अमेरिका सहित पश्चिमी देशों को पस्त किया चीन की टेक्नोलॉजी ने, टॉप-5 में भारत

 
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रिपोर्ट के अनुसार प्रतिभा और ज्ञान पर चीन ने काफी प्रयास किए हैं। चीन की यह सफलता दीर्घकालिक नीति नियोजन के कारण है। शी जिनपिंग और उनके पूर्ववर्तियों द्वारा इसे बार-बार रेखांकित किया गया है।

 

नई दिल्ली। उन्नत तकनीक की दौड़ में पूरी दुनिया में चीन का दबदबा है। अमेरिका सहित पश्चिमी देश इसमें पिछड़ रहे हैं। चीन कुछ क्षेत्रों को छोड़कर सभी क्षेत्रों में तकनीक में अमेरिका से आगे है। थिंकटैंक द ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा एक साल तक किए अध्ययन से यह खुलासा हुआ है। इस अध्ययन में ट्रैक की गई 44 तकनीकों में से 37 में चीन सबसे आगे है। क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक बैटरी, हाइपरसोनिक्स, 5जी और 6जी जैसे उन्नत रेडियो-फ्रीक्वेंसी संचार शामिल हैं।

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रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश उन्नत प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और प्रतिभा को बनाए रखने के लिए चीन के साथ दौड़ हार रहे हैं। चीन संभावित रूप से कुछ क्षेत्रों में एकाधिकार स्थापित कर रहा है।

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सिर्फ 7 तकनीक में ही अमेरिका आगे
रिपोर्ट में कहा गया है कि टीके, क्वांटम कंप्यूटिंग और अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली जैसी सात तकनीकों में ही अमेरिका चीन से आगे है। शोध के अनुसार चीन ने खुद को दुनिया की अग्रणी विज्ञान और प्रौद्योगिकी महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की जमीन तैयार कर ली है। कुछ तकनीक के लिए दुनिया के शीर्ष 10 प्रमुख शोध संस्थान चीन में स्थित हैं और दूसरे स्थान के देश की तुलना में नौ गुना अधिक उच्च प्रभाव वाले शोध पत्र तैयार कर रहे हैं। चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज 44 तकनीकों में से अधिकांश में पहले या दूसरे स्थान पर है।

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प्रतिभा और ज्ञान पर चीन ने किए हैं प्रयास
रिपोर्ट के अनुसार प्रतिभा और ज्ञान पर चीन ने काफी प्रयास किए हैं। चीन की यह सफलता दीर्घकालिक नीति नियोजन के कारण है। शी जिनपिंग और उनके पूर्ववर्तियों द्वारा इसे बार-बार रेखांकित किया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने पिछले महीने अपने स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन में कहा था कि अमेरिका इनोवेशन में निवेश कर रहा है। ऐसे उद्योगों में जो भविष्य को परिभाषित करेगा। हालांकि रिपोर्ट की माने तो चीन आठ तकनीकों में एकाधिकार स्थापित कर रहा है, जिसमें नैनोस्केल सामग्री और विनिर्माण, बिजली के लिए हाइड्रोजन और अमोनिया और सिंथेटिक जीव विज्ञान शामिल हैं।

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परमाणु क्षमता वाले हाइपरसोनिक मिसाइल
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में चीन ने परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइलों के निर्माण में काफी प्रगति की। आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में दुनिया के उच्च प्रभाव वाले शोध पत्रों में अकेले 48.49% हिस्सा चीन का है।

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टॉप-5 में मिली भारत को जगह 
रिपोर्ट में भारत की तकनीकी क्षमता का भी जिक्र है। 44 में 4 तकनीक में भारत टॉप 5 देशों में दूसरे स्थान पर है जबकि 15 में तीसरे स्थान पर है। स्मार्ट मैटेरियल्स, कंपोजिट मैटेरियल्स, मशीनिंग प्रॉसेस, और बायोफ्यूल्स में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। नैनोस्केल मैटेरियल्स, कोटिंग सहित 15 अन्य में तीसरे स्थान पर है।

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