अब भी अकड़ में पाकिस्तान, IMF की शर्त पर बोला- कोई समझौता नहीं करेंगे न्यूक्लियर प्रोग्राम से

 
shehbaz sharif

पाकिस्तान इस समय जबरदस्त आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कर्जे के लिए अब तक आईएमएफ से बात नहीं बन सकी है। लेकिन इसके बावजूद उसकी अकड़ कम नहीं हो रही है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार का कहना है कि रुके हुए कर्ज को वापस लेने के लिए परमाणु कार्यक्रम से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

 

नई दिल्ली। पाकिस्तान कंगाल हो चुका है, मगर उसकी अकड़ अब भी बाकी है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा कि आईएमएफ से रुके हुए कर्ज को वापस लेने के लिए हम अपने परमाणु कार्यक्रम से कोई समझौता नहीं करेंगे। 

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दरअसल, पाकिस्तान इस समय जबरदस्त आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम होता जा रहा है। महंगाई आसमान छू रही है। इस संकट से उबरने के लिए अब पाकिस्तान के पास अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF से मिलने वाला कर्ज ही उसकी मदद कर सकता है।  

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1.1 अरब डॉलर के कर्ज के लिए पाकिस्तान सरकार और आईएमएफ के बीच अब तक बात नहीं बन सकी है। आईएमएफ ने कई शर्तें लगाई हैं। इनमें से एक परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी शर्त भी है। लेकिन पाकिस्तान का कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए, परमाणु कार्यक्रमों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

सीनेटर रजा रब्बानी के सवाल के जवाब पर वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा, 'मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि पाकिस्तान अपने परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम पर कोई समझौता नहीं करने जा रहा है।'

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परमाणु कार्यक्रम से समझौता नहीं होगा
उन्होंने कर्ज न मिलने पर रोना रोते हुए आईएमएफ पर ही बात डाल दी। डार ने कहा कि आईएमएफ के साथ समझौते में देरी होने की बड़ी वजह पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम भी हो सकता है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा और आईएमएफ के साथ जो भी समझौता होगा, उसे वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।

सीनेटर रजा रब्बानी ने सीनेट को संबोधित करते हुए कहा था कि कहीं समझौते में इस वजह से तो देरी नहीं की जा रही ताकि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर दबाव बनाया जा सके। उन्होंने सवाल उठाया कि आईएमएफ के साथ समझौते को लेकर सरकार ने न तो पहले और न ही आज भरोसे में लिया है।

इन सवालों पर जवाब देते हुए डार ने कहा, 'किसी को ये बताने की जरूरत नहीं है कि पाकिस्तान के पास कितनी रेंज की मिसाइलें होनी चाहिए और कौन-कौन से परमाणु हथियार हो सकते हैं। हम पाकिस्तान की आवाम का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमें अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी चाहिए।'


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आईएमएफ से समय पर कर्ज न मिलने के लिए इमरान जिम्मेदार
वहीं, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के ऑफिस से जारी बयान में कहा गया है, 'पाकिस्तान का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम मुल्क की संपत्ति है। हमारा परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से सेफ, फुलप्रूफ होने के साथ-साथ किसी भी तनाव या दबाव में नहीं है।'

डार ने आईएमएफ से कर्ज मिलने में देरी होने पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार ठहराया। डार ने आरोप लगाया कि इमरान खान ने आईएमएफ से फंडिंग पाने के लिए कठिन शर्तों को मान लिया था।

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दरअसल, अगस्त 2018 में जब इमरान खान सत्ता में आए थे, तभी पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराब हो गई थी। इस वजह से उनकी सरकार ने आईएमएफ के साथ 6.5 अरब डॉलर के कर्ज का समझौता किया था। अभी जो 1.1 अरब डॉलर कर्ज की बात हो रही है, वो इसी कर्ज की बची हुई रकम है। पाकिस्तान के लिए ये कर्ज इसलिए जरूरी है क्योंकि उस पर भारी कर्ज है।

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, दिसंबर 2022 तक मुल्क पर 63.86 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज है।

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