इतना पैसा है पाकिस्‍तान के पास कि एक झटके में दूर हो जाएगी कंगाली, 23 अरब डॉलर अटके हुए हैं 

 
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पाकिस्तान के पास अब भी इतने पैसे हैं, जिनका इस्तेमाल कर जिन्ना का यह देश कंगाली दूर कर सकता था। इस पैसों को पाकिस्तान ने अभी तक इस्तेमाल नहीं किया है। इसे अनडिस्ट्रिब्यूटेड बैलेंस का नाम दिया गया है। पाकिस्तान को दुनियाभर के देशों और संस्थाओं से कर्ज मिला था, जिस पर पाकिस्तानी अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया।

 

इस्लामाबाद। पाकिस्तान इन दिनों कंगाली की दहलीज पर खड़ा है। मोहम्मद अली जिन्ना के सपनों वाला यह देश अब दुनिया के रहमो करम पर है। अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज की किश्त नहीं मिली तो उसका डिफॉल्ट होना तय है। लेकिन, बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि पाकिस्तान के पास अभी भी इतना पैसा है कि वो चाहे तो अपनी गरीबी को झटके में दूर कर सकता है, लेकिन इसमें पेंच फंसा हुआ है। दरअसल, विदेशी लेनदार और कर्जदाताओं ने पाकिस्तान को लगभग 23 बिलियन डॉलर के ऋण और अनुदान का भुगतान नहीं किया है। इनमें से कुछ कर्ज और अनुदान तो 15 साल पुराने हैं, जिसमें केरी-लुगर एक्ट के तहत अमेरिका से मिलने वाला 1.6 बिलियन डॉलर का अनुदान शामिल है।

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पाकिस्तान की लापरवाही ले डूबी
विशेषज्ञों का मानना है कि इस राशि का बड़ा हिस्सा योजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करके प्राप्त किया जा सकता था। इसके बावजूद पाकिस्तान की सरकारों, अधिकारियों और राजनेताओं ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई और देश कर्ज के गर्त में डूबता चला गया। कुछ राशि तो दाता देश के साथ पाकिस्तान के खराब संबंधों की भेंट चढ़ गईं। पाकिस्तान सरकार इन फंसे हुए फंड को ''अनडिस्ट्रिब्यूटेड बैलेंस ऑफ सितंबर 2022'' का नाम दिया है।

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पाकिस्तान ने क्यों इस्तेमाल नहीं किया पैसा
3.7 बिलियन डॉलर के अनुदान और फंड ऐसे समय में बकाया हैं, जब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और वित्त मंत्री इशाक डार आईएमएफ के सामने 1.1 बिलियन डॉलर की किश्त के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। इस हफ्ते जारी आर्थिक मामलों के मंत्रालय की क्वाटरली रिपोर्ट में इस अवितरित धन के बारे में खुलासे किए गए थे। इसमें परियोजना-वार विवरण और अटके हुए फंड की जानकारी दी गई थी। सूत्रों के अनुसार, इतनी बड़ी बिना इस्तेमाल की गई राशि के पीछे सामान्य कारक जैसे सरकारी मंजूरी की धीमी प्रक्रिया, कर्ज वार्ता में देरी, खरीद विवरण को अंतिम रूप देने वाली एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी, लंबी बोली प्रक्रिया और काम करने वाली एजेंसियों की क्षमता में कमी को जिम्मेदार बताया गया।

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पैसा नहीं मिला लेकिन फीस भर रहा पाकिस्तान
इस राशि से जुड़े हर एक मामले में पाकिस्तान की केंद्र सरकार और नौकरशाही की अक्षमता को जिम्मेदार बताया गया है। अंतरराष्ट्रीय लेनदारों और दाताओं ने इन ऋणों को पाकिस्तान को दिया था, लेकिन यह देश इस राशि का इस्तेमाल नहीं कर पाया। बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान अभी तक इस्तेमाल न की गई इस राशि को पाने के लिए प्रतिबद्धता शुल्क का भुगतान भी कर रहा है। इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार और अधिकारियों को सुध नहीं आई कि इस राशि का इस्तेमाल कर देश की गरीबी को दूर किया जा सकता है।

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आईएमएफ से कर्ज पर बातचीत भी अटकी
आईएमएफ ने अभी तक 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज में से 2.6 अरब डॉलर का भुगतान नहीं किया है। आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान सरकार उसकी शर्तों पर काम करने को तैयार नहीं है। आईएमएफ ने शुरुआत में सितंबर 2022 तक 6 अरब डॉलर का ऋण पैकेज दिया था। हालांकि, नौ महीनों में सिर्फ 500 मिलियन डॉलर की सहायता ही पाकिस्तान को प्रदान की गई है। आईएमएफ के साथ पाकिस्तान का कार्यक्रम फिर पटरी से उतर गया है क्योंकि शहबाज शरीफ की नई सरकार ने पिछले साल अगस्त में संशोधित कार्यक्रम का पालन करने में फेल हो गई थी।

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