भारत अमेरिकी नीति के कारण रूस के हुआ करीब, द्विपक्षीय संबंधों में नहीं आएगा बदलावः जयशंकर

 
External Affairs Minister S Jaishankar

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अमेरिका (America) की राजकीय यात्रा (State Visit) से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने भारत और रूस के द्विपक्षीय रिश्ते में किसी तरह के बदलाव से साफ इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि किसी तीसरे देश को इस रिश्ते से समस्या, दोनों देशों के संबंधों में दरार नहीं डाल सकती। विदेश मंत्री ने भारत के रूस के करीब होने के लिए अमेरिका की नीति को जिम्मेदार ठहराया।

विज्ञापन: "जयपुर में निवेश का अच्छा मौका" JDA अप्रूव्ड प्लॉट्स, मात्र 4 लाख में वाटिका, टोंक रोड, कॉल 8279269659

एक अंग्रेजी साप्ताहिक से साक्षात्कार में विदेश मंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) पर पश्चिमी देशों की ओर की जा रही आलोचना को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए रूस से बेहतर संबंध रखना जरूरी है। यह वास्तविकता है। किसी की पसंद या नापसंद के हिसाब से हम अपने विचार नहीं बदल सकते।

जयशंकर ने कहा कि सामरिक मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करने के लिए साठ के दशक में भारत विकल्पहीन था। जयशंकर ने कहा कि अमेरिका ने साल 1965 में भारत को हथियार नहीं बेचने का फैसला किया। इसके बाद हमारे पास सोवियत संघ के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अमेरिका को यह पता है। उसे यह भी पता है कि छह दशक के इतिहास के बाद भारत अपने विचार नहीं बदल सकता। भारत और रूस के बेहतर संबंध अब एक वास्तविकता है। सबको इसी वास्तविकता के साथ रहना होगा।

यह खबर भी पढ़ें: 'दादी के गर्भ से जन्मी पोती' अपने ही बेटे के बच्चे की मां बनी 56 साल की महिला, जानें क्या पूरा मामला

दो दशकों में अमेरिका से संबंध हुए बेहतर
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बीते दो दशकों में संबंध लगातार बेहतर हुए हैं। वह भी तब जब इस दौरान अमेरिका में अलग-अलग विचार रखने वाले चार राष्ट्रपति आए, जबकि भारत में इस दौरान दो प्रधानमंत्री आए। बावजूद इसके दोनों देशों ने संबंध मजबूत करने की प्रतिबद्धता को लेकर कभी मतभेद जाहिर नहीं किए। भारत को द्विपक्षीय रिश्ते को आगे ले जाने में बहुत संकोच नहीं करना पड़ा।

यह खबर भी पढ़ें: महिला टीचर को छात्रा से हुआ प्यार, जेंडर चेंज करवाकर रचाई शादी

और बेहतर हो सकते थे रक्षा सहयोग
जयशंकर ने इस दौरान स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की स्थिति और बेहतर हो सकती थी। उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में मनमोहन सरकार में रक्षा सहयोग को लेकर झिझक थी। मनमोहन सरकार परमाणु समझौते के बाद इसी झिझक के कारण तेजी से आगे नहीं बढ़ पाई। अब ऐसी स्थिति नहीं है। साल 2015 के बाद यह झिझक खत्म हो गई। वर्तमान में हम तीन अमेरिकी विमान पी-8, सी-130 और सी-17 चिनूक और अपाचे जैसे कई हेलिकॉप्टरों के साथ अमेरिकी तोपों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को यूके की अपनी यात्रा के दौरान लंदन में अपने यूक्रेनी समकक्ष दमित्रो कुलेबा से मुलाकात की। उन्होंने कीव के आर्थिक सुधार के लिए वाशिंगटन डीसी के समर्थन को रेखांकित किया। उन्होंने यूक्रेन के आर्थिक सुधार के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के समर्थन और मल्टी-एजेंसी डोनर कोऑर्डिनेशन प्लेटफॉर्म के माध्यम से निरंतर घनिष्ठ सहयोग के महत्व को रेखांकित किया।

यह खबर भी पढ़ें: 'मेरे बॉयफ्रेंड ने बच्चे को जन्म दिया, उसे नहीं पता था वह प्रेग्नेंट है'

उन्होंने निवेश और सतत आर्थिक विकास के लिए एक वातावरण स्थापित करने के लिए यूक्रेन द्वारा सुधारों को जारी रखने की आवश्यकता पर चर्चा की। सचिव ने विदेश मंत्री को चीन जनवादी गणराज्य की अपनी यात्रा और वहां के अधिकारियों के साथ यूक्रेन में रूस के युद्ध के बारे में चर्चा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने यूक्रेन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की निरंतर आर्थिक और ऊर्जा सहायता और सुरक्षा सहायता पर भी चर्चा की।

Download app : अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप

From around the web