जापान का मून मिशन फेल, राशिद रोवर से संपर्क टूटा

पहली बार चंद्रमा पर कोई व्यावसायिक लैंडर उतरना था। यह किसी देश का नहीं बल्कि निजी कंपनी का यान था। यह यान जापानी स्टार्टअप कंपनी आईस्पेस इंक का था। मिशन का नाम हाकुतो-आर मिशन 1 (M1) रखा गया था।
नई दिल्ली। जापानी निजी कंपनी आईस्पेस इंक (ispace inc.) के चंद्रयान मिशन को झटका लगा है। पहली बार चांद की सतह पर अपना लैंडर उतारने का उसका सपना अधूरा रह गया है। ग्राउंड टीम का लैंडर से संपर्क टूट गया है। इस लैंडर का नाम है हाकुतो-आर मिशन 1 (Hakuto-R Mission 1 - M1)। पहली बार किसी देश की निजी कंपनी का यान चांद की सतह पर उतरने वाला था। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
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जापानी कंपनी के इस सैटेलाइट को पिछले साल दिसंबर में फ्लोरिडा के केप केनवरल से स्पेसएक्स के रॉकेट से लॉन्च किया गया था।
पिछले महीने ही जापान के मीडियम लिफ्ट H3 रॉकेट को लॉन्च के बाद विस्फोट करके उड़ाना पड़ा था। इसके पांच महीने पहले जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा के एप्सिलॉन रॉकेट की लॉन्चिंग भी फेल हुई थी।
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Good morning! ☕️Fine day for a #MoonLanding, no?
— ESA Operations (@esaoperations) April 25, 2023
📍 Atlas Crater, the Moon
⏰ 25 April, 18:40 CEST
🛰️: #HAKUTO_R, Mission 1 lunar lander
🕹️: @ispace_inc, Tokyo, Japan
📡: @esa's #Estrack network
📺: #ispace livestream: https://t.co/qpc9o0VSQE
ℹ️: 🧵👇
कैसा है Hakuto-R Mission 1?
हाकुतो-आर मिशन 1 की लंबाई 7.55 फीट है। यह यान चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर 6000 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से घूम रहा था। धीरे-धीरे इसकी गति को कम किया गया था। क्योंकि तब चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति ने इसे खींचना शुरू कर दिया था।
अब तक सिर्फ अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ने ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। इसके अलावा भारत और इजरायल के लैंडिंग के प्रयास विफल रहे हैं। हाकुतो-आर मिशन की लैंडिंग चंद्रमा के उत्तरी गोलार्ध पर मौजूद मारे फ्रिगोरिस (Mare Frigoris) के पास होनी थी। इसके बाद M1 अपने दो पहिए वाला रोवर बाहर निकालता। यह रोवर बेसबॉल के आकार का था।
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खिलौना कंपनी ने बनाया था जापानी रोवर
इस रोवर को जापानी खिलौना कंपनी टोमी को (Tomy Co) और सोनी ग्रुप (Sony Group) ने मिलकर बनाया था। इसके साथ ही संयुक्त अरब अमीरात का चार पहियों वाला राशिद रोवर भी लैंडर में था।
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जापान के इस मिशन का दूसरा यान 2024 में लॉन्च करने की योजना है। तब आईस्पेस अपना खुद का रोवर लेकर आएगी। उस समय तक यह नासा के साथ काम करेगी ताकि स्पेस लैब ड्रेपर के पेलोड्स को चंद्रमा पर पहुंचा सके। कंपनी की प्लानिंग है कि 2040 तक चांद की सतह पर इंसानों से भरी एक कॉलोनी बनाए।
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