कैसे मिलेगा पाकिस्तान को कर्ज, 'भारतीयों' का IMF से लेकर वर्ल्ड बैंक तक कब्जा, देखें सबूत

Pakistan IMF Indian: पाकिस्तान बेसब्री से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बेलाउट पैकेज का इंतजार कर रहा है। लेकिन, उसका यह इंतजार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने कई मुश्किल शर्तें रखी हैं। दुनिया की शीर्ष दो फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक में शीर्ष पदों पर कई भारतीय तैनात हैं।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज के लिए नाक रगड़ रहा है। इसके बावजूद दुनियाभर के देशों की मदद करने वाली यह अंतरराष्ट्रीय संस्था कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है। पाकिस्तान और आईएमएफ पिछले कई महीनों से बेलआउट पैकेज की दूसरी किश्त के लिए बातचीत कर रहे हैं। पिछले महीने की शुरुआत में आईएमएफ का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान पहुंचा था। इस दौरान आईएमएफ के अधिकारियों ने पाकिस्तान के साथ लगातार 10 दिनों तक बात की, लेकिन दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन सकी। आईएमएफ ने जाते-जाते पाकिस्तान को उन शर्तों का एक पुलिंदा सौंप दिया, जिसे लागू करने में शहबाज शरीफ के पसीने छूट रहे हैं।
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बेसब्री से कर्ज का इंतजार कर रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान सरकार ने आईएमएफ की अधिकतर शर्तें मान ली हैं। हाल में ही पाकिस्तान ने बिजली कंपनियों के कर्ज को भरने के लिए प्रति यूनिट 3.35 रुपये का अतिरिक्त कर लगाया है। इसके अलावा तेल, गैस और बिजली की कीमतों में भी भारी बढ़ोत्तरी की है। इससे गुरबत में जिदगी गुजार रही पाकिस्तानी अवाम पर महंगाई का पहाड़ टूट पड़ा है। बिजली की कमी होने से कई कंपनियों को बंद करना पड़ा है। छंटनी के कारण लाखों की संख्या में पाकिस्तानी बेरोजगार हुए हैं। इससे लोगों की क्रय शक्ति भी घटी है। विदेशी मुद्रा भंडार कम होने से पाकिस्तान का विदेशी आयात भी कम हुआ है, जिसका असर सप्लाई चेन पर देखा जा रहा है।
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आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक में शीर्ष पर भारतीय
पाकिस्तान ने अधिकतर कर्ज चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक से लिया है। वर्तमान में पाकिस्तान के हालात इतने खराब हैं कि इससे सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ही निकाल सकते हैं। पाकिस्तान पहले भी 23 बार आईएमएफ से बेलआउट पैकेज ले चुका है। लेकिन, इस बार आईएमएफ ने मदद करने से पहले सभी शर्तों को मानने और उसे लागू करने को कहा है। वहीं, पाकिस्तान सरकार अपील कर रही है कि हमने करीब 90 फीसदी शर्तें स्वीकार ली हैं, ऐसे में आईएमएफ को कर्ज दे देना चाहिए।
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आईएमएफ में 'भारतीयों' का जलवा
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में शीर्ष पदों पर भारतीय मूल के कई अधिकारी काबिज हैं। आईएमएफ की प्रथम उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथन हैं। आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन हैं। आईएमएफ के यूरोप में कार्यालय निदेशक अशोक भाटिया हैं।
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विश्व बैंक में भी शीर्ष पदों पर 'भारतीय'
आईएमएफ की तरह विश्व बैंक में भी शीर्ष पदों पर भारतीय मूल के अधिकारी तैनात हैं। हाल में ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारतीय मूल के अजय बंगा को विश्व बैंक के प्रेसिडेंट के तौर पर नामित किया है। विश्व बैंक के प्रबंध निदेशक और विश्व बैंक समूह की मुख्य वित्तीय अधिकारी अंशुला कांत हैं। विश्व बैंक की विकास नीति और भागीदारी की कार्यवाहक प्रबंध निदेशक ममता मूर्ति हैं। विश्व बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और विश्व बैंक समूह के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमित गिल हैं। विश्व बैंक के ह्यूमन डेवलपमेंट की वाइस प्रेसिडेंट ममता मूर्ति हैं। विश्व बैंक ग्रुप की चीफ रिस्क ऑफिसर लक्ष्मी श्याम सुंदर हैं।
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