अब अंटार्कटिका में China बनाएगा रिसर्च स्टेशन, दुनिया को है जासूसी का डर

 
antarctica china station

चीन अंटार्कटिका में दो ग्राउंड स्टेशन बनाने जा रहा है। दावा है कि इससे उसके स्पेस मिशन को सपोर्ट मिलेगा। लेकिन पूरी दुनिया को डर है कि चीन इन ग्राउंड स्टेशन से जासूसी करेगा। चीन के स्पेस पावर बनने से भारत, अमेरिका और कई यूरोपीय देश परेशान हैं। चीन लगातार जासूसी सैटेलाइट्स छोड़ रहा है।

 

बीजिंग। चीन की नजर अब अंटार्कटिका पर है। वहां पर ग्राउंड स्टेशन बनाने जा रहा है। वजह है अपने स्पेस मिशन के लिए ऐसा सेंटर बनाना जहां से सैटेलाइट्स पर निगरानी रखना आसान हो। अमेरिका और सोवियत संघ के बाद चीन दुनिया का तीसरा देश बन चुका है, जिसने अपने लोगों को अंतरिक्ष में भेजा है। 

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अंटार्कटिका में जो ग्राउंड स्टेशन चीन बनाने का सोच रहा है, उससे समुद्रों पर निगरानी रखने वाले उसके सैटेलाइट्स के नेटवर्क को सपोर्ट मिलेगा। चीन के लगातार बढ़ते ग्लोबल ग्राउंड स्टेशन, ढेर सारे सैटेलाइट्स और स्पेस मिशनों को लेकर पूरी दुनिया परेशान है। क्योंकि भारत, अमेरिका जैसे कई देशों को लगता है कि चीन इन सैटेलाइट्स से जासूसी करता है।

China's Ground Station on Antarctica

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साल 2020 में चीन के स्पेसक्राफ्ट और उसके डेटा को ट्रांसमिट करने के लिए स्वीडन की स्पेस कंपनी ने अपने ग्राउंड स्टेशन से मदद की थी। लेकिन अब स्वीडन ने चीन के साथ अपना कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं किया। क्योंकि भौगोलिक-राजनीति के चलते स्वीडन ने चीन के साथ काम करने को मना कर दिया है। क्योंकि उसे भी डर है कि चीन इसका फायदा उठाएगा। 

चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप कंपनी अंटार्कटिका में दो स्थाई रिसर्च स्टेशन बनाने जा रहा है। इसके लिए उसने 6.53 मिलियन डॉलर्स यानी 53.89 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है। चीनी रिसर्च स्टेशन का नाम होगा झोंगशान रिसर्च बेस (Zhongshan Research Base)। चीनी सरकार या कंपनी की तरफ से इस रिसर्च स्टेशन के बारे में ज्यादा जानकारी शेयर नहीं की गई है। 

China's Ground Station on Antarctica

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झोंगशान रिसर्च बेस पूर्वी अंटार्कटिका में प्रिड्ज बे (Prydz Bay) पर बनेगा। यह हिंद महासागर के दक्षिण में स्थित है। चाइना स्पेस न्यूज के मुताबिक यह स्टेशन चीन की समुद्री ताकत और व्यापार को बढ़ावा देगा। हालांकि आपको बता दें कि अर्जेंटीना के पैटागोनिया में भी चीन ने ग्राउंड स्टेशन बनाया है। चीन ने वादा किया था कि यह स्टेशन सिर्फ साइंटिफिक रिसर्च और स्पेस मिशनों को सपोर्ट करने के लिए बनाया गया है। लेकिन कई देश इस स्टेशन से खफा है। 

पिछले साल चीन के मिलिट्री सर्वे शिप की वजह से भारत के साथ तनाव हुआ था। उसने अपने जासूसी जहाज को श्रीलंका के हंबनटोटा के बंदरगाह पर कुछ दिन के लिए रोका था। इस जहाज से चीन सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग, रॉकेट्स और मिसाइलों की लॉन्चिंग पर नजर रखता है। भारत ने आरोप लगाया था कि यह जहाज जासूसी करने के लिए खड़ा किया गया है। अंतरराष्ट्रीय दबाव बनने पर चीन ने इसे वापस बुला लिया था। 


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चीन ने अपने स्पेस स्टेशन के आखिरी तीन मॉड्यूल्स को पिछले साल अक्टूबर में लॉन्च किया था। धरती की निचली कक्षा में नासा के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बाद चीन ने दूसरा स्पेस स्टेशन बना दिया। जिसमें चीनी एस्ट्रोनॉट्स रहते ही हैं। 

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