आतंकवाद पर लगाम कसेगा कंगाल पाकिस्तान, जानिए इसके पीछे क्या है चीन का कनेक्शन!

 
shahnawaz shreef

Explainer: पाकिस्तान पर जब गरीबी, कंगाली की तलवार लटकी, तो उसे आतंकवाद पर लगाम लगाने की याद आई। टेरर फंडिंग करने वाले पाकिस्तान के पीएम ने आतंकवाद पर शिकंजा कसने के लिए अहम बैठक बुलाई। हालांकि पाकिस्तान खुद तालिबानी आतंकियों से परेशान है। लेकिन आतंकियों की पनाहगाह भी यहीं है। जानिए आतंक पर लगाम के पीछे चीन का क्या कनेक्शन है।

 

नई दिल्ली। Pakistan News: कंगाल पाकिस्तान में जनता भूख से मर रही है। आटे के लिए देशभर में लोग लंबी कतारों में लगकर परेशान हैं। भूख से मर रहे लोगों को रमजान के महीने में गैस की सप्लाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है। वहीं सरकार का खजाना खाली हो गया है। ऐसे में पाकिस्तान चाहता है कि वह आतंकवाद पर लगाम लगाकर दुनिया को अपने ‘भले‘ होने का संकेत दे। जबकि सच यही है कि पाकिस्तान ने खुद ही आतंकवाद को पाला पोसा। इसी बीच पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई। इस बैठक से वह यह संदेश देना चाहते हैं कि पाकिस्तान में सब ‘गुडी गुडी‘ हो रहा है। हालांकि पाकिस्तानी तालिबान से जिन्ना का देश परेशान है। हाल के समय में पाकिस्तानी तालिबानियों ने कई बड़े हमले किए हैं, जिसने पाकिस्तान की सरकार की नाक में दम कर दिया।

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इन सबके बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की अहम बैठक बुलाई। पहले देश मे देश में आतंकवाद के सभी रूपों को खत्म करने के लिए व्यापक अभियान चलाने का फैसला किया है।  नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल यानी एनएससी की 41वीं बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री शहबाज ने की। जिसमें कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, सेवा प्रमुख, खुफिया प्रमुख और अन्य अहम प्रशासनिक तथा सैन्य अधिकारी शामिल हुए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि ‘बैठक में पूरे देश और सरकार के समर्थन से व्यापक अभियान शुरू करने का फैसला किया गया जो नए जोश और संकल्प के साथ देश को आतंकवाद की समस्या से निजात दिलाएगा।

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बैठक में हुई पाकिस्तान पर उठे खतरों की बात, अफगानिस्तान की ओर इशारा
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, एनएससी ने विद्रोही समूहों, खासकर प्रतिबंधित संगठन तहरीके तालिबान पाकिस्तान से जुड़े खतरों पर भी चर्चा की। इसमें कहा गया कि ‘इन आतंकियों का जो खतरा बढ़ा है। विशेष रूप से प्रतिबंधित संगठन तहरीक.ए.तालिबान पाकिस्तान से जुड़े लोगों द्वारा उत्पन्न खतरों पर विस्तार से चर्चा की। अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में मौजूद विभिन्न आतंकवादी संगठनों द्वारा दिए गए समर्थन के कारण पाकिस्तान प्रभावित हो रहा है। 

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चीन ने एससीओ समिट में पाकिस्तान को आतंकवाद पर लगाम कसने की कही थी बात
दरअसल, पाकिस्तान चीन के इशारों पर नाचता है। क्योंकि चीन से उसने काफी उधार ले रखा है। पिछले दिनों भारत में हुई एससीओ समिट में चीन ने आतंकवाद पर लगाम कसने की बात कही थी। जिस एससीओ की बैठक को चीन संबोधित कर रहा था, उस बैठक में आतंकवाद का पनाहगाह पाकिस्तान भी शामिल था। चीन ने शंघाई सहयोग संगठन एससीओ के सदस्य देशों को साफतौर पर  बातचीत के जरिए अपने मतभेदों को दूर करने, आतंकवादी ताकतों से सख्ती से निपटने और सभी देशों की आर्थिक बेहतरी तथा सामाजिक स्थिरता के लिए संयुक्त रूप से एक मजबूत सुरक्षित माहौल बनाने का आह्वान किया था। चीन का साफ संदेश पाकिस्तान की ओर भी था। 

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आतंकवाद पर रोक लगाने पर चीन ने दिया था जोर, उस बैठक में पाक भी था शामिल
एससीओ समिट मंे चीन ने कहा था कि  यह महत्वपूर्ण है कि एससीओ के सदस्य देश बातचीत के जरिए अपने मतभेदों को दूर करें और विवादों को सहयोग के जरिए सुलझाएं। चीन ने इस समिट में सदस्य देशों से आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की ताकतों को पूरी तरह से रोकने और निपटने के लिए कहा तथा दूरसंचार और इंटरनेट धोखाधड़ी, ऑनलाइन जुआ तथा मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटने के लिए सहयोग को मजबूत करने की बात कही थी। पाकिस्तान पर दबाव था कि वह अपने देश में आतंकवाद पर लगाम कसे। इसके चलते पीएम शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई।

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टेरर फंडिंग के कारण 4 साल रहा एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में, हुआ काफी नुकसान
पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने के कारण काली सूची में जाने का डर हमेशा से था। वहीं पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था। उस पर मनी लान्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और कमजोर कानून बनाने के आरोप लगे। एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान की वजह से ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम खतरे में पड़ सकता है। इसके बाद 4 साल तक वह ग्रे लिस्ट में शामिल था। अक्टूबर 20022 में वह ग्रे लिस्ट से बाहर आ पाया। ग्रे लिस्ट में यदि किसी देश का नाम आ जाता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबारी दिक्कतें पेश आती हैं। इसी समस्या से पाकिस्ताना लंबे समय तक जूझता रहा है। पाकिस्तान जब कंगाली की हालत में है, ऐसे में वह नहीं चाहता कि अब एफएटीएफ की फिर ग्रे लिस्ट में फिर उसका नाम शामिल हो जाए। 

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आतंकवाद पर तुष्टिकरण की नीति अपनाई, अब वही आतंकी ‘भस्मासुर‘ बने
हालांकि सच तो यही है कि पाकिस्तान ने खुद ऐसे आतंकवादियों को पाला पोसा। इन आतंकियों का उपयोग भारत के खिलाफ भी करने की उसकी हमेशा से मंशा रही और ऐसा किया भी। लेकिन अब यही आतंकवादी उस पर भस्मासुर की तरह हावी हो रहे हैं। भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान में अब खुद आतंकवाद बढ़ गया है। दरअसल, भारत पर आतंकवादी हमले करने की हमेशा से सोच रखने वाले पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों के खिलाफ तुष्टिकरण की नीति अपनाई, जिस कारण ये पहले फले फुले, अब यही पाकिस्तान के लिए नासूर बन रहे हैं।

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