खतरनाक चाल चीन-पाकिस्‍तान की, भारत को दोतरफा घेरने की तैयारी, खत्‍म होगी मलक्‍का की बढ़त?

 
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China Pakistan Army India: चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू ने पाकिस्‍तान यात्रा के दौरान बड़ा बयान दिया है। चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि उनका देश पाकिस्‍तान के साथ नए क्षेत्रों में सहयोग करना चाहता है। चीन का इशारा नौसैनिक सहयोग की तरफ माना जा रहा है। चीन ग्‍वादर में नौसैनिक अड्डा बना रहा है।

 

इस्‍लामाबाद। चीन और पाकिस्‍तान ने नापाक चाल चलते हुए भारत की दो तरफा घेरेबंदी को मजबूत करना शुरू कर दिया है। चीन और पाकिस्‍तान के सैनिक जहां पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर में मिलकर साजिशें रच रहे हैं, वहीं अब समुद्र में भी टेंशन बढ़ने जा रही है। चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू ने पाकिस्‍तान के नौसेना प्रमुख से सोमवार को कहा कि दोनों देशों की सेना और नौसेना के बीच सहयोग को नए क्षेत्रों में विस्‍तारित किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इससे क्षेत्र की सुरक्षा करने में दोनों देशों की ताकत में इजाफा होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की कोशिश अपने 'मलक्‍का संकट' को खत्‍म करने की और इसी वजह से वह अरब सागर के जरिए सीधे हिंद महासागर महासागर तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है।

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भारत के दुश्‍मन चीन और पाकिस्‍तान की सेनाओं के बीच वर्षों से सैन्‍य सहयोग चल रहा है। पाकिस्‍तान बड़े पैमान पर चीन से हथियार और युद्धपोत खरीद रहा है। दोनों ही देशों की नौसेना और एयरफोर्स के बीच हर साल युद्धाभ्‍यास भी होता रहता है। चीन दुनिया की फैक्‍ट्री है और वह अपने सामानों को भेजने के लिए समुद्री मार्ग पर निर्भर है। चीन को अपना माल इंडोनेशिया के पास मलक्‍का स्‍ट्रेट से होकर भेजना होता है जो भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह के बेहद करीब है। यही नहीं कुछ सौ मील की दूरी पर ही अमेरिकी नौसेना का डियागो गार्सिया नेवल बेस है।

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चीन को हमेशा सताता रहता है मलक्‍का का डर
भारतीय नौसेना अंडमान निकोबार द्वीप समूह में तीनों ही सेनाओं की कमान बना रही है। भारत और अमेरिका के नौसैनिक अक्‍सर हिंद महासागर में मालाबार युद्धाभ्‍यास करते रहते हैं। इसी वजह से चीन को यह डर सताता रहता है कि भारत और अमेरिका दोनों ही मलक्‍का स्‍ट्रेट में उसे घेर सकते हैं। यही वजह है कि चीन अपनी निर्भरता को खत्‍म करने के लिए पाकिस्‍तान के साथ मिलकर रोड और रेल परियोजना बना रहा है। इससे उसकी अरब सागर तक सीधे पहुंच हो जाएगी। यही नहीं चीन आसानी से खाड़ी देशों, अफ्रीका और यूरोप तक सामान भेज सकता है।

चीन की योजना पाकिस्‍तान और ईरान के रास्‍ते यूरोप तक रेल मार्ग बनाने की है। चीन अफगानिस्‍तान तक अपनी सीपीईसी परियोजना को ले जाना चाहता है। चीन ने साल 2017 में अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी नौसैनिक अड्डा बनाया था। विश्‍लेषकों का कहना है कि इसके बाद से ही भारत समुद्र में चीन की चाल से सतर्क हो गया है। चीन के रक्षा मंत्री ने पाकिस्‍तानी सेना से कहा कि सैन्‍य सहयोग दोनों देशों के बीच रिश्‍तों में बेहद अहम है। चीन पाकिस्‍तान के ग्‍वादर में बंदरगाह बना रहा है और अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक यह ड्रैगन का दूसरा विदेशी नेवल बेस है। चीन के इस कदम से भारत की टेंशन बढ़ गई है जो जमीन पर भी भारत के लिए बड़ा संकट बन गया है।

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चीन की मदद कर रहे पाकिस्‍तानी सैनिक
पाकिस्‍तान के विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्‍तानी सेना के कई विशेषज्ञ इस समय चीनी सेना में सेवा दे रहे हैं और वे भारत के खिलाफ रणनीति तैयार करने में चीन की मदद कर रहे हैं। यही नहीं चीनी सैनिक पीओके में मौजूद हैं और वे पाकिस्‍तानी सेना के साथ मिलकर साजिशें रच रहे हैं। चीन पीओके में पाकिस्‍तानी वायुसेना के ठिकानों का भी इस्‍तेमाल कर रहा है। इस तरह से चीन न केवल जमीन पर बल्कि समुद्र में भारत को घेरने की तैयारी तेज कर चुका है।

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