पाकिस्तान फेल हुआ अफगानिस्तान में, तालिबान ने दिखाया ठेंगा तो विशेष राजदूत से ले लिया इस्तीफा

Pakistan Afghanistan War: पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अपने विशेष प्रतिनिधि मोहम्मद सादिक का इस्तीफा ले लिया है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान के हितों की पूर्ति न होने के कारण उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया है। पाकिस्तान की चाहत तालिबान को अपने इशारों पर चलाने की थी। लेकिन, तालिबान अब पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है।
इस्लामाबाद। अफगानिस्तान में पाकिस्तान की रणनीति बुरी तरह से नाकाम हो चुकी है। जिस तालिबान को पाकिस्तान ने पलक पांवड़े पर बैठाया, अब वही डस रहा है। पाकिस्तान का कबायली इलाका अशांत बना हुआ है। अगस्त 2021 के बाद से ही इन इलाकों में आतंकवादी गतिविधियां काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। कई इलाकों में तो आतंकवादियों ने अपने चेक पोस्ट बना लिए हैं। तालिबान के साथ पाकिस्तान सरकार की बातचीत भी नाकाम ही रही है। इस कारण पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान के लिए अपने विशेष प्रतिनिधि अनुभवी राजनयिक मोहम्मद सादिक का इस्तीफा ले लिया है।
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मोहम्मद सादिक ने इस्तीफे की पुष्टि की
मोहम्मद सादिक ने इस्तीफा देने के बाद ट्वीट में कहा कि अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि के रूप में करीब तीन साल की सेवा के बाद, मैंने सरकार से अनुरोध किया है कि अब समय आ गया है कि मैं आगे बढ़ूं और अपनी व्यक्तिगत गतिविधियों - परिवार, किताबों और कृषि/पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करूं। सादिक ने कहा कि वह विशेष दूत के रूप में उनके लिए पूरे दिल से समर्थन के लिए प्रधानमंत्री और अन्य सभी हितधारकों के आभारी हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपने कई सहयोगियों की कड़ी मेहनत की सराहना करता हूं, जिन्होंने पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों को कारगर बनाने के लिए लंबे समय तक काम किया।
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पीएम शहबाज ने इस्तीफा स्वीकार किया
पूर्व राजदूत ने डॉन डॉट कॉम से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को सौंप दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका इस्तीफा पीएम शहबाज ने स्वीकार कर लिया है। बाद में कैबिनेट विभाग की ओर से जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री के विशेष सहायक के तौर पर सादिक का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। सादिक को जून 2020 में महत्वपूर्ण अफगान पद पर नियुक्त किया गया था।
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पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक हैं सादिक
एक कैरियर राजनयिक, जो 2016 में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाग के सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए, सादिक दिसंबर 2008 और अप्रैल 2014 के बीच काबुल में पाकिस्तान के राजदूत थे। उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक विदेश कार्यालय के प्रवक्ता के रूप में भी काम किया। वह वाशिंगटन डीसी (1998-2000), बीजिंग (1994-1998) और ब्रुसेल्स में भी तैनात थे।
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पाकिस्तान की बात नहीं मान रहा तालिबान
पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान पर कब्जे में तालिबान की खुलकर मदद की थी। दावा किया जाता है कि तालिबान को असलहे, गोला-बारूद और इटेलिजेंस पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की तरफ से दिया जाता था। काबुल पर कब्जे के बाद भी पाकिस्तान ने विद्रोहियों के गढ़ पंजशीर पर कब्जे में मदद की थी। इसके लिए तत्कालीन आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद काबुल पहुंचे थे। पाकिस्तान को आशा थी कि इसके बदले तालिबान टीटीपी आतंकियों को मनाने में सफल रहेगा।
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