ठेंगा दिखाया IMF ने, कंगाल पाकिस्तान डिफॉल्ट के डर से घबराया, चीन से मांगेगा कर्ज की भीख

Pakistan Economic Crisis IMF: इमरान खान संकट के बीच पाकिस्तान एक बार फिर से आर्थिक तबाही की कगार पर पहुंच गया है। पाकिस्तान सरकार कई महीने से आईएमएफ से कर्ज की गुहार लगा रही है लेकिन अब तक उसे कुछ भी नहीं मिला है। अब डिफॉल्ट होने से बचने के लिए एक बार फिर से उसे चीन की शरण में जाना पड़ सकता है।
इस्लामाबाद। इमरान खान और पाकिस्तानी सेना में जंग के बीच देश के डिफॉल्ट होने का खतरा गहरा गया है। पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात और शर्तों को पूरा नहीं कर पाने की वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भी पाकिस्तान से मुंह मोड़ लिया है। आईएमएफ से मिले झटके के बाद कंगाल पाकिस्तान की शहबाज सरकार प्लान बी पर काम करने जा रही है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार भुगतान संतुलन के संकट को दूर करने के लिए एक बार फिर से चीन से कर्ज की भीख मांगने जा रही है।
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पाकिस्तान आईएमफ से 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट प्रोग्राम की नई किश्त चाहता है। वहीं आईएमएफ ने शहबाज सरकार की कर्ज लेकर घी पीने की आदत की वजह से उस पर कई शर्तें लाद दी हैं। वहीं इमरान खान विवाद के बीच अमेरिका भी शहबाज सरकार का साथ नहीं दे रहा है और आईएमएफ से कर्ज दिलाने में कोई मदद नहीं कर रहा है। ऐसे में बुरी तरह से फंसा पाकिस्तान अब चीन से कर्ज की गुहार लगाने जा रहा है।
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चीन से गुहार लगाने के अलावा विकल्प नहीं
द न्यूज अखबार ने बताया कि 22 करोड़ से अधिक लोगों के नकदी-संकट वाले राष्ट्र के पास बीमार अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए चीन से गुहार लगाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा। सूत्रों ने कहा, 'देश में गहराते राजनीतिक और आर्थिक संकट के बीच आईएमएफ ने 'इंतजार करो और देखो' की नीति अपनाई है, लेकिन इसे लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता।' उन्होंने कहा, या तो आईएमएफ कार्यक्रम को नौवीं समीक्षा के पूरा होने के बाद पुनर्जीवित करना होगा या कार्यक्रम को खत्म कर दिया जाएगा। हम नौवीं समीक्षा पूरी किए बिना आईएमएफ के साथ और डेटा साझा नहीं करेंगे।
द न्यूज ने बताया कि कई रिपोटरें से पता चलता है कि पाकिस्तान ने फंड के कर्मचारियों को पहले ही समीक्षा समाप्त करने के लिए कह दिया है, अन्यथा 2023-24 के लिए बजटीय रूपरेखा साझा नहीं की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि पश्चिमी देश के एक राजदूत ने एक मंत्री के साथ बातचीत के दौरान पूछा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के कब मंदी के दौर में जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया, राजनयिक के इस सवाल ने मंत्री को झकझोर कर रख दिया, जिन्होंने राजनयिक से कहा कि पाकिस्तान कभी भी डिफॉल्ट नहीं करेगा। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि राजनयिक समुदाय ने भी घरेलू राजनीतिक मामलों के बारे में पूछताछ शुरू कर दी है।
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डिफॉल्ट के खतरे पर क्या बोले विशेषज्ञ
द न्यूज ने बताया, इन सभी घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, स्वतंत्र अर्थशास्त्री अब सुझाव दे रहे हैं कि सरकार आईएमएफ कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने के लिए अंतिम प्रयास करे या संघर्षरत अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए स्पष्ट रूप से चीन की ओर देखे। पूर्व वित्त मंत्री और जाने-माने अर्थशास्त्री हाफिज ए. पाशा ने कहा कि अगर आईएमएफ आगे नहीं बढ़ता है, तो पाकिस्तान के पास चीन से अनुरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा कि वह इस्लामाबाद को संकट से उबारने में मदद करने के लिए कोई तंत्र तैयार करे।
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