Iran : ईरान की मानवाधिकार संगठन का दावा, एक साल में 75 प्रतिशत तक बढ़ी मौत की सजा

नई दिल्ली। ईरान और पेरिस की दो मानवाधिकार संगठनों ने एक रिपोर्ट में ये खुलासा किया है की, साल 2022 में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के बीच ईरान ने 582 लोगों को फांसी की सजा दी है। इतनी बड़ी तादाद में लोगों को सजा ए मौत देने पर ईरान को फांसी देने की मशीन कहा जा रहा है।
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मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान लोगों को प्रदर्शनों में हिस्सा लेने से रोकने के लिए उनमें मौत की सजा का डर पैदा कर रहा है। 4 लोगों को केवल हिजाब विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के आधार पर फांसी दे दी गई। साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान में 2022 से पहले साल 2015 में सबसे ज्यादा 333 लोगों को मौत की सजा दी गई थी। पिछले एक साल में इस तरह से सजा देने का आंकड़ा 75 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले एक साल में ड्रग्स से जुड़े अपराधों में भी काफी लोगों को मौत की सजा दी गई है। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को डर है कि कहीं ईरान ड्रग्स की आड़ में प्रदर्शनकारियों को तो सजा नहीं दे रहा है। इसकी वजह ये है कि 2022 में फांसी पर चढ़ाए गए 582 लोगों में 44% लोग ड्रग्स यानी नशीली दवाओं की तस्करी से जुड़े अपराधों के दोषी थे।
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मनावाधिकार संगठन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान फांसी की सजा देने में वहां के अल्पसंख्यक सुन्नी और बलूच समुदाय को निशाना बना रहा है। जिनकी देश की कुल जनसंख्या में केवल 2 से 6 प्रतिशत की ही हिस्सेदारी है। वहीं, एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक ईरान में 9 साल की उम्र पार करने के बाद लड़कियों को मौत की सजा दी जा सकती है। लड़कों के लिए ये उम्र 15 है। वहीं, ईरान में 2022 में सबसे ज्यादा हत्या के मामलों में 288 लोगों को फांसी दी गई। जो पिछले 15 सालों में सबसे ज्यादा है।
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