अजरबैजान और ईरान में चरम पर सैन्य तनाव, जानें नए युद्ध की आशंका क्यों जता रही दुनिया

 
Iran and Azerbaijan

Iran Azerbaijan War: ईरान और अजरबैजान में जारी तनाव जल्द ही युद्ध का रूप ले सकता है। दोनों देश सीमा पर आर्मीनिया को लेकर भिड़े हुए हैं। इस तनाव के पीछे इजरायल को भी एक कारण माना जा रहा है। ईरान ने अजरबैजान को अंजाम भुगतने की चेतावनी तक दे डाली है। वर्तमान में दोनों देशों में राजनयिक संबंध नहीं है।

 

तेहरान। आर्मीनिया को लेकर ईरान और अजरबैजान में तनाव बढ़ता जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि अगर तनाव ऐसे ही बढ़ता रहा तो दोनों देशों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ सकता है। इस तनाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अजरबैजान ने इस साल जनवरी में ही ईरान में अपने दूतावास को बंद कर दिया था। दरअसल, उस वक्त तेहरान में अजरबैजानी दूतावास पर एक बंदूकधारी ने हमला किया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसके बाद अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने इस घटना के लिए सीधे तौर पर ईरान को दोषी ठहराया था। अजरबैजान ने आरोप लगाया था कि ईरान दूतावास की सुरक्षा को लेकर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन कर रहा है। हालांकि दोनों देशों के बीच युद्ध का असली कारण दूतावास पर हमला नहीं है।

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ईरान-अजरबैजान में तनाव का कारण क्या है
अजरबैजान एक बार फिर आर्मीनिया पर आक्रमण की योजना बना रहा है। अजरबैजान का मकसद आर्मीनिया को बारी दुनिया से काटकर जंगेजुर कॉरिडोर पर कब्जा करने की है। आर्मीनिया की सेना काफी कमजोर है और अजरबैजान को यह भरोसा है कि वह युद्ध को आसानी से जीत सकता है। लेकिन, जंगेजुर कॉरिडोर आर्मीनिया को ईरान के साथ जोड़ता है। इस कॉरिडोर के दोनों ओर अजरबैजान का कब्जा है। ऐसे में अगर अजरबैजान ने जंगेजुर कॉरिडोर पर कब्जा किया तो इससे आर्मीनिया का संपर्क ईरान से कट जाएगा। ईरान यह बिल्कुल नहीं चाहता है कि उसकी अंतरराष्ट्रीय सीमा से आर्मीनिया को दूर किया जाए।

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ईरान की अजरबैजान से पुरानी दुश्मनी
अजरबैजान का इजरायल के साथ करीबी संबंध हैं। ईरान की इजरायल के साथ दुश्मनी है। ऐसे में ईरान की सरकार अजरबैजान को पसंद नहीं करती है। यही कारण है कि ईरान खुलकर अजरबैजान के दुश्मन आर्मीनिया का समर्थन करता है। ईरान जानता है कि अजर अजरबैजान ने जंगेजुर कॉरिडोर पर कब्जा कर लिया तो इससे रूस और बाकी के यूरोपीय देशों से उसका जमीनी संपर्क कट जाएगा। यही कारण है कि ईरान खुलकर अजरबैजान का विरोध कर रहा है। ईरान के मुकाबले अजरबैजान की सैन्य शक्ति काफी कम है। ऐसे में युद्ध हुआ तो ईरान हर क्षेत्र में अजरबैजान पर भारी पड़ेगा।

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इजरायल-अजरबैजान की दोस्ती से चिढ़ा है ईरान
अजरबैजान ने ईरान में अपना दूतावास बंद करने के चंद महीने बाद ही इजरायल में नए दूतावास का उद्घाटन किया था। इस घटना ने ईरान को और ज्यादा भड़का दिया। इजरायल के विदेश मंत्री ने यहां तक कहा कि वह और उनके अजरबैजानी समकक्ष ईरान के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने पर सहमत हुए हैं। अप्रैल की शुरुआत में अजरबैजान ने चार ईरानी राजनयिकों को उकसाने वाली कार्रवाइयों का हवाला देते हुए निष्कासित कर दिया था और उन पर जासूसी के लिए स्थानीय लोगों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। इस हफ्ते, इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन तुर्कमेनिस्तान की यात्रा से पहले, देश में इजरायल का पहला दूतावास खोलने के लिए अजरबैजान गए, जो ईरानी सीमा से सिर्फ 20 किमी दूर स्थित है।

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