'नाटो प्लस' बनेगा चीन का काल, अमेरिकी संसद ने भारत को दिया बड़ा ऑफर, मानेंगे पीएम मोदी?

NATO Plus India US Vs China: ताइवान पर चीन के हमले के बढ़ते खतरे के बीच अमेरिका ने अब जोरदार तैयारी शुरू कर दी है। अमेरिका ने जिस तरह से नाटो की मदद से रूस को यूक्रेन युद्ध में करारा जवाब दिया है, ठीक वैसे ही वह अब नाटो प्लस के जरिए चीन के खिलाफ मोर्चेबंदी को तेज करना चाहता है।
वॉशिंगटन/नई दिल्ली। रूस पर जोरदार चोट करने के बाद अब अमेरिका के नेतृत्व वाले यूरोपीय सैन्य संगठन नाटो ने चीन पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। नाटो देश एशिया में जापान के अंदर अपना कार्यालय खोलने जा रहे हैं जो चीन और रूस की धमकियों से जूझ रहा है। यही नहीं अमेरिका ने चीनी ड्रैगन पर नकेल कसने के लिए 'नाटो प्लस' बनाया है। अमेरिका अब चाहता है कि भारत भी नाटो प्लस देशों का हिस्सा बने। चीन पर बनी अमेरिकी संसद की शक्तिशाली समिति ने सिफारिश की है कि भारत को भी नाटो प्लस का हिस्सा बनाया जाए। अमेरिकी कांग्रेस की ओर से यह प्रस्ताव ऐसे समय पर दिया गया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं।
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नाटो प्लस में अभी पांच सदस्य देश ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इजरायल और दक्षिण कोरिया शामिल हैं। नाटो देशों के साथ मिलकर ये 5 सदस्य देश दुनिया में सुरक्षा सहयोग कर रहे हैं। भारत अगर इस शक्तिशाली सैन्य संगठन का हिस्सा बनता है तो वह आसानी से दुनिया के इन 5 देशों के साथ खुफिया सूचनाओं को साझा कर सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले अमेरिका की ओर से यह बड़ा प्रस्ताव माना जा रहा है। नाटो प्लस का सदस्य बनने से भारत की बिना किसी देरी के अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी तक पहुंच जाएगा।
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भारत का साथ क्यों चाहता है अमेरिका
अमेरिका और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच सामरिक प्रतिस्पर्धा संबंधी सदन की चयन समिति ने भारत को शामिल कर नाटो प्लस को मजबूत बनाने समेत ताइवान की प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए एक नीति प्रस्ताव पारित कर दिया है। इस समिति की अगुवाई अध्यक्ष माइक गालाघर और रैंकिंग सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने की। चयन समिति ने कहा, ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सामरिक प्रतिस्पर्धा जीतने और ताइवान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका को हमारे सहयोगियों और भारत समेत सुरक्षा साझेदारों के साथ संबंध मजबूत करने की आवश्यकता है।'
अमेरिकी समिति ने कहा, 'नाटो प्लस में भारत को शामिल करने से हिंद प्रशात क्षेत्र में सीसीपी की आक्रामकता को रोकने और वैश्विक सुरक्षा मजबूत करने में अमेरिका तथा भारत की करीबी साझेदारी बढ़ेगी।’ इस प्रस्ताव पर पिछले छह साल से काम कर रहे भारतीय-अमेरिकी रमेश कपूर ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस सिफारिश को राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून 2024 में जगह मिलेगी और अंतत: यह कानून बन जाएगा। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने अमेरिकी की राजकीय यात्रा पर आएंगे।
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चीन के खिलाफ अमेरिका का क्या है प्लान
अमेरिकी कमिटी का मानना है कि चीन अगर ताइवान पर हमला करता है तो उसके खिलाफ कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इन प्रतिबंधों को लागू करने में जी7, नाटो, नाटो प्लस और क्वॉड देशों की भूमिका अहम होगी। इन सभी संगठनों के एकजुट होकर सार्वजनिक रूप से संदेश देने का असर होगा। समिति ने कहा कि जिस तरह से हम युद्ध के समय संयुक्त रूप से आपात योजना बनाते हैं, ठीक उसी तरह से शांति के समय हमें अमेरिकी सहयोगियों के साथ समन्वय की जरूरत है। भारत अब तक नाटो में शामिल किए जाने की किसी भी पहल से दूर रहा है। चीन के बढ़ते खतरे के बीच पीएम मोदी के अगले कदम पर नाटो देशों की नजर रहेगी।
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