भारत ने UAE और अमेरिका के साथ मिलकर खेला खाड़ी देशों में बड़ा दांव, देखता रह जाएगा चीन

India In Middle East: पिछले दिनों भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल सऊदी अरब में थे। यहां पर उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और सऊदी समकक्षों से मुलाकात की। उनकी इस मीटिंग में कई अहम मसलों पर चर्चा हुई। साथ ही कई इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर बात भी हुई है।
रियाद। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल (Ajit Doval) पिछले दिनों सऊदी अरब (Saudi Arabia) में थे। यहां पर उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (UAE), अमेरिका और सऊदी के अपने समकक्षों के साथ खास मुलाकात की। इन मीटिंग्स से इतर डोभाल ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) से भी एक खास मुलाकात की। एमबीएस के साथ मिलकर डोभाल ने खाड़ी देशों में चीन के प्रभाव को कमजोर करने का वह फॉर्मूला तलाश लिया है जिसके बाद ड्रैगन भी परेशान हो जाएगा। मध्य पूर्व देशों को भारत से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार कर ली है। इस प्रोजेक्ट को चीन को कमजोर करने वाला प्लान करार दिया जा रहा है।
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आपस में जुड़ेंगे मीडिल ईस्ट और भारत
अजीत डोभाल ने अपने अमेरिका और यूएई समकक्षों के साथ जो मीटिंग की उसमें सऊदी क्राउन प्रिंस एमबीएस भी शामिल थे। इन नेताओं ने एक ज्वॉइन्ट इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर चर्चा की जो मध्य पूर्वी देशों को रेल के जरिए आपस में जोड़ेगी। इस परियोजना का मकसद मध्य पूर्व को भारत से सड़कों, रेल और बंदरगाहों के जरिए जोड़ना है। एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में I2U2 समूह की बैठकों के दौरान यह विचार सामने आया - जिसमें इजरायल भी शामिल है।
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इजरायल भी होगा हिस्सा
सऊदी अरब ने अभी तक इजरायल के साथ संबंधों को औपचारिक रूप नहीं दिया है। माना गया था कि इजरायल हो सकता है कि इस प्रोजेक्ट का हिस्सा न हो। लेकिन I2U2 में इजरायल की सदस्यता से पता चलता है कि इसमें इसकी भूमिका भी अहम होने वाली है। इस कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट से कहीं न कहीं इस बात का भी अंदाजात लगता है कि अब्राहम समझौते से भारत को भी कुछ फायदा हुआ है। यह वह एग्रीमेंट था जिसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अंजाम तक पहुंचाया गया था। इस एग्रीमेंट का मकसद इजरायल के रिश्ते उसके अरब पड़ोसी देशों के साथ सामान्य करना था।
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चीन को कमजोर करना मकसद
I2U2 समूह को शुरू करने के लिए इस डील को मंजूरी दी गई। साथ ही नई पहल पर कई तरह की बातचीत भी हुई हैं। प्रस्तावित डील से इशारा मिलता है कि भारत और अमेरिका, हिंद-प्रशांत क्षेत्र से अलग, मीडिल ईस्ट में भी अब चीन का मुकाबला करने के लिए तैयार हो रहे हैं। साफ है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनका प्रशासन कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट को इस क्षेत्र में चीन को जवाब देने के तौर पर देखता है। इजरायल के एक पूर्व सीनियर अधिकारी की मानें तो पहले दिन से ही इस एग्रीमेंट का मकसद चीन को कमजोर करना है।
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बीआरआई का मुकाबला
प्रोजेक्ट का उद्देश्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर के तौर पर भारत की क्षमता का फायदा उठाना है। इसके ट्रैक रिकॉर्ड में दुनिया की सबसे बड़ी रेल प्रणाली का निर्माण और सीमा पार बिजली देने का योगदान शामिल है। नई पहल के जरिए भारत को उम्मीद है कि चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का मुकाबला मध्य पूर्व में किया जा सकेगा।
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