला है, जब उन्होंने कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है।
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