काबुल एयरपोर्ट पर हमले का मास्टरमाइंड ढेर, 13 US सैनिकों समेत 180 लोगों की जान गई थी सुसाइड अटैक में

राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के बाद तालिबान ने अगस्त 2021 में काबुल पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अफगानिस्तान से बड़ी संख्या में पलायन शुरू हो गया था। तभी काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमला हुआ था। इसमें 13 अमेरिकी सैनिकों और 169 अफगानियों की मौत हो गई थी।
काबुल। तालिबान ने IS आतंकी और काबुल एयरपोर्ट पर हमले के मास्टरमाइंड को मार गिराया। काबुल एयरपोर्ट पर अगस्त 2021 में आत्मघाती हमला हुआ था, इसमें 13 अमेरिकी सैनिक और 169 अफगानिस्तानी नागरिक मारे गए थे। अमेरिकी अधिकारियों ने IS आतंकी के मारे जाने की पुष्टि की है।
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राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के बाद तालिबान ने अगस्त 2021 में काबुल पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अफगानिस्तान में अफरा तफरी मच गई थी। अफगानिस्तान में मौजूद अन्य देशों के लोग बाहर निकलना चाहते थे। ऐसे में एयरपोर्ट पर भारी संख्या में लोग जमा हुए थे और काबुल में मौजूद अमेरिकी सैनिक अफगानों को देश छोड़ने में मदद कर रहे थे। तभी यह आत्मघाती हमला हुआ था।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने काबुल एयरपोर्ट पर हमले का जिक्र करते हुए बताया कि वह ISIS-K का प्रमुख अधिकारी था। वह एयरपोर्ट पर हमले की साजिश रचने में सीधे तौर पर शामिल था। लेकिन अब वह साजिश रचने और हमला करने में सक्षम नहीं है। हालांकि, किर्बी ने ISIS-K के आतंकी का नाम नहीं बताया।
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ISIS खुरासान तालिबान को दुश्मन मानता है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से खुरासान लगातार आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है। ISIS खुरासान, ISIS का ही हिस्सा है, जिसे अफगानिस्तान-पाकिस्तान के आतंकवादी चलाते हैं। इसका मुख्यालय अफगानिस्तान के ही नांगरहार राज्य में है, जो पाकिस्तान के बेहद नजदीक है। तालिबानी कमांडर मुल्ला उमर की मौत के बाद तालिबान के बहुत से खूंखार आतंकवादी ISIS खुरासान में शामिल हो गए। इस तरह ये तालिबान से ही निकला ग्रुप कहा जा सकता है।
तालिबान और ISIS-K एक दूसरे के दुश्मन हैं। तालिबान का प्रभाव अफगानिस्तान में है। वहीं ISIS-K भी अफगानिस्तान से फैलकर बगदादी के खुरासान स्टेट के सपने को पूरा करना चाहता है। ISIS-K तालिबान की तरह किसी राजनीतिक एजेंडा में यकीन नहीं रखता। उसका मानना है कि तालिबान जो कर रहा है काफी नहीं है, इसलिए वो तालिबान से भी ज्यादा कट्टर और खूंखार है।
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यही कारण है कि अफगानिस्तान में उसने अपने प्रभाव वाले इलाकों में बहुत ही कड़ाई से शरिया कानून लागू कर रखा है। जो भी शरिया कानून को मानने से इनकार करता है, या फिर उसकी नजर में उसका उल्लंघन करता है तो ISIS-K उसे बहुत ही क्रूर सजा देता है। यही बात ISIS-K को तालिबान से भी ज्यादा खतरनाक आतंकवादी संगठन बनाता है। उसका मकसद सारी दुनिया में इस्लाम का राज कायम करना है।
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