आफत: दुनिया अगली महामारी के लिए तैयार नहीं, रेड क्रॉस ने दी संकट की चेतावनी

आईएफआरसी के महासचिव, जगन चपगैन ने कहा कि अगली महामारी आसपास हो सकती है। अगर कोविड-19 से मिले अनुभव के बाद भी तैयारियां तेज नहीं की गई तो मुश्किलें होंगी।दुनिया को कई खतरों के लिए तैयार रहने क जरूरत है
नई दिल्ली। पूरी दुनिया अगली महामारी के लिए तैयार नहीं है। रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसायटीज के अंतर्राष्ट्रीय संघ(आईएफआरसी) ने चेतावनी दी है कि भविष्य में स्वास्थ्य संकट भी जलवायु परिवर्तन से संबंधित बढ़ती आपदाओं की तरह मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। रेड क्रॉस की ओर से जारी विश्व आपदा रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि कोरोना महामारी के तीन सालों के बाद भी दुनियाभर में मजबूत तैयारियों में गंभीर कमी है। संघ ने कहा है कि अगले संकट के लिए तैयार होने के लिए विश्वास, इक्विटी और स्थानीय कार्रवाई नेटवर्क बनाना महत्वपूर्ण था।
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आसपास हो सकती है अगली महामारी
आईएफआरसी के महासचिव, जगन चपगैन ने कहा कि अगली महामारी आसपास हो सकती है। अगर कोविड-19 से मिले अनुभव के बाद भी तैयारियां तेज नहीं की गई तो मुश्किलें होंगी। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया को कई खतरों के लिए तैयार रहने की जरूरत है। इस सदी में जलवायु संबंधी आपदा के साथ बीमारी के प्रकोप में वृद्धि हो सकती है। कोरोना इनमें से एक था। खराब मौसम की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
गरीबों को ज्यादा नुकसान रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े खतरे पहले से कमजोर लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। गरीब इसकी सबसे ज्यादा चपेट में आता हैं। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि देश घरेलू स्वास्थ्य बजट को अपने सकल घरेलू उत्पाद के 1 प्रतिशत और वैश्विक स्वास्थ्य में कम से कम 15 अरब डॉलर प्रति वर्ष की वृद्धि करें।
भारत उन 10 देशों में शामिल है जहां पिछले 2 सालों में सबसे अधिक आपदाएं आई हैं। पिछले दो साल में अमेरिका में 71, इंडोनेशिया में 62, भारत में 46, चीन में 41, कांगो में 27, पाकिस्तान में 25, फिलिपीन्स में 25, मेक्सिको में 23 और कोलंबिया में 22 आपदाएं आई हैं। ये आँकड़े सासल 2020 और 2021 के हैं। आपदाओं में अमेरिका में 1184 लोग, ब्रिटेन में 2559 लोग मारे गए हैं। फ्रांस में 1499 और भारत में 4743 लोगों की मौत हुई है।
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अनदेखा की जानेवाली बीमारियों को खत्म करने में मिली बड़ी सफलता
नजरअंदाज कर दी जानेवाली बीमारियों को खत्म करने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज(एनटीडी) पर जारी प्रगति रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2022 तक दुनिया के 47 देशों ने कम से कम एक एनटीडी को समाप्त कर दिया है। आठ देशों को 2022 में कम से कम एक एनटीडी को समाप्त करने का प्रमाण पत्र दिया गया है।
2021 में 2010 की तुलना में एनटीडी से पीड़ित लोगों की संख्या में भी 25% कमी आई है। 2010 में 2.19 अरब लोग बीमारी से पीड़ित थे, जबकि अब यह संख्या 1.65 अरब रह गई है। हालांकि कोरोना महामारी के कारण इस प्रयास में काफी मुश्किलें हुई। 2020 में 79.8 करोड़ लोगों का इलाज किया जा सका, जो 2019 के मुकाबले 34 फीसदी कम था। लेकिन 2021 में इसमें फिर तेजी आई और 88.8 करोड़ लोगों का इलाज किया गया। 2016 और 2019 के बीच प्रत्येक वर्ष एक अरब से अधिक लोगों का इलाज किया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक एनटीडी को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। भारत ने भी दो बीमारी यॉज तथा कृमि रोग को समाप्त करने में सफलता हासिल की है।
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क्या है एनटीडी
वायरस, फंगस, विषैले तत्वों, केमिकल्स, परजीवी और बैक्टीरिया के कारण होनेवाली बीमारी जैसे डेंगु, चिकुनगुनिया,रेबीज, कुष्ठ इत्यादि। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ऐसी 20 बीमारियां हैं जिसके बोझ को अक्सर अनदेखा किया जाता है।
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