एक और धरती खोजी वैज्ञानिकों ने, 12 प्रकाश वर्ष दूर है ये ग्रह, पृथ्वी की तरह मिले जीवन के सबूत

 
Discovery of Earth-like Planet

Discovery of Earth-like Planet - अंतरिक्ष विज्ञानियों ने दावा किया है कि धरती के अलावा एक अन्य ग्रह पर भी जीवन के सबूत मिले हैं। उनके मुताबिक, धरती से 12 प्रकाशवर्ष दूर मौजूद इस एक्सोप्लेनेट पर धरती की तरह चुबकीय क्षेत्र का पता लगा है। जानते हैं कि वैज्ञानिकों को इस खोज की मदद से क्या-क्या मिला है?

 

नई दिल्ली। Earth-like Planet: दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से ये बड़ा सवाल रहा है कि क्या धरती के अलावा ब्रह्मांड में किसी दूसरे ग्रह पर भी जीवन है? इस सवाल का अब तक कोई वैज्ञानिक सटीक जवाब नहीं दे पाया है, लेकिन आज तक किसी भी साइंटिस्ट ने दूसरे ग्रह पर जीवन होने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया है। हमारे ग्रह पृथ्वी के बाहर जीवन की जारी खोज के बीच वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ग्रह खोज लिया है, जो करीब-करीब धरती जैसर ही है। दूसरे शब्दों में कहें तो वैज्ञानिकों को इस एक्सोप्लेनेट पर धरती की ही तरह जीवन के सबूत मिले हैं।

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एक्सोप्लेनेट को खोजने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये धरती से 12 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है। एक्सोप्लेनेट पर धरती की ही तरह चुंबकीय क्षेत्र का पता लगा है। अब सवाल ये उठता है कि क्या किसी ग्रह पर चुबकीय क्षेत्र होने का मतलब उस पर जीवन होना है? इस पर वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसी भी ग्रह पर चुबकीय क्षेत्र मौजूद है तो उस पर जीवन होने की पूरी गारंटी रहती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि खोजा गया ये प्लेनेट आकार में भी हमारे ग्रह पृथ्वी की तरह ही है।

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लाल रंग के बौने तारे के चक्कर लगा रहा ये ग्रह
एक्सोप्लेनेट को खोजने वाले वैज्ञानिकों ने इसका नाम वाईज़ेड सेटी-बी (YZCeti B) रखा है। अगर वास्तव में इस ग्रह पर धरती की ही तरह जीवन के सबूत मिले हैं तो ये ब्रह्मांड में जीवन की खोज की दिशा में बड़ी उपलब्धि के संकेत हैं। पीयर रिव्यू जर्नल के नेचर एस्ट्रोनॉमी में इस खोज के बारे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ये एक्सोप्लेनेट लाल रंग के एक बौने तारे के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है। ये ठीक वैसा ही है, जैसे हमारी ग्रह पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये एक्सोप्लेनेट गर्म ग्रह है।

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एक्सोप्लेनेट के चुंबकीय क्षेत्र का कैसे पता लगा
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलाराडो के रिसर्चर जैस्की वेरी लार्ज ऐरे ने एक्सोप्लेनेट से आ रहे सिग्नल की मदद से उसके चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाया था। ये पहली बार है, जब वैज्ञानिकों को धरती के बाहर किसी ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र को खोजने में सफलता हासिल हुई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, वाईज़ेड सेटी-बी एक्सोप्लेनेट से लगातार रेडियो सिग्नल मिल रहे हैं। इससे साफ होता है कि एक्सोप्लेनेट पर चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है। अगर ऐसा है तो निश्चित तौर पर इस एक्सोप्लेनेट पर जीवन होने की पूरी उम्मीद है।

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क्यों है एक्सोप्लेनेट पर जीवन की संभावना?
नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी के डायरेक्टर जोसेफ पेस का कहना है कि अगर किसी भी ग्रह पर चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है तो उस पर जीवन की संभावनाएं होने की पूरी गारंटी रहती है। जिस ग्रह पर चुंबकीय क्षेत्र नहीं होगा, उस पर जीवन के पनपने की कोई उम्मीद नहीं होती है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने बताया कि खोजा गया एक्सोप्लेनेट लाल रंग के बौने तारे के इतने करीब चक्कर लगा रहा है कि ये बुरी तरह झुलस सकता है। विशेषज्ञ इस एक्सोप्लेनेट पर जीवन होने या नहीं होने को लेकर सीधे तौर पर कोई जवाब तो नहीं दे रहे, लेकिन कह रहे हैं कि इस पर धरती की ही तरह अरोरा मौजूद है। हालांकि, अभी तक इसके भी स्पष्ट सबूत नहीं मिले हैं। फिलहाल इस ग्रह पर जीवन की संभावनाओं को लेकर रिसर्च जारी है।

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