किसी के दबाव में झुकने वाला देश नहीं इजरायल... PM नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन को दिया करारा जवाब

Israel Protests US: इजरायल (Israel) में विरोध प्रदर्शन (Israel Protest) के बीच ही अमेरिका (US) के साथ अब इसका टकराव होने की आशंका है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Israeli PM Benjamin Netanyahu) ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) को उनके एक सुझाव पर जमकर सुनाया है। नेतन्याहू की तरफ से प्रस्तावित एक कानून में संशोधन को लेकर देश में बवाल जारी है।
तेल अवीव। अमेरिका और इजरायल के बीच ऐसा लगता है कि आने वाले समय में टकराव बढ़ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच इस समय सबकुछ ठीक नहीं है। बाइडेन ने पीएम नेतन्याहू को उस विवादित न्यायिक सुधार प्रक्रिया को बंद करने के लिए कहा है जिसकी वजह से पूरे इजरायल में प्रदर्शन जारी हैं। नेतन्याहू ने इस 27 मार्च को प्रस्ताव को टाल दिया। देश की सड़कों पर लोगों के हुजूम ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया। लेकिन इससे पहले उन्होंने बाइडेन को जमकर सुनाया। व्हाइट हाउस की तरफ से सलाह दी गई थी कि नेतन्याहू को इस मसले पर झुक जाना चाहिए और अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए। 28 मार्च को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लेकिन बाइडेन ने इस मामले पर जो बयान दिया उसकी वजह से नेतन्याहू उनसे खासे नाराज हैं।
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बाइडेन को मिला करारा जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि वह इससे पीछे हट जाएंगे।' नेतन्याहू की तरफ से एक प्रस्ताव लाया गया है जिसके बाद कानून में बदलाव किया जाएगा। इस नए प्रस्ताव के बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों क नियुक्ति में पूरी तरह से इजरायल की सरकार का नियंत्रण हो जाएगा। नेतन्याहू ने तुरंत ही बाइडेन को जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'इजरायल एक संप्रभु देश है जो अपने फैसले जनता की इच्छा पर लेता है। देश के फैसले विदेश से पड़ने वाले दबाव के आधार पर नहीं लिए जाते हैं जिसमें हमारे सबसे अच्छे दोस्त भी शामिल हैं।'
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बातचीत से निकालेंगे रास्ता
नेतन्याहू ने आगे कहा कि उनका प्रशासन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार की तीनों शाखाओं के बीच संतुलन को बहाल करके ऐसा किया जाएगा। सुधार प्रक्रिया का लक्ष्य विस्तृत जनमत संग्रह के बाद ही हासिल किया जाएगा। उत्तरी कैरोलिना के दौरे पर बाइडेन ने इजरायल को चेतावनी दी थी कि वह इसी तरह से आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने इजरायल के हालातों पर चिंता भी जताई थी। इजरायली पीएम नेतन्याहू पर अपनी शक्ति को मजबूत करने के लिए इजरायली लोकतंत्र पर हमला करने का आरोप लगाया गया है। इसके बीच ही देश में विवादित न्यायिक सुधार योजना को कैंसिल किए जाने के साथ ही प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ उलझे देश के राजनीतिक विपक्षियों ने बातचीत के लिए मंगलवार से दलों का गठन शुरू कर दिया है।
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प्रदर्शन से खतरे में आई अर्थव्यवस्था!
नेतन्याहू की न्यायिक सुधार योजना का देश में अभूतपूर्व तरीके से विरोध हो रहा था और लोगों के सड़कों पर उतरने के कारण घरेलू संकट की स्थिति बनने लगी थी। लेकिन यह समझौता बेहद दुराग्रही लग रहा है और नेतन्याहू की विरासत दांव पर लगी है। इजराइल किस प्रकार का देश होना चाहिए इस मौलिक मुद्दे को लेकर जारी गतिरोध के बीच इस समझौते से कुछ खास नहीं हुआ है और स्थितियां केवल कठोर दिखाई दे रही हैं।
न्यायिक सुधार की योजना के खिलाफ पिछले तीन महीनों से हो रहा प्रदर्शन इस सप्ताह बहुत तेज हो गया, इजरायल के मुख्य ट्रेड यूनियन ने आम हड़ताल की घोषणा कर दी जिसके कारण अफरा-तफरी का माहौल बन गया और देश के ज्यादातर हिस्से बंदी की चपेट में आ गये, यहां तक कि अर्थव्यवस्था के ठप्प पड़ने का खतरा मंडराने लगा।
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अब संसद में होगी चर्चा
नेतन्याहू ने सोमवार की रात अपने भाषण में स्वीकार किया कि देश में विभाजन की बातें उड़ रही हैं। इसके साथ ही इस कानून को लाने में एक महीने की देरी करने की घोषणा की। हालांकि, उसके कुछ ही घंटों के अंदर ही विशेषज्ञों ने कहा कि रक्षा मंत्री को पद से बर्खास्त किये जाने के बाद से हंगामा बढ़ा है और नेतन्याहू की लोकप्रियता उनकी अपनी लिकुड पार्टी में भी कम हो गई है। इन घटनाओं के कारण सबसे लंबे समय तक इजरायल का शासन चलाने वाले नेतन्याहू के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। नेतन्याहू ने विधेयक को लागू करने की प्रक्रिया स्थगित करते हुए कहा था, 'जब बातचीत के जरिये गृह युद्ध से बचने का अवसर है, तो मैं प्रधानमंत्री होने के नाते बातचीत के लिए समय निकाल रहा हूं।' उन्होंने 30 अप्रैल से शुरू हो रहे संसद के ग्रीष्मकालीन सत्र में इसपर सहमति बनाने का संकल्प लिया।
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