सूडान: जानलेवा वायरस से भरी लैब में घुसे लड़ाके, खतरनाक बीमारियां फैल जाएंगी? डरा WHO

Sudan WHO Warning : ऐसा अनुमान है कि अशांति के कारण सूडानी नागरिकों और पड़ोसी देशों के लोगों सहित हजारों लोग देश से चले गए हैं। सप्ताहांत में, कई देशों ने अपने राजनयिकों और नागरिकों को राजधानी के घनी आबादी वाले इलाकों से निकाल लिया।
खार्तूम। सूडान में जारी संघर्ष को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को चेतावनी दी है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि लड़ाकों ने एक सेंट्रल पब्लिक लैब पर कब्जा कर लिया है जिसमें पोलियो और खसरे सहित गंभीर बीमारियों के नमूने रखे हुए हैं। संस्था का कहना है कि इससे 'बेहद, बेहद खतरनाक' स्थिति पैदा हो गई है। डब्ल्यूएचओ के हालिया आंकड़ों के अनुसार, सूडानी सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) अर्धसैनिक बलों के बीच 15 अप्रैल को लड़ाई शुरू हुई थी। इसमें कम से कम 459 लोग मारे जा चुके हैं और 4072 लोग घायल हुए हैं।
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सूडान में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि नीमा सईद आबिद ने एक वीडियो लिंक के माध्यम से जिनेवा में पत्रकारों से कहा, 'सेंट्रल पब्लिक हेल्थ लैब पर लड़ने वाले एक गुट के कब्जे से एक बड़ा जैविक जोखिम (Biological Risk) जुड़ा है।' उन्होंने कहा कि सामग्री को सुरक्षित करने के लिए टैक्नीशियन लैब तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। सईद आबिद ने कहा, 'यह सबसे बड़ी चिंता है, टेक्नीशियन लैब तक जाने और जैविक सामग्री को सुरक्षित करने में असमर्थ हैं।' उन्होंने यह नहीं बताया कि किस पक्ष ने लैब पर कब्जा किया है।
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नील नदी का पानी पीने को मजबूर लोग
सूडान की झड़प ने अस्पतालों और अन्य आवश्यक सेवाओं को ठप्प कर दिया है। कई लोग खाने और पानी की तेजी से घटती आपूर्ति के साथ अपने घरों में फंसे हुए हैं। जब से हिंसा शुरू हुई है, युद्ध-ग्रस्त राजधानी खार्तूम के निवासियों को अंदर रहने के लिए कहा गया है, और भोजन और पानी की आपूर्ति कम हो रही है। बमबारी ने पानी के पाइपलाइन जैसे प्रमुख बुनियादी ढांचे को प्रभावित किया है। कुछ लोगों को नील नदी का पानी पीने को मजबूर होना पड़ा हैं।
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तीन दिनों के सीजफायर पर सहमत
सूडान में युद्धरत पक्ष तीन दिन के संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं, क्योंकि कई देश हिंसा प्रभावित उत्तर अफ्रीकी देश से अपने नागरिकों को निकालने के लिए प्रयासरत हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार सुबह एक बयान में कहा, गहन बातचीत के बाद, सूडानी सशस्त्र बल (एसएएफ) और रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) 24 अप्रैल की आधी रात से शुरू होकर 72 घंटे तक चलने वाले राष्ट्रव्यापी युद्धविराम को लागू करने पर सहमत हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के अनुसार, संघर्षविराम के पिछले प्रयास विफल रहे हैं।
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