तो अंधेरा छा जाएगा धरती के इस हिस्से में, स्पेस एक्स का फॉल्कन राकेट बना वजह !

नई दिल्ली। Ionoshpere Hole News: अंतरिक्ष के बारे में पूरी जानकारी अभी किसी के पास उपलब्ध नहीं है। आर्थिक विकास के लिए दुनिया के सभी देश रॉकेट, सैटेलाइट भेजने का काम करते हैं। धरती पर संचार व्यवस्था कायम रखने के लिए इनकी अहम भूमिका होती है लेकिन स्पेस एक्स के फॉल्कन रॉकेट की वजह से मुसीबत आ गई है।
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2017 में एक रॉकेट प्रक्षेपण के कारण 560 मील चौड़ा छेद हो गया था जो कई घंटों तक बना रहा था। इन आयनोस्फेरिक व्यवधानों का जीपीएस सिस्टम पर मामूली प्रभाव पड़ता है, जिससे स्थान सटीकता में थोड़ा बदलाव होता है।रॉकेट लॉन्च प्रभावों पर विचार किए बिना आयनमंडल, क्षोभमंडल प्रभावित होते हैं,
तेज गति से चलने वाले रॉकेट और उनके निकास धुएं आयनमंडल के आयनीकरण को बदल सकते हैं।जब रॉकेट पानी और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, तो स्थानीय आयनीकरण 70 प्रतिशत तक कम हो सकता है, खासकर आयनमंडल की एफ-परत में पाए जाते हैं।
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वैश्विक स्तर पर धरती के तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है। आप अक्सर सुनते हैं कि चालीस डिग्री का टॉर्चर बर्दाश्त नहीं हो रहा लेकिन सवाल यह कि तापमान में क्या अब इजाफा नहीं होगा या कुछ ऐसा होगी कि लोग उबल जाएंगे।
धरती के ऊपर सूरज तक वायुमंडल कई स्तरों में बंटा हुआ है।।उनमें से एक है आयनोस्फीयर।।आयनोस्फीयर से ही बाहरी अंतरिक्ष का आगाज होता है। इस हिस्से में चार्ज्ड पार्टिकल्स होते हैं। इस तरह के होल से धरती के धुर्वीय इलाकों में प्रकाश पर असर होता है। एक तरह से कहें तो धुर्वीय इलाकों में भी अंधेरा कायम हो जाएगा।
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स्पेस कंपनी के फॉल्कन रॉकेट 9 की वजह से आयनोस्फीयर में आंशिक तौर पर होल हो गया है। कैलिफोर्निया वंडेनबर्द स्पेस फोर्स बेस से इसे 19 जुलाई को लांच किया गया था। एरिजोना के फ्लैगस्टॉफ के ऑब्जर्वर ने देखा कि आसमां में धुंधला लाल रंग नजर आया।
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