अब चीन और अमेरिका इंडोनेशिया पर आमने-सामने, जानें- 2 महाशक्तियों ने क्यों नजरें गड़ाईं, किसका पलड़ा भारी?

 
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US-China woos Indonesia: इंडोनेशिया न सिर्फ संसाधनों से भरा एक देश है बल्कि तेजी से बढ़ती ट्रिलियन डॉलर इकॉनोमी वाला यह देश वाली वाशिंगटन और बीजिंग के बीच की भू-राजनीतिक लड़ाई का प्रभवाकारी फैक्टर है।

 

नई दिल्ली। US-China woos Indonesia: दुनिया की दो बड़ी महाशक्तियां अमेरिका और चीन इन दिनों दुनिया की चौथी सबसे अधिक आबादी (करीब 30 करोड़) और दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया पर नजरें गड़ाए हुए है। दक्षिण चीन सागर के दक्षिणी किनारे पर बसा यह देश खनिज संसाधनों से अटा पड़ा है। यह दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।

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अमेरिका को पिछले साल लग चुका है झटका
NYT की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दिनों यानी नवंबर 2022 में जब अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड जे. ऑस्टिन... ने इंडोनेशिया का दौरा किया, तो उन्होंने वहां अपने समकक्ष इंडोनेशियाई मंत्री पर 36 अमेरिकी  लड़ाकू जेट खरीद की डील के लिए दबाव डालना चाहा लेकिन उन्हें बैरंग खाली हाथ लौटना पड़ा। 

दरअसल, अमेरिकी रक्षा मंत्री के दौरे से कुछ ही दिन पहले इंडोनेशियाई रक्षा मंत्री प्रबोवो सबियांटो ने चीन के रक्षा मंत्री से मुलाकात की थी और दोनों देशों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास फिर से शुरू करने का संकल्प लिया था।

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भू-राजनीतिक लड़ाई में इंडोनेशिया एक अहम पड़ाव
इंडोनेशिया न सिर्फ संसाधनों से भरा एक देश है, बल्कि तेजी से बढ़ती ट्रिलियन डॉलर इकॉनोमी वाला यह देश वाशिंगटन और बीजिंग के बीच की भू-राजनीतिक लड़ाई का एक बड़ा प्रभवाकारी फैक्टर है। भू-राजनीति में इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां करीब 17,500 द्वीप हैं जिसके पास हजारों किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा है।

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ताइवान पर नियंत्रण के लिए कितना जरूरी इंडोनेशिया?
रणनीतिक अवस्थिति के लिहाज से देखें तो इंडोनेशिया आज के दौर में चीन और अमेरिका दोनों के लिए रक्षात्मक जरूरत बन गया है क्योंकि द्वीपीय देश ताइवान पर दोनों के बीच संघर्ष बढ़ने की दशा में इंडोनेशिया एक बड़ा रणनीतिक केंद्र बन सकता है। ताइवान पर चीन और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में तनातनी बढ़ी है। अमेरिकी सैनिकों ने पिछले 24 घंटों में ताइवान के पास अपनी पॉजिशन लेने जा रही है।

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इंडोनेशिया का झुकाव किस तरफ?
मौजूदा समय में इंडोनेशिया को लुभाने में बीजिंग का पलड़ा भारी पड़ता दिख रहा है क्योंकि चीन ने इंडोनेशिया की बड़ी आबादी का भरोसा हासिल करने के लिए वहां बड़े पैमाने पर निवेश किया है। चीन ने वहां बड़े पैमाने पर अरबों डॉलर की लागत से कोविड -19 टीकों के शिपमेंट में तेजी लाई है और वहां इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में प्रमुखता से भागीदारी निभाई है। इसके तहत इंडोनेशिया में हाई-स्पीड ट्रेन का निर्माण शामिल है।

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NYT की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका के लगभग 2 अरब डॉलर की तुलना में चीन ने 2022 के पहले नौ महीनों में इंडोनेशिया में 5 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इंडोनेशिया,चीन का बड़ा पक्षधर रहा है। बहुसंख्यक मुस्लिम राष्ट्र होने के बावजूद इंडोनेशिया ने बड़े पैमाने पर मुस्लिम समूह उइगरों के उत्पीड़न पर संयुक्त राष्ट्र में चीन के पक्ष में मतदान किया है।

इंडोनेशिया के पूर्व व्यापार और निवेश मंत्री टॉम लेम्बोंग ने कहा कि चीन अब तक इंडोनेशिया का नंबर 1 व्यापारिक भागीदार, नंबर 1 विदेशी निवेशक और कोविड महामारी से पहले, अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का नंबर 1 स्रोत रहा है।

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