पाकिस्तान की संसद समय से पहले भंग हो रही, क्या है शहबाज सरकार का प्लान?

 
shahnawaz shreef

प्रधानमंत्री आवास पर सत्तारूढ़ गठबंधन के साझेदारों के सम्मान में आयोजित भोज में शरीफ ने कहा कि जैसे ही राष्ट्रपति अधिसूचना पर हस्ताक्षर कर देंगे, संसद का निचले सदन नेशनल असेंबली भंग हो जाएगी। शरीफ जल्द ही यह अधिसूचना राष्ट्रपति को भेजने की योजना बना रहे हैं।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गठबंधन साझेदारों को बताया कि वह नौ अगस्त को नेशनल असेंबली को भंग करने की सिफारिश करेंगे। नकदी संकट में फंसे पाकिस्तान की सरकार का कार्यकाल 12 अगस्त को समाप्त होने जा रहा है। लेकिन इससे तीन दिन पहले ही संसद को भंग करने की कवायद शुरू कर दी गई है। 

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प्रधानमंत्री आवास पर सत्तारूढ़ गठबंधन के साझेदारों के सम्मान में आयोजित भोज में शरीफ ने कहा कि जैसे ही राष्ट्रपति अधिसूचना पर हस्ताक्षर कर देंगे, संसद का निचले सदन नेशनल असेंबली भंग हो जाएगी। शरीफ जल्द ही यह अधिसूचना राष्ट्रपति को भेजने की योजना बना रहे हैं।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ कई बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार नेशनल असेंबली को भंग करेगी और चुनाव आयोग संविधान के प्रावधान के तहत आम चुनावों का ऐलान करेगा।

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हालांकि, यदि किसी भी कारणवश राष्ट्रपति अधिसूचना पर हस्ताक्षर नहीं भी करते हैं तो प्रधानमंत्री की ओर से अधिसूचना मिलने के 48 घंटें के बाद 342 सदस्यीय असेंबली स्वतः भंग हो जाएगी। इसके बाद 90 दिनों के भीतर देश में आम चुनाव कराए जाएंगे। सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार चुनाव का सामना करने के लिए तैयार हैं।

संविधान के तहत यदि संसद का कार्यकाल पूरा हो जाता है तो चुनाव 60 दिनों के भीतर कराना अनिवार्य है लेकिन अगर संसद का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही वह भंग हो जाती है तो चुनाव 90 दिनों के भीतर कराने होंगे। 

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ नौ अगस्त को नेशनल असेंबली भंग करने के लिए राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को अधिसूचना भेजेंगे। शरीफ ने साझेदारों को बताया कि उनकी पार्टी ने सहयोगियों से अंतिम चर्चा कर ली है। 

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कौन बनेगा केयरटेकर प्रधानमंत्री?
नेशनल असेंबली भंग होने की स्थिति में केयरटेकर प्रधानमंत्री के नाम को लेकर वित्त मंत्री इशाक डार का नाम चर्चा में था। लेकिन शरीफ ने पिछले हफ्ते डार को केयरटेकर प्रधानमंत्री नियुक्त करने की संभावनाओं से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अगले आम चुनाव होने तक अगले महीने अंतरिम सरकार की अगुवाई करने के लिए किसी निष्पक्ष व्यक्ति का चुनाव किया जाएगा। 
नीतिगत निर्णय लेने के लिए कार्यवाहक ढांचे को सशक्त बनाने के लिए एक विधेयक हाल ही में पाकिस्तान की संसद द्वारा पारित किया गया था।

पाकिस्तान संसद में नीतिगत फैसलों के लिए केयरटेकर ढांचे को सशक्त करने के लिए हाल ही में एक विधेयक पारित किया गया था। इस दौरा शरीफ ने यह भी संकेत दिए कि देश के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके और उनके बड़े भाई नवाज शरीफ अगले कुछ हफ्तों में स्वदेश लौट सकते हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त करने की प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में शुरू हो सकती है।

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पूर्व प्रधानमंत्री अब्बासी के नाम पर चर्चा
देश के केयरटेकर प्रधानमंत्री के लिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहीद खाकान अब्बासी और बलूचिस्तान से निर्दलीय सांसद असलम भूटानी के नाम चर्चा में हैं। 

जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की अगुवाई में सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के सहयोगियों की जूम बैठक में पूर्व वित्त मंत्री हाफीज शेख, फवाद हसन फवाद, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पूर्व मुख्य सचिव फवाद हसन फवाद शामिल थे। इस दौरान जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फज्ल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो और अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल थे। 

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पाकिस्तानी संसद भंग करने की जिद पर क्यों अड़ी है सरकार?
अब यह सवाल सभी के दिमाग में कौंध रहा है कि शहबाज शरीफ सरकार का मौजूदा कार्यकाल इस साल 12 अगस्त को खत्म हो रहा है। लेकिन इससे ठीक चार दिन पहले आठ अगस्त को नेशनल असेंबली भंग करने की सरकार की जिद की क्या वजह है? 

इन सवालों का एक ही जवाब है कि पाकिस्तान के संविधान के तहत अगर नेशनल असेंबली अपना कार्यकाल पूरा कर लेती है तो 60 दिनों के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है। लेकिन अगर नेशनल असेंबली को समय से पहले भंग कर दिया जाता है तो सरकार को चुनाव कराने के लिए पूरे 90 दिन का समय मिल जाएगा। इसका साफ मतलब है कि सरकार को अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए ज्यादा समय मिलेगा। वह मौजूदा आर्थिक संकट से जूझते हुए 90 दिनों तक कुछ बेहतर स्थिति तक पहुंच सकती है। 

दूसरा, इन 90 दिनों के भीतर सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बेलआउट पैकेज की रकम भी मिलनी शुरू हो जाएगी। एक तरह से शहबाज सरकार जनता के बीच अपनी एक सकारात्मक छवि गढ़ने में कुछ हद तक कामयाब हो सकती है।यही वजह रही कि पीपीपी के वरिष्ठ नेता आसिफ अली जरदारी ने 15 जुलाई को प्रधानमंत्री शहबाज के साथ बैठक कर मौजूदा सरकार का कार्यकाल पूरा होने से चार दिन पहले नेशनल असेंबली भंग करने पर सहमति जताई। ताकि नवंबर में चुनाव कराए जा सके।

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पाकिस्तान सरकारों का कार्यकाल पूरा नहीं होने का इतिहास
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में सत्तारूढ़ सरकारों के कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने का अपना एक रिकॉर्ड है। पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में सिर्फ 37 साल ही लोकतांत्रिक सरकारें रहीं, जिनमें कुल 22 प्रधानमंत्री हुए, लेकिन इन 22 में से कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। पाकिस्तान में अब तक 32 साल सेना ने सीधे तौर पर शासन किया है और लगभग आठ सालों तक यहां की अवाम ने राष्ट्रपति शासन देखा है।  सरकारों के कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है कि पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल और पाकिस्तान की जनता का सरकारी संस्थानों पर विश्वास नहीं होना।

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