Rishi Sunak: सुनक की सरकार चीनी भाषा सिखाने वाले इंस्टीट्यूट की फंडिंग करेगी बंद, जानें क्यों...

नई दिल्ली। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार देश में चीन की मंदारिन भाषा सिखाने वाले इंस्टीट्यूट्स की फंडिंग बंद करने जा रही है। पिछले साल जुलाई में इलेक्शन कैम्पेन के दौरान सुनक ने कन्फ्यूशिस इंस्टीट्यूट्स की फंडिंग रोकने का वादा किया था। माना जा रहा है की जल्द इस फैसले पर अमल का ऐलान किया जा सकता है। ब्रिटिश सरकार इन इंस्टीट्यूट्स को हर साल करीब 2.75 अरब रुपए देती है। सुनक के इस फैसले से चीन भड़क सकता है।
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द गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुनक सरकार के इस फैसले का ऐलान फॉरेन मिनिस्टर जेम्स क्लेवर्ले करेंगे। फिलहाल, मंदारिन सिखाने वाले कन्फ्यूशिस इंस्टीट्यूट्स को बंद नहीं किया जा रहा है। अभी इनकी फंडिंग रोकने का ही ऐलान होगा। ये तमाम इंस्टीट्यूट्स मंदारिन और चीन के कल्चर को बहुत एक्टिवली प्रमोट करते हैं। इसका फायदा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) से जुड़े लोग या नेता उठाते हैं। ब्रिटेन में उनके आने के रास्ते खुलते हैं। उन्हें फास्ट ट्रैक वीजा फैसेलिटीज मिलती हैं। बाद में वो जासूसी समेत कई गलत कामों में इन्वॉल्व हो जाते हैं। पिछले साल कुछ रिपोर्ट्स में इन हरकतों की तरफ इशारा किया गया था।
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रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में कन्फ्यूशिस इंस्टीट्यूट्स की कुल 30 ब्रांच हैं, जो ब्रिटेन जैसे छोटे देश के लिए काफी ज्यादा मानी जाती हैं। इंस्टीट्यूट्स का एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ ब्रिटिश होता है, जबकि तमाम प्रोफेसर चीन के होते हैं। चीन और ब्रिटेन की सरकारें एक एक कोडायरेक्टर अपॉइंट करते हैं। ब्रिटेन सरकार को लगता है कि कन्फ्यूशिस इंस्टीट्यूट्स ब्रिटेन की हायर एजुकेशन और सोसायटी में दखल बढ़ा रहे हैं।
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ब्रिटिश मीडिया कई बार सवाल उठा चुका है कि ब्रिटेन में चीन के कल्चर को प्रमोट करने की जरूरत क्यों है। इसकी वजह यह है कि ब्रिटेन और यूरोप की सोसायटीज ओपन आईडियोलॉजी वाली और डेमोक्रेटिक हैं, जबकि चीन में तो हर चीज पर सेंसरशिप है। इसके अलावा चीन की सरकार इन इंस्टीट्यूट्स का इस्तेमाल अपनी फॉरेन पॉलिसी के प्रमोशन में करती है।
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