अब अंतरिक्ष में NASA उड़ाएगा टेंपो, नया सैटेलाइट अगले महीने होगा लॉन्च... बताएगा प्रदूषण का लेवल

रॉकेट उड़ाने वाली अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA अब टेंपो उड़ाएगी। चौंकिए मत ये वो टेंपो नहीं है, जो आपके शहरों या कस्बों में चलते हैं। ये एक सैटेलाइट है, जिसका नाम टेंपो है। अगले महीने इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग हो सकती है। ये टेंपो चलेगा तो अंतरिक्ष में लेकिन नजर रखेगा वायु प्रदूषण पर।
वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA अगले महीने अंतरिक्ष में टेंपो (TEMPO) उड़ाने जा रही है। ये शहरों और कस्बे में लोगों को ढोने वाला टेंपो नहीं है। बल्कि यह एक सैटेलाइट की है। टेंपो का पूरा नाम है ट्रोपोस्फेरिक एमिशन मॉनिटरिंग ऑफ पॉल्यूशन इंस्ट्रूमेंट। पहले कहा जा रहा था कि इसे अप्रैल के शुरुआती दिनों में केप केनवरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लॉन्च किया जाएगा। लेकिन अब ये अगले महीने लॉन्च किया जा सकता है।
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TEMPO में खास तरह के यंत्र लगे हैं, जो दिन में यानी रोशनी में हर घंटे उत्तरी अमेरिका के ऊपर से गुजरेगा। यह हर बार 10 वर्ग किलोमीटर के इलाके में वायु प्रदूषण के स्तर का डेटा रिकॉर्ड करेगा। इसकी रेंज अटलांटिक महासागर से प्रशांत महासागर और मध्य कनाडा से मेक्सिको सिटी तक होगी। यह एक बड़े वॉशिंग मशीन के आकार का यंत्र है, जिसे बॉल एयरोस्पेस ने बनाया है। इसे मैक्सार द्वारा निर्मित इंटेलसैट 40ई सैटेलाइट के साथ लॉन्च किया जाएगा।
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पिछले 30 वर्षों से गंदी हवा को साफ करने का प्रयास पूरी दुनिया में चल रहा है। बड़ी फैक्ट्रियों और गाड़ियों से निकलने वाला धुआं लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। अमेरिका में वायु गुणवत्ता सूचकांक में लगातार बेहतरी आई है लेकिन अब भी देश के 40 फीसदी आबादी खराब हवा में सांस लेती हैं। यानी तय मानक से खराब हवा।
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ये हैं TEMPO के तीन जरूरी काम
TEMPO का मुख्य काम होगा तीन प्रमुख प्रदूषणकारी तत्वों का डेटा बनाना- पहला नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, फॉर्मलडिहाइड और ओजोन। नाइट्रोजन डाईऑक्साइड एक नोक्सियस गैस है जो ईंधन जलने से निकलता है। इसकी वजह से सांस संबंधी दिक्कत होती है। इसे दमा होता है। फॉर्मलडिहाइड पेंट, ग्लू और गैसोलिन से निकलने वाले बाईप्रोडक्ट है। इससे आंखों में दिक्कत और कैंसर जैसी समस्या होती है। ओजोन की मात्रा बढ़ी तो सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें आपकी त्वचा के लिए नुकसानदेह हो सकती हैं।
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प्रदूषण के साथ बीमारियों पर रहेगी नजर
टेंपो के नासा प्रोग्राम साइंटिस्ट बैरी लेफर ने कहा कि इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग से हमें अमेरिका के प्रदूषण की सही स्थिति हर घंटे मिलेगी। यह बड़ी बात होगी। इस सैटेलाइट का फायदा हेल्थ सेक्टर में काम करने वाले एक्सपर्ट्स को भी होगी। वो ये पता कर पाएंगे कि कितने प्रदूषण पर कितनी बीमारी फैलती है। किस तरह की क्रोनिक बीमारियां हो सकती हैं। या हो रही हैं।
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गैस-रोशनी-सतह बताएंगे सही स्थिति
TEMPO धरती की सतह और गैस से रिफलेक्ट होने वाली सूरज की रोशनी और वायुमंडल के कणों की गणना करेगा। उनपर नजर रखेगा। यानी अल्ट्रावॉयलेट और विजिबल लाइट पर। ये रोशनियां जब टेंपो के स्पेक्ट्रोमीटर पर पड़ेंगी, तो वह उन्हें अलग-अलग वेवलेंथ में बांट देगा। अलग-अलग गैसों का अलग-अलग फिंगरप्रिंट, स्पेक्ट्रा होता है। वैज्ञानिक इनके सहारे पता कर सकते हैं कि कौन सी चीज एब्जॉर्ब हो रही है। कौन सी रिफलेक्ट हो रही है।
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अभी न्यूयॉर्क का हर दिन एक डेटा आता है
नासा के वैज्ञानिक पिछले दो दशक से लोअर-अर्थ ऑर्बिट से वायु प्रदूषण की स्टडी कर रहे हैं। ये सैटेलाइट्स 760 किलोमीटर के ऊपर उड़ते हैं। वहां से धरती के बारे में डेटा जमा करते हैं। स्मिथसोनियस एस्ट्रोफिजिकल ऑब्जरवेटरी की एटमॉस्फियरिक फिजिसिस्ट कैरोलिन नोलन कहती हैं कि न्यूयॉर्क सिटी का हर दोपहर डेढ़ बजे सैटेलाइट डेटा आता है। लेकिन दिन में सिर्फ एक डेटा। जबकि दिन में दो बार रश ऑवर्स होते हैं। जिसे हम कैप्चर नहीं करते।
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तीन सैटेलाइट रखेंगे पूरी दुनिया पर नजर
टेंपो की उड़ान के बाद यह समस्या खत्म हो जाएगी। टेंपो धरती के घुमाव के साथ-साथ एक फिक्स पोजिशन पर अमेरिका पर नजर रखेगा। खासतौर से उत्तरी अमेरिका पर। अमेरिका के पूर्वी तट से पश्चिमी तट तक स्कैन करेगा। इस अमेरिका के हर शहर का हर घंटे डेटा मिलेगा। इससे अमेरिका के लोगों को पर्यावरणीय न्याय मिलेगा। टेंपो दक्षिण कोरिया के जियो-कॉम्पसैट-2बी सैटेलाइट और यूरोपियन स्पेस एजेंसी के आने वाले सैटेलाइट सेंटिनल-4 के साथ जुड़ जाएगा। इससे एशिया और यूरोप के हवा की स्थिति का भी पता चलेगा।
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