क्या पूरी दुनिया को नए 'शीतयुद्ध' में धकेल रही शी जिनपिंग की मानसिकता, क्रोनोलॉजी समझें

 
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यूक्रेन पर आक्रमण कर जहां रूस ने लोकतंत्र और निरंकुशताओं के बीच दरारों को बढ़ा दिया है, वहीं चीन ने बिना युद्ध लड़े ही यूरोप के कई हिस्सों में अपने खिलाफ विरोध को और सख्त कर लिया है।

 

नई दिल्ली। वैसे तो चीन अमेरिका पर "शीत युद्ध की मानसिकता" रखने का आरोप लंबे समय से लगाता रहा है। लेकिन चीन की हालिया कुछ गतिविधियों और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा उठाए गए कदमों ने यह संकेत दिए हैं कि वह दुनिया को फिर से एक नए किस्म के शीतयुद्ध की ओर धकेल रहे हैं। इसे हाल की कुछ घटनाओं की क्रोनोलॉजी से समझा जा सकता है।

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले महीने 20 मार्च को कॉमरेड व्लादिमीर पुतिन से मिलने मॉस्को पहुंचे थे, जहां उन्होंने तीन दिन बिताए। इस दौरान  दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की घोर प्रशंसा की और घनिष्ठ रणनीतिक संबंधों को दोहराया। यह यूक्रेन युद्ध के बीच संकट काल में घिरे पुतिन के लिए चीन का न सिर्फ रूस को समर्थन था बल्कि क्षेत्रीय एकजुटता का प्रदर्शन भी था। चीनी राष्ट्रपति ने यह कदम ऐसे समय में उठाया, जब अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने  युद्ध अपराधों के लिए पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

जब तीन दिन मास्को में बिताने के बाद शी जिनपिंग रूस से विदा हो रहे थे, तब उन्होंने पुतिन से कहा था, "बदलाव हो रहे हैं, जैसा हमने 100 सालों में भी नहीं देखा। आइए उन बदलावों को जारी रखें।" इस पर रूसी नेता ने जवाब दिया था,"मैं सहमत हूं।"

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इसके बाद, 16 अप्रैल को चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू रूसी राष्ट्रपति पुतिन और रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू से मिलने मास्को पहुंचे। इस दौरान ली ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि उनका संबंध "शीत युद्ध के युग के सैन्य-राजनीतिक संघों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। जो गुटनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर आधारित हैं, और बहुत मजबूत और स्थिर हैं।"

हालांकि, इसे "गुटनिरपेक्ष" कहना डबल स्टैंडर्ड का बयान है, क्योंकि चीन और रूस दोनों ही देश पश्चिम के प्रति अपनी शत्रुता का प्रदर्शन करते रहे हैं और इस दिशा में दोनों एक-दूसरे का समर्थन करते रहे हैं। 4 फरवरी 2022 को शी ने कहा था कि उनके संबंधों की "कोई सीमा नहीं" है और "सहयोग के लिए कोई निर्धारित क्षेत्र" भी नहीं हैं। शी ने तब कहा था कि इस मित्रता के लाभ लागत से कहीं अधिक हैं।

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युक्रेन युद्ध के बीच चीन तटस्थ होने का दिखावा कर सकता है,लेकिन यह बात भी जग जाहिर है कि शी ने जान-बूझकर अपने रथ को रूस के जंगी घोड़ों के आगे चढ़ाया है। दूसरी तरफ चीनी नेता यूक्रेन पर पुतिन के खूनी आक्रमण की आलोचना करने से इनकार करते हैं और इसके बजाय वह संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो पर युद्ध को लंबा खींचने का आरोप लगाते रहे हैं।

इन सबमें दिलचस्प बात यह है कि शी जिनपिंग के साथ पहले दौर की बातचीत में पुतिन की टीम के आधे से ज्यादा अधिकारियों में वे शामिल थे जो रूस के हथियारों और अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुड़े रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि शी का मास्को दौरे के उद्देश्य सैन्य सहयोग था। रूस अपने उपकरण बैरल को स्क्रैप करने के साथ-साथ चीन की विशाल औद्योगिक क्षमता का उपयोग करने का इच्छुक रहा है। उधर, शी निस्संदेह रूप से रूस के सबसे क़ीमती रहस्यों को प्राप्त करने की फिराक में हैं।

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यूक्रेन पर आक्रमण कर जहां रूस ने लोकतंत्र और निरंकुशताओं के बीच दरारों को बढ़ा दिया है, वहीं चीन ने बिना युद्ध लड़े ही यूरोप के कई हिस्सों में अपने खिलाफ विरोध को और सख्त कर लिया है। यही तो पूरी दुनिया को एक नए शीत युद्ध में धकेल रहा है और इसके लिए सिर्फ शी जिनपिंग ही जिम्मेदार हो सकते हैं।

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