लड़ाई में यूक्रेन से हार सकता है रूस? पुतिन की सेनाएं इसलिए पड़ रही हैं पस्त

Why Russia loss in Ukraine: यूक्रेन की रूस से चल रही लड़ाई को अब एक साल होने को है। ऐसे में रूसी सेनाएं अब भी उन्हीं परिस्थितियों का सामना कर रही हैं, जिनके चलते 2022 में उन्हें मिली शुरुआती बढ़त पर पानी फिर गया था। फिलहाल रूसी सेनाएं डोनबास शहर में एक ही क्षेत्र में एक-एक कर आगे बढ़ रही हैं लेकिन इसके लिए भी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
नई दिल्ली। Russia - Ukraine War: यूक्रेन में ठंड का मौसम खत्म होने को है, इस बीच रूस बखमुत शहर पर कब्जा करने के लक्ष्य के साथ डोनबास क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। बखमुत शहर का क्षेत्रीय परिवहन केंद्र के रूप में कुछ खास रणनीतिक महत्व है लेकिन प्रतीकात्मक और भौतिक रूप से यह इतना कीमती नहीं है जिसके लिए रूस जी-जान लगा रहा है। रूसी सेनाएं इस शहर में एक ही क्षेत्र में एक-एक कर आगे बढ़ रही हैं लेकिन इसके लिए उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
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क्या कहता है इतिहास
यूक्रेन से चल रही लड़ाई को अब एक साल होने को है। ऐसे में रूसी सेनाएं अब भी उन्हीं परिस्थितियों का सामना कर रही हैं, जिनके चलते 2022 में उन्हें मिली शुरुआती बढ़त पर पानी फिर गया था। इतिहासकार बताते हैं कि इस क्षेत्र में सर्दी का मौसम खत्म होने पर सैन्य अभियानों की गति तय होती है। पहले के समय में भी रासपुतित्सा यानी बर्फ पिघलने पर कीचड़ जमा होने के समय में मंगोलों और नेपोलियन की विशाल सेना के लिए भी यह क्षेत्र तबाही लेकर आया था। यहां तक कि द्वितीय विश्व युद्ध में भी रासपुतित्सा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान साल 1941 में मॉस्को ने नाजी जर्मनी को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था।
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लड़ाई में हो रही है दिक्कत
यहां कई बार सोवियत सेना को इसकी मार झेली पड़ी और उसके अभियानों पर पानी फिर गया। वसंत का मौसम कितना महत्वपूर्ण है, इसे समझने के लिए बहुत पुराना इतिहास खंगालने की जरूरत नहीं है। पिछले साल सर्दी के मौसम और रूसी थलसेना की खराब हालत के चलते रूस को मुख्य राजमार्गों के जरिए कीव पर शुरुआती हमले करने पड़े थे। रूसी सेनाएं जब मुख्य सड़कों से होती हुई यूक्रेन की राजधानी कीव की ओर बढ़ रही थीं तब उन्होंने राजमार्गों पर घिरने की आशंका के मद्देनजर बड़ी संख्या में टैंक और अन्य साजो-सामान भेजने का निर्णय लिया था। इस दौरान रूसी सेना के कई वाहन नष्ट हो गए या उन्हें त्याग दिया गया। ऐसे में यह कहना उचित होगा कि मौसम के कारण शुरुआत में रूस को निस्संदेह विफलताओं का सामना करना पड़ा।
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क्यों रूसी सेनाओं को हो रही है दिक्कत
एक साल बीत जाने के बाद बर्फ पिघलने के कारण जमा हुई कीचड़ फिर से रूसी की सक्रियता पर असर दिखा रही है। रूसी सेना उन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां वे पहुंच सकते हैं और वास्तविक रूप से हमला कर सकते हैं। रेलहेड (यानी जहां सैन्य साजो-सामान उतारा और वितरित किया जाता है) के काफी करीब होने और सड़क मार्ग की मौजूदगी के कारण बखमुत रूसी परिप्रेक्ष्य के अनुसार अपेक्षाकृत सुलभ है। यह उन कुछेक स्थानों में से एक है जहां रूस खराब मौसम में प्रभावी रूप से साजो-सामान की आपूर्ति कर सकता है, यही कारण है कि पूरी सर्दी और अब वसंत ऋतु में यहां दोनों ओर से हमले तेज हुए हैं।
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