चीन का रूस-यूक्रेन जंग खत्म करने को 12 सूत्री प्रस्ताव... ताइवान को लेकर ड्रैगन ने अपने पैरों पर मारी कुल्हाड़ी?

China’s 12 Point Proposal To End Russia-Ukraine War: यूक्रेन-रूस युद्ध और चीनी प्रस्ताव के संभावित प्रभाव/परिणाम से हटकर एक दिलचस्प मुद्दा सामने आता है। क्या ताइवान के साथ चल रहे तनाव/संघर्ष की स्थिति में चीन इन 12 सुझावों/सिद्धांतों का पालन करने को तैयार है?उसके 12 में से 3 सुझाव इस बात से सीधे तौर पर इत्तेफाक रखते हैं कि ताइवान मसले को सुलझाने के लिए चीन को क्या करना चाहिए।
बीजिंग। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को 1 वर्ष से अधिक समय हो गया है, जो अनगिनत मौतों और व्यापक विनाश का कारण बन रहा है। जैसा कि दोनों पक्षों ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है- रूस के व्लादिमीर पुतिन अपने परमाणु शस्त्रागार का जायजा लेने के साथ आगे बढ़ते दिख रहे हैं- दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम अब सपने की तरह लगने लगा है। इस बीच चीन ने रूस-यूक्रेन के बीच एक साल से चल रहे युद्ध की लपटों को बुझाने के लिए बारह सूत्रीय प्रस्ताव दिया है। यह योजना बीजिंग के खुद को शांति के पक्षधर एक तटस्थ मध्यस्थकर्ता के रूप में पेश करने के प्रयासों का हिस्सा है और ऐसे समय में यूरोपीय संघ के साथ तालमेल भी बिठाती है, जब पश्चिम के साथ उसके संबंध भयावह और तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि, ऐसा करके चीन ने ताइवान मुद्दे पर खुद को ही आइना दिखाया है। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चीन के बारह सूत्री प्रस्ताव निम्न हैं…
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1.सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करना
2.शीत युद्ध की मानसिकता का परित्याग
3.शत्रुता समाप्त करना
4.शांति वार्ता फिर से शुरू करना
5.मानवीय संकट का समाधान
6.नागरिकों और युद्ध बंदियों की रक्षा करना
7.परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को सुरक्षित रखना
8.सामरिक जोखिमों को कम करना
9.अनाज निर्यात को सुगम बनाना
10.एकतरफा प्रतिबंधों को रोकना
11.औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर रखना
12.संघर्ष के बाद के पुनर्निर्माण को बढ़ावा देना
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यूक्रेन ने चीन की इस पहल को स्वीकार करते हुए प्रस्ताव को ‘सामान्य’ करार दिया है। हालांकि, इस 12 सूत्री प्रस्ताव का एक नतीजा यह रहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के लिए उत्सुक हैं। यूक्रेन-रूस युद्ध और चीनी प्रस्ताव के संभावित प्रभाव/परिणाम से हटकर एक दिलचस्प मुद्दा सामने आता है। क्या ताइवान के साथ चल रहे तनाव/संघर्ष की स्थिति में चीन इन 12 सुझावों/सिद्धांतों का पालन करने को तैयार है? उसके 12 में से 3 सुझाव इस बात से सीधे तौर पर इत्तेफाक रखते हैं कि ताइवान मसले को सुलझाने के लिए चीन को क्या करना चाहिए।
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चीन के 12 सूत्री प्रस्ताव का पहला मुद्दा ‘सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान’ करना है। सवाल उठता है कि क्या चीन ताइवान को एक स्वतंत्र देश के रूप में स्वीकार करता है? चीनी प्रस्ताव का दूसरा मुद्दा ‘शीत युद्ध मानसिकता का परित्याग’ करना है। चीन 20वीं में तत्कालीन सोवियत संघ और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के बीच शीत युद्ध में किसी के पक्ष में नहीं था, लेकिन बीजिंग 21वीं सदी में यूएस के साथ चल रहे शीत युद्ध का एक अहम पक्ष बन गया है, जिसका लक्ष्य आर्थिक और सैन्य दोनों दृष्टि से दुनिया का नंबर एक राष्ट्र बनना है। चीनी प्रस्ताव में कहा गया है, ‘किसी देश की सुरक्षा के लिए दूसरों की कीमत पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए।’ यदि यह सिद्धांत लागू होता है, तो चीन को अनिच्छुक ताइवान को अपने में शामिल होने के लिए मजबूर करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
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